कोटद्वार: लैंसडौन वन प्रभाग द्वारा लालढांग रेंज में लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग पर कार्य करवाया जा रहा है. वन विभाग मानसून सीजन शुरू होने से 15 दिन पूर्व चिल्लरखाल वन मोटर मार्ग पर ठेकेदार से G1, G2, G3 की सोलिंग बिछवाने का कार्य करवा रहा है.
लैंसडौन वन प्रभाग आमजन के हितों को लेकर किस कदर सजग है. इसका प्रत्यक्ष प्रमाण 31 मार्च 2021 के उस शासनादेश को देखकर लगाया जा सकता है, जिसमें शासन ने इस मार्ग के सुदृढ़ीकरण के लिए 613.30 लाख की धनराशि स्वीकृत की थी. शासनादेश में शर्त यह थी कि कार्य शुरू होने से पूर्व केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय, वन संरक्षक प्रभाग, राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड, उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित दिशा-निर्देशों का अनुपालन करना होगा. लेकिन हैरानी की बात यह है कि आज तक केंद्र से इस संबंध में विधिवत निर्माण की अनुमति नहीं ली गई, नतीजा कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग दुगड्डा इकाई द्वारा भी आज तक सड़क निर्माण के संबंध में कोई निविदा आमंत्रित नहीं की गई है.
ये भी पढ़ें: भूस्खलन से बदरीनाथ हाईवे बाधित, दोनों ओर लगी वाहनों की कतारें
सूत्रों के मुताबिक यह कार्य 30 लाख की लागत से हो रहा है, लेकिन इस कार्य के लिए धनराशि कहां से स्वीकृत हुई इसका कोई जबाब नहीं है. वन विभाग सड़क पर बिना अनुमति के ही G1,G2, G3 की सोलिंग बिछाने का काम करवा रहा है. जबकि इसके लिए अभी तक कोई भी टेंडर प्रक्रिया जारी नहीं हुई है. लोक निर्माण विभाग दुगड्डा खंड द्वारा भी कोई विधिवत टेंडर प्रक्रिया जारी नहीं की गई है.
सूत्रों के मुताबिक चिल्लरखाल वन मोटर मार्ग के बीच बहने वाली नदियां प्रतिबंध वन क्षेत्र में बहती है. प्रतिबंधित वन क्षेत्रों में जेसीबी और ट्रैक्टर ट्रॉली से खनन करना गैर कानूनी है. लेकिन इस मार्ग के निर्माण के लिये ठेकेदार द्वारा सरेआम खनन किया जा रहा है. जब मामले की जानकारी के लिए लैंसडौन वन प्रभाग के डीएफओ दीपक सिंह से फोन किया गया तो उन्होंने कहा कि मीटिंग में बिजी हूं बाद में कॉल करूंगा. वहीं लोनिवि के अधिशासी अभियंता निर्भय सिंह ने बताया कि सड़क के संबंध में ज्यादा जानकारी वन विभाग से ही मिलेगी.
ऐसे में सवाल उठता है कि एलीफेंट जोन में किस की अनुमति से निर्माण कार्य किया जा रहा है.