श्रीनगर: नगर पालिका श्रीनगर को नगर निगम का दर्जा मिलने के बाद अब मौजूदा बोर्ड को भी भंग कर दिया गया है. इसके साथ ही डीएम पौड़ी को प्रशासक नियुक्त किया गया है. विधानसभा चुनाव से पहले श्रीनगर नगर पालिका को नगर निगम में बदलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. सरकार ने इस संबंध में आदेश जारी करते हुए नगर पालिका श्रीनगर को भंग कर दिया है.
धामी सरकार ने श्रीनगर को नगर पालिका से उच्चीकृत करते हुए नगर निगम बना दिया है. इसके नगर निगम बनाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. आज इससे संबधित शासनादेश जारी हो गया है. श्रीनगर प्रदेश का नौवां नगर निगम होगा. इससे पहले उत्तराखंड में देहरादून, हल्द्वानी, हरिद्वार, रुद्रपुर, काशीपुर, रुड़की, ऋषिकेश और कोटद्वार नगर निगम हैं.
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नगर निगम बनने के बाद श्रीनगर के आसपास कुल 21 गांव को ही इसका फायदा होगा. श्रीनगर नगर निगम बनाने के लिए न केवल श्रीनगर नगर पालिका परिषद का पूरा क्षेत्र इसमें लिया गया है, बल्कि कुल 21 गांव भी इसमें जोड़े गए हैं. इन गांव में नकोट, दिगोली, धनचड़ा, चंद्रवाड़ी, पुंडोरी, वैध गांव, रतड़ा, स्वीत, चोपड़ा लगा स्वीत, कोटेश्वर गुठ, फरासू, सेम, गहड़, बागवान लगा चोपड़ा, चोपड़ा, ढांमक, पथलगा, डुगरी पथ, डुगरीपथ, कलिया सौड़, हैडी, घोणलगा, उफल्डा शामिल है. इस नगर निगम में साल 2011 की जनगणना के अनुसार कुल 37,911 जनसंख्या है, तो क्षेत्रफल के हिसाब से देखें तो 1257.05 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र इस नगर निगम में होगा.
वैसे नगर पालिका परिषद श्रीनगर के उच्च करण का फैसला कैबिनेट में पूर्व में लिया गया था और उसके बाद अधिसूचना भी जारी की गई है. कांग्रेस सरकार में भी श्रीनगर को नगर निगम बनाए जाने की चर्चा की गई थी, लेकिन उस दौरान कुछ गांव के लोगों ने इसका विरोध किया था, जिसके बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था. लेकिन अब धन सिंह रावत ने इस मामले पर सरकार से आखिरकार श्रीनगर को नगर निगम बनवाने में कामयाबी हासिल की है. 2011 की जनगणना के मुताबिक, नगर निगम श्रीनगर की आबादी 37,911 है. श्रीनगर और 21 गांवों को मिलाकर इसे नगर निगम बनाया गया है.