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यशपाल बेनाम सहित तीनों दोषियों को कोर्ट ने परिवीक्षा पर छोड़ा, DEO से अभद्रता का है मामला

पौड़ी नगर पालिका अध्यक्ष यशपाल बेनाम सहित तीन दोषियों को परिवीक्षा पर बरी किया है. न्यायालय ने इस मामले में 30-30 हजार के जमानती और इतनी ही राशि के निची मुचलके भी भरवाएं हैं. कोर्ट ने कहा तीनों को एक साल तक परिशांति बनाएं रखते हुए सदाचारी भी रहना होगा.

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यशपाल बेनाम सहित तीनों दोषियों को कोर्ट ने किया बरी
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Published : Nov 28, 2022, 9:07 PM IST

पौड़ी: मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पौड़ी की अदालत ने पौड़ी के नगर पालिका अध्यक्ष यशपाल बेनाम सहित तीनों दोषियों को बरी कर दिया है. मामला साल 2017 का है. जिसमें तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी के साथ अभद्रता और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने के मामले पर यशपाल बेनाम और उसके दो साथियों पर मुकदमा दर्ज हुआ था.

सोमवार को सजा पर सुनवाई करते हुए पौड़ी पालिका अध्यक्ष यशपाल बेनाम सहित तीनों दोषियों को परिवीक्षा पर छोड़ा है. कोर्ट ने कहा एक साल तक तीनों को परिशांति एवं सदाचारी बना रहना होगा. साथ ही न्यायालय ने 30-30 हजार के जमानती सहित इतनी ही राशि के निजी मुचलके भी भरवाएं. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पौड़ी रवि प्रकाश की अदालत ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए पालिकाध्यक्ष यशपाल बेनाम, सामाजिक कार्यकर्ता सरिता नेगी और अधिवक्ता अशोक बिष्ट को कोर्ट ने बीती 18 नवंबर को दोषी करार दिया था. इसके बाद अदालत ने सजा पर सुनवाई की तिथि सोमवार 28 नवम्बर को तय की थी. तब तक कोर्ट ने तीनों को अंतिरिम जमानत भी दी थी.
पढ़ें- एक जुनून ऐसा भी: 72 साल का व्यक्ति एशियन बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में भाग लेगा, देखें वीडियो

गौरतलब है कि साल 2017 में तत्कालीन डीईओ प्रभाशंकर मिश्रा ने इस मामले में पौड़ी कोतवाली में मुकदमा दर्ज करवाया था. जिसमें उन्होंने पालिकाध्यक्ष समेत उनके दो साथियों द्वारा सरकारी अफसर के साथ जान से मारने की धमकी देने गाली गलौच करने और सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाने के मामले में नामजद तहरीर दर्ज कराई थी. नामित अधिवक्ता अभियोजन आशीष जदली ने बताया कि सोमवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पौड़ी रवि प्रकाश की अदालत में सजा पर सुनवाई हुई. कहा कि तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी पौड़ी प्रभाशंकर मिश्रा के साथ गाली गलौज जान से मारने की धमकी और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने के मामले में पौड़ी पालिकाध्यक्ष यशपाल बेनाम, सरिता नेगी और अशोक बिष्ट को पहले ही कोर्ट ने दोषी करार दिया था. तीनों को अंतरिम जमानत भी दी गई थी. कोर्ट ने सजा पर सुनवाई करते हुए तीनों को परविक्षा पर छोड़ा है. न्यायालय द्वारा इस मामले में 30-30 हजार के जमानती और इतनी ही राशि के निची मुचलके भी भरवाएं. कोर्ट ने कहा तीनों को एक साल तक परिशांति बनाएं रखते हुए सदाचारी भी रहना होगा.

पौड़ी: मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पौड़ी की अदालत ने पौड़ी के नगर पालिका अध्यक्ष यशपाल बेनाम सहित तीनों दोषियों को बरी कर दिया है. मामला साल 2017 का है. जिसमें तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी के साथ अभद्रता और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने के मामले पर यशपाल बेनाम और उसके दो साथियों पर मुकदमा दर्ज हुआ था.

सोमवार को सजा पर सुनवाई करते हुए पौड़ी पालिका अध्यक्ष यशपाल बेनाम सहित तीनों दोषियों को परिवीक्षा पर छोड़ा है. कोर्ट ने कहा एक साल तक तीनों को परिशांति एवं सदाचारी बना रहना होगा. साथ ही न्यायालय ने 30-30 हजार के जमानती सहित इतनी ही राशि के निजी मुचलके भी भरवाएं. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पौड़ी रवि प्रकाश की अदालत ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए पालिकाध्यक्ष यशपाल बेनाम, सामाजिक कार्यकर्ता सरिता नेगी और अधिवक्ता अशोक बिष्ट को कोर्ट ने बीती 18 नवंबर को दोषी करार दिया था. इसके बाद अदालत ने सजा पर सुनवाई की तिथि सोमवार 28 नवम्बर को तय की थी. तब तक कोर्ट ने तीनों को अंतिरिम जमानत भी दी थी.
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गौरतलब है कि साल 2017 में तत्कालीन डीईओ प्रभाशंकर मिश्रा ने इस मामले में पौड़ी कोतवाली में मुकदमा दर्ज करवाया था. जिसमें उन्होंने पालिकाध्यक्ष समेत उनके दो साथियों द्वारा सरकारी अफसर के साथ जान से मारने की धमकी देने गाली गलौच करने और सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाने के मामले में नामजद तहरीर दर्ज कराई थी. नामित अधिवक्ता अभियोजन आशीष जदली ने बताया कि सोमवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पौड़ी रवि प्रकाश की अदालत में सजा पर सुनवाई हुई. कहा कि तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी पौड़ी प्रभाशंकर मिश्रा के साथ गाली गलौज जान से मारने की धमकी और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने के मामले में पौड़ी पालिकाध्यक्ष यशपाल बेनाम, सरिता नेगी और अशोक बिष्ट को पहले ही कोर्ट ने दोषी करार दिया था. तीनों को अंतरिम जमानत भी दी गई थी. कोर्ट ने सजा पर सुनवाई करते हुए तीनों को परविक्षा पर छोड़ा है. न्यायालय द्वारा इस मामले में 30-30 हजार के जमानती और इतनी ही राशि के निची मुचलके भी भरवाएं. कोर्ट ने कहा तीनों को एक साल तक परिशांति बनाएं रखते हुए सदाचारी भी रहना होगा.

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