पौड़ी: सब कुछ योजना के अनुसार हुआ तो आने वाले दिनों में पौड़ी के यमकेश्वर ब्लॉक (Pauri Yamkeshwar Block) के आधा दर्जन गांवों में जैव विविधता पार्क और हर्बल गार्डन रिसर्च कम ट्रेनिंग सेंटर परियोजना का श्रीगणेश हो जाएगा. ब्लॉक के इस क्षेत्र में यह योजना प्रस्तावित है. इस परियोजना को पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट (Patanjali Research Foundation Trust) तथा सगंध पौध केंद्र (कैप) सेलाकुई के वैज्ञानिकों द्वारा संचालित किया जाना है. इस संबंध में डीएम पौड़ी ने परियोजना के वैज्ञानिकों और संबंधित अफसरों से बैठक का प्रस्तावित कार्य की जानकारी ली.
डीएम पौड़ी डॉ. आशीष चौहान (DM Pauri Ashish Chauhan) ने जैव विविधता पार्क और हर्बल गार्डन (Diversity Park and Herbal Garden) रिसर्च कम ट्रेनिंग सेंटर परियोजना के प्रस्तावित कार्यों की बिंदुवार समीक्षा की. उन्होंने बताया कि यमकेश्वर ब्लॉक के खरगोशा, भौंन और दमांदा, जोगियाना और बिजनी बड़ी आदि गांवों में जल्द ही इस परियोजना को विकसित किया जाना है. बताया कि प्रस्तावित जैव विविधता पार्क और हर्बल गार्डन रिसर्च कम ट्रेनिंग सेंटर परियोजना को पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट तथा सगंध पौध केंद्र (कैप) सेलाकुई के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया जाना है.
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इस मौके पर डीएम ने एसडीएम यमकेश्वर समेत राजस्व विभाग को इस क्षेत्रों में जैव विविधता पार्क और हर्बल गार्डन रिसर्च कम ट्रेनिंग सेंटर के निर्माण को लेकर संबंधित गांवों में आवश्यकता के अनुरूप भूमि का चिन्हीकरण कर शीघ्र प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिये. डीएम ने इस कार्य के लिए 15 दिनों की समय सीमा तय की है. उन्होंने कहा कि इस कार्य में लापरवाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
जीएम ने पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट से कहा कि उनके प्रोजेक्ट के लिए प्रथम फेज में जितनी भूमि की आवश्यकता है, उसी के अनुरूप मांग का प्रस्ताव प्रस्तुत करें. इसके अलावा द्वितीय फेज की आवश्यकता के अनुरूप भी भूमि का प्रस्ताव समय पर उपलब्ध कराने को कहा. डीएम ने राजस्व विभाग, सगंध पौध केंद्र सेलाकुई और पतंजलि ट्रस्ट के पक्षकारों को आपसी समन्वय से जैविक पार्क और हर्बल गार्डन ट्रेनिंग सेंटर के कार्य में तेजी लाने को कहा.
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जानिए क्या यह परियोजना: जैव विविधता पार्क और हर्बल गार्डन रिसर्च के बड़े संस्थान के रूप में जाना जाएगा. परियोजना की जरूरत के हिसाब से राजस्व विभाग इन दिनों भूमि की पैमाइश के कार्य में जुटा हुआ है. परियोजना पूरी होने के बाद इस क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियां तो बढ़ेंगी ही स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा. साथ ही देश विदेश में अपनी स्वच्छ आबोहवा के रूप में पहचाने जाने वाले पौड़ी जिले के इस क्षेत्र में उन्नत किस्म की बायो फार्मिंग भी विकसित होगी. जिससे लोगों की आर्थिकी भी सुदृढ़ होनी तय है.