कोटद्वार: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत (bipin rawat) अब हमारे बीच नहीं रहे. जनरल बिपिन रावत की तमिलनाडु में हेलीकॉप्टर क्रैश (Coonoor helicopter Crash) में मौत हो गई. हेलीकॉप्टर हादसे में उनकी पत्नी मधुलिका समेत 13 लोगों का का निधन हो गया. इस खबर के बाद से ही उत्तराखंड के पौड़ी जिले में स्थित उनके पैतृक गांव सैंण (CDS General Bipin Rawat Village) में शोक की लहर है. लोगों की आंखें नम हैं. इस एक घटना से CDS बिपिन रावत के साथ-साथ गांव में रहने वाले लोगों के सपने भी अधूरे रह गए हैं.
उत्तराखंड से ताल्लुक रखते थे बिपिन रावत: CDS बिपिन रावत उत्तराखंड के रहने वाले थे. उनका पैतृक गांव पौड़ी गढ़वाल में है. सीडीएस बिपिन रावत पौड़ी, द्वारीखाल ब्लाक के सैंण गांव के मूल निवासी थे. जनरल रावत के घर तक पहुंचने के लिए एक किलोमीटर का पहाड़ी रास्ता पैदल तय करना पड़ता है. जनरल बिपिन रावत का परिवार दशकों पहले देहरादून शिफ्ट हो गया था, लेकिन उन्हें अपने पैतृक गांव सैंण से इतना लगाव था कि वह अपने गांव आते-आते जाते रहते थे. गांव में उनके चाचा भरत सिंह रावत और उनका परिवार रहता है.
2018 में आए थे पैतृक गांव: तत्कालीन सेना प्रमुख बिपिन रावत जब 2018 में अपने पैतृक गांव आए थे, तब उन्होंने कहा था कि CDS पद से रिटायरमेंट के बाद गांव में सड़क बनाने की कोशिश करेंगे, लोगों को गांव में बसाया जाएगा. गांव और आसपास के लोगों के लिए इलाज की बेहतर व्यवस्था करवाई जाएगी. उन्होंने गांव और आसपास के लोगों के लिए अस्पताल बनवाने तक की बात की थी. लेकिन CDS बिपिन रावत के सारे सपने अधूरे रह गए.
CDS बिपिन रावत जब अपने लोगों के बीच में थे तो उन्होंने सीडीएस पद से रिटायर होने के बाद के सभी प्लान तैयार कर लिए थे. उन्होंने तय कर लिया था कि पौड़ी जिले के युवाओं को अधिक से अधिक सेना में भर्ती कराने के लिए सुविधाएं और जानकारी मुहैया करवाएंगे. लेकिन बुधवार को हुए एक हादसे ने सभी को झकझोर कर रख दिया. गांव में रहने वाले लोगों को यकीन कर पाना मुश्किल है कि सीडीएस बिपिन रावत नहीं रहे.
गढ़वाली में पूछा सवाल तो बिपिन रावत ने दिया था जवाब: पत्रकारों ने तब बिपिन रावत से गढ़वाली में सवाल किए तो उन्होंने हंसते हुए जवाब दिए थे. उनसे पूछा गया था कि गांव आकर कैसा लगा तो उन्होंने गढ़वाली में जवाब दिया कि अच्छा लगा. इसके बाद उनसे पत्रकारों ने पूछा था कि क्या उन्होंने काफल (पहाड़ का एक विशेष फल) भी खाए. तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि हां काफल खाए.
कौन थे सीडीएस बिपिन रावत? जन्म से ही बिपिन रावत का पहाड़ों से गहरा नाता रहा है. शायद ये एक बड़ी वजह थी कि उनके इरादे चट्टानों की तरह मजबूत थे. बिपिन रावत उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के रहने वाले थे. उनकी शुरुआती स्कूली पढ़ाई शिमला के एडवर्ड स्कूल में हुई. वो बचपन से ही चट्टानों और वादियों के बीच घिरे रहे. उनके पिता एलएस रावत भी सेना में बड़े अधिकारी थे. वे भारतीय सेना के डिप्टी चीफ के पद से रिटायर हुए थे.
पढ़ें: बिपिन रावत देहरादून में बना रहे थे सपनों का आशियाना, एक हफ्ते पहले हुआ था भूमि पूजन