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कांग्रेस-बीजेपी की लड़ाई में फंसा श्रीनगर, ना रहा नगर निगम और ना रही पालिका

कांग्रेस और बीजेपी की आपसी लड़ाई का खामियाजा श्रीनगर गढ़वाल की जनता को भुगतना पड़ रहा है. सरकार ने श्रीनगर नगर पालिका को नगर निगम का दर्जा तो दे दिया, लेकिन इससे कांग्रेस खुश नहीं और नगर पालिका अध्यक्ष ने इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर कर दी है, जिससे शहर का विकास प्रभावित हो रहा है.

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Published : Oct 17, 2022, 4:31 PM IST

श्रीनगर: सरकार की ओर से श्रीनगर नगर पालिका को नगर निगम का दर्जा दिए जाने को पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष मोहन लाल जैन और पूर्व राज्यमंत्री अतर सिंह असवाल ने समय के साथ ही विकास के लिए जरूरी कदम बताया. उन्होंने कहा कि जब सरकार ने श्रीनगर को नगर निगम का दर्जा दे दिया था तो नगर पालिका अध्यक्ष पूनम तिवारी को इसके खिलाफ कोर्ट में नहीं जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि इससे नगर का विकास बुरी तरह से प्रभावित हो गया है.

पत्रकार वार्ता में पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष मोहन लाल जैन एवं पूर्व राज्य मंत्री अतर सिंह असवाल ने कहा कि नगर निगम के खिलाफ पालिका अध्यक्ष का न्यायालय में याचिका दाखिल करना नगर के हित में नहीं है. इससे पहले भी देहरादून, मेरठ आदि नगर पलिकाओं को नगर निगम बनाया गया. लेकिन कोई भी अध्यक्ष न्यायालय की शरण में नहीं गया. वर्तमान में नगर का विकास अवरूद्ध हो चुका है. न तो नगर पालिका काम कर रही है और न ही नगर निगम, जिसका भुगतभोगी आम जनता को बनना पड़ रहा है.
पढ़ें- कैलाश विजयवर्गीय ने ली निकाय और पंचायत प्रतिनिधियों की बैठक, लोस चुनाव की रणनीति पर हुई चर्चा

उन्होंने कहा कि अगर नगर निगम नहीं बना तो श्रीनगर का दुर्भाग्य होगा. पालिका को नगर निगम बनाए जाने के बाद 100 करोड़ का बजट मिलना था, लेकिन वह भी विवाद के कारण नहीं मिल पाया है. इस कारण नगर का विकास ठप पड़ चुका है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को नगर निगम के खिलाफ न्यायालय की शरण में न जाकर जनता के बीच जाना चाहिए था.

इस बात का स्वयं जनता फैसला करती. लेकिन कांग्रेस ने ऐसा न कर नगर का विकास अवरूद्ध कर दिया है. उन्होंने कहा कि अभी भी कांग्रेस को जनहित में न्यायालय में दायर रिट को वापस लेकर जनता के बीच जाना चाहिए, और विधानसभा चुनाव के परिणामों पर भी विचार करना चाहिए.

श्रीनगर: सरकार की ओर से श्रीनगर नगर पालिका को नगर निगम का दर्जा दिए जाने को पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष मोहन लाल जैन और पूर्व राज्यमंत्री अतर सिंह असवाल ने समय के साथ ही विकास के लिए जरूरी कदम बताया. उन्होंने कहा कि जब सरकार ने श्रीनगर को नगर निगम का दर्जा दे दिया था तो नगर पालिका अध्यक्ष पूनम तिवारी को इसके खिलाफ कोर्ट में नहीं जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि इससे नगर का विकास बुरी तरह से प्रभावित हो गया है.

पत्रकार वार्ता में पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष मोहन लाल जैन एवं पूर्व राज्य मंत्री अतर सिंह असवाल ने कहा कि नगर निगम के खिलाफ पालिका अध्यक्ष का न्यायालय में याचिका दाखिल करना नगर के हित में नहीं है. इससे पहले भी देहरादून, मेरठ आदि नगर पलिकाओं को नगर निगम बनाया गया. लेकिन कोई भी अध्यक्ष न्यायालय की शरण में नहीं गया. वर्तमान में नगर का विकास अवरूद्ध हो चुका है. न तो नगर पालिका काम कर रही है और न ही नगर निगम, जिसका भुगतभोगी आम जनता को बनना पड़ रहा है.
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उन्होंने कहा कि अगर नगर निगम नहीं बना तो श्रीनगर का दुर्भाग्य होगा. पालिका को नगर निगम बनाए जाने के बाद 100 करोड़ का बजट मिलना था, लेकिन वह भी विवाद के कारण नहीं मिल पाया है. इस कारण नगर का विकास ठप पड़ चुका है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को नगर निगम के खिलाफ न्यायालय की शरण में न जाकर जनता के बीच जाना चाहिए था.

इस बात का स्वयं जनता फैसला करती. लेकिन कांग्रेस ने ऐसा न कर नगर का विकास अवरूद्ध कर दिया है. उन्होंने कहा कि अभी भी कांग्रेस को जनहित में न्यायालय में दायर रिट को वापस लेकर जनता के बीच जाना चाहिए, और विधानसभा चुनाव के परिणामों पर भी विचार करना चाहिए.

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