कोटद्वार: झंड़ीचौड़ निवासी शिक्षक दौलत सिंह गुसाईं ने शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों से राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार ग्रहण कर उत्तराखंड व पौड़ी गढ़वाल को गौरवान्वित किया है. जनपद पौड़ी के राजकीय इंटर कॉलेज सिद्धीखाल के भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता दौलत सिंह गुसाईं को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से नवाजा गया.
पौड़ी के शिक्षक को मिला पुरस्कार तो झूम उठा जिला: पौड़ी गढ़वाल के लैंसडाउन विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत राइका सिद्धीखाल के शिक्षक दौलत सिंह गुसाईं के शैक्षणिक कार्य के लिए शिक्षक दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में राष्ट्रपति शिक्षक पुरस्कार से नवाजा गया. शिक्षक दौलत को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार मिलने पर पौड़ी में खुशी का माहौल बना हुआ है. शिक्षक के गृह निवास कोटद्वार में भी नाते रिश्तेदारों का बधाई देने का सिलसिला लगा हुआ है.
शिक्षक दौलत की कहानी उन्हीं की जुबानी: शिक्षक दौलत बताते हैं कि उनकी प्राथमिकता शिक्षा से लेकर इंटर मीडिएट तक की पढ़ाई राजकीय इंटरमीडिएट कालेज कण्वघाटी में हुई. स्नातकोत्तर की शिक्षा डाक्टर पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल हिमालयन राजकीय महाविद्यालय कोटद्वार में ग्रहण की. शिक्षक के रूप में पहली बार 8 अक्टूबर 2005 को एलटी गणित पद में राजकीय इंटर कॉलेज किमसुर में शैक्षणिक कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. कुछ समय बाद भौतिकी प्रवक्ता पद पर राजकीय इंटर कालेज दुगड्डा में नियुक्त हुए. दुगड्डा राइका में एनएसएस प्रभारी के रूप में कार्य करने सुअवसर भी प्राप्त हुआ.
बालिका शिक्षा में दिया योगदान: ब्लॉक स्तर से ICT प्रशिक्षण के लिए डायट में चयन हुआ. प्रशिक्षण के उपरांत शिक्षण की तकनीकी जानकारी भी मिली. नवीन तकनीक शिक्षा जानकारी लेने के बाद ब्लॉक स्तर प्रक्षिक्षण देना का सिलसिला चलता चला गया. पर्वतीय क्षेत्रों में बालिका शिक्षा का निम्न स्तर होने पर पहाड़ी क्षेत्र में बालिका शिक्षा प्रोत्साहन कार्यक्रम, नशा मुक्ति अभियान, रक्तदान शिविर, मतदान कार्यक्रम और साक्षरता कार्यक्रम के लिए स्वरचित नाटक के द्वारा कार्यक्रम किये गये.
शिक्षक दौलत सिंह गुसाईं वर्तमान में जिला पौड़ी विज्ञान समन्वयक की जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं. विज्ञान के क्षेत्र में राइका सिद्धीखाल जनपद पौड़ी में कई पुरस्कार मार्गदर्शन में दिलवाकर जनपद को गौरवान्वित करवा चुके हैं. शिक्षक दौलत ने बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों के राजकीय इंटर कॉलेजों में भौतिक व शैक्षणिक स्तर निम्न वर्ग का है. जहां भी तैनाती मिली स्थानीय सहयोग से विद्यालय का स्तर बढ़ाया है. पर्वतीय क्षेत्रों में बालिका शिक्षा प्रोत्साहन व ड्रॉप आउट बालिका की संख्या बेहतर परिणाम के लिए गांव गांव की पगडंडी नाप कर रात्रि चौपाल भी लगाई.
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