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अंकिता भंडारी हत्याकांड ने दिलाई 10 साल पुराने रचना केस की याद, वकीलों ने जताई सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका

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Published : Sep 29, 2022, 2:25 PM IST

Updated : Oct 18, 2022, 4:20 PM IST

अंकिता भंडारी हत्याकांड उत्तराखंड का पहला ऐसा मामला नहीं है, जिसमें किसी की इतनी बेरहमी से हत्या की गई हो. ऐसा ही मामला 9 अगस्त, 2012 में कोटद्वार के दुगड्डा ब्लॉक के जमरगड्डी गांव के तोक झमणसार में सामने आया था. रचना नाम की 12वीं की कक्षा की छात्रा रचना संदिग्ध परिस्थितियों में गायब हो गई थी. चार दिन बाद रचना का गांव से दूर जंगल में सड़ा गला शव बरामद हुआ था.

Rachna murder case
कोटद्वार

कोटद्वार: उत्तराखंड में अंकिता भंडारी हत्याकांड जैसा ही हत्याकांड साल 2012 में भी हो चुका है. यह घटना भी पौड़ी जनपद के यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र में हुई थी. दुगड्डा ब्लॉक के जमरगड्डी गांव के तोक झमणसार की राजकीय इंटर कॉलेज की छात्रा 17 वर्षीय रचना की 9 अगस्त, 2012 में गांव के आदमी ने हत्या कर दी‌ थी. रचना हत्याकांड के करीब 10 साल बाद 18 सितंबर को अंकिता भंडारी की बेरहमी से हत्या कर दी गई.

दरअसल, साल 2012 में 9 अगस्त को गांव के स्कूल की छुट्टी के बाद रचना घर नहीं पहुंची. 13 अगस्त को रचना का शव गांव से दूर जंगल के एक नाले में सड़ा गला मिला. 14 अगस्त को रचना के शव का पोस्टमार्टम हुआ. शव सड़ा गला होने पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु के कारणों का पता नहीं चल पाया. 14 को ही दाह संस्कार कर दिया गया. पिता ने राजस्व क्षेत्र दुगड्डा में उपनिरीक्षक के यहां रचना की बलात्कार के बाद हत्या का मुकदमा दर्ज करवाया था. 16 अगस्त को राजस्व पुलिस ने तहरीर के आधार पर एक व्यक्ति को गिरफ्तार भी कर लिया.

अंकिता भंडारी केस में सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका- वकील

18 अगस्त को रचना के पिता द्वारा राजस्व पुलिस कार्यप्रणाली पर संदेश जताने पर ग्रामीणों ने हत्या का मामला रेगुलर पुलिस को सौंपने की मांग को लेकर कोटद्वार तहसील में उपजिलाधिकारी को ज्ञापन प्रेषित किया. 22 अगस्त को रचना हत्याकांड का मामला जिलाधिकारी पौड़ी ने रेगुलर पुलिस को सौंप दिया. एक माह बाद 22 सितंबर को पुलिस कार्रवाई में बिलम्ब होने पर ग्रामीणों ने कोटद्वार तहसील में क्रमिक अनशन कर रचना हत्याकांड का मामला सीबीसीआईडी सौंपने की मांग की.

सीबीसीआईडी जांच के बाद भी आरोपी रिहा: ग्रामीणों के जोरदार विरोध के बाद 14 अक्टूबर को न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की गई. 15 अक्टूबर को उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के आदेश पर बलात्कार के बाद हत्या का मामला सीबीसीआईडी को सौंपा गया. 19 अक्टूबर को जांच होने पर ग्रामीणों व सामाजिक संगठनों ने क्रमिक अनशन स्थगित कर दिया. 7 नवम्बर को सीबीसीआईडी की टीम ने दुगड्डा पुलिस चौकी पहुंच कर केस जांच के आदेश लिए. 23 नवम्बर को सीबीसीआईडी की टीम ने झमणसार गांव पहुंच कर ग्रामीणों व परिजनों के बयान दर्ज किए थे.

रचना हत्याकांड के अधिवक्ता अजय पंत ने बताया कि 2 साल तक मामला न्यायालय में चला. सीबीसीआईडी द्वारा न्यायालय में पुख्ता सबूतों को संलग्न न करने पर आरोपी कोर्ट से रिहा हो गया. अधिवक्ता ने बताया कि रचना हत्याकांड में राजस्व पुलिस ने सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर अभियुक्त को बचाने की कोशिश की. मामला रेगुलर पुलिस में आने के बाद भी दुगड्डा पुलिस टीम ने हत्या के मामले में साक्ष्य मिटाने के लिए आरोपी का सहयोग किया.
पढ़ें- ये कैसी जांच? अंकिता हत्याकांड में अंधेरे में SIT का 'वैभव', पटवारी के सीने में दफन हैं कई राज

अधिवक्ता अजय पंत ने बताया 9 अगस्त को रचना दुगड्डा में ही थी और कालेज से आरोपी के वाहन में सवार हो के आई थी. घटना स्थल पर रचना के जूते भी मिले थे. इस मामले में तत्कालीन राजस्व उपनिरीक्षक को निलंबित कर दिया गया था.

अंकिता भंडारी केस में भी सबूतों से छेड़छाड़: अधिवक्ता अजय पंत ने बताया कि अंकिता भंडारी हत्याकाड में भी राजस्व पुलिस व हत्या आरोपी को सबूत मिटाने दिये गये हैं. जबकि न्यायालय सबूतों के आधार पर आरोपियों को दोषी ठहराता है. क्रिमिनल अधिवक्ता शरद चंद गुप्ता कहते हैं कि जांच टीमों के पास साक्ष्यों व सबूतों को कड़ी दर कड़ी जोड़ने के लिए आधुनिक यंत्र नहीं होने पर आरोपी हत्या के मामलों में बरी हो जाते हैं.

शरद चंद गुप्ता कहते हैं कि अंकिता हत्याकांड के मुख्य आरोपियों को न्यायालय सबूतों के आधार पर सजा बरकरार रखता है, तो यह एक पत्थर की लकीर होगी. वैसे मुख्य आरोपी सत्ता पक्ष के हैं, तो लाजमी है कि न्यायालय में पैरवी में सबूतों के साथ छेड़छाड़ किये जाने की संभावना है.
पढ़ें- अंकिता हत्याकांड के बाद टूरिज्म इंडस्ट्री को लगा झटका, बुकिंग्स हो रही कैंसल

रचना हत्याकांड में न्याय दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता सूरज कान्ति ने बताया कि रचना हत्याकांड में सबूतों के न होने पर न्यायालय ने आरोपी को बरी कर दिया. रचना हत्याकांड में सही समय पर जांच टीम घटनास्थल पर सबूतों को संलग्न कर देती तो बहन रचना को आज न्याय मिल पाता. ऐसे में अंकिता भंडारी हत्याकांड में भी सबूतों छेड़छाड़ की गई है. ऐसे में संभव है कि आरोपी भी न्यायालय से बरी हो सकते हैं.

जानिए क्या है अंकिता मर्डर केस: बता दें कि पौड़ी जिले के नांदलस्यू पट्टी के डोभ श्रीकोट की रहने वाली अंकिता भंडारी ऋषिकेश के बैराज चीला मार्ग पर गंगापुर भोगपुर में स्थित वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी करती थी. ये रिजॉर्ट बीजेपी नेता विनोद आर्य के बेटे पुलकित का था. अंकिता इस रिजॉर्ट में 28 अगस्त से नौकरी कर रही थी, लेकिन बीती 18 सितंबर को अंकिता रहस्यमय तरीके से लापता हो गई थी. जिसके बाद रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य ने राजस्व पुलिस चौकी में उसकी गुमशुदगी दर्ज कराई. वहीं, 22 सितंबर तक अंकिता का कुछ पता नहीं चला. इसके बाद मामला लक्ष्मणझूला थाना पुलिस को ट्रांसफर कर दिया गया.

जब पुलिस ने जांच की तो वनंत्रा रिजॉर्ट (Vanantra Resort Rishikesh) के संचालक और उसके मैनेजरों की भूमिका सामने आई. रिजॉर्ट के कर्मचारियों से पूछताछ में पता चला कि 18 सितंबर को शाम करीब आठ बजे अंकिता रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य, मैनेजर अंकित और भास्कर के साथ रिजॉर्ट से निकली थी. लेकिन जब वो वापस लौटे तो उनके साथ अंकिता (Receptionist Ankita Bhandari) नहीं थी. इस आधार पर पुलिस ने तीनों को हिरासत में लिया और पूछताछ की, तब जाकर तीनों ने राज उगला. इसके बाद तीनों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने तीनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.

कोटद्वार: उत्तराखंड में अंकिता भंडारी हत्याकांड जैसा ही हत्याकांड साल 2012 में भी हो चुका है. यह घटना भी पौड़ी जनपद के यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र में हुई थी. दुगड्डा ब्लॉक के जमरगड्डी गांव के तोक झमणसार की राजकीय इंटर कॉलेज की छात्रा 17 वर्षीय रचना की 9 अगस्त, 2012 में गांव के आदमी ने हत्या कर दी‌ थी. रचना हत्याकांड के करीब 10 साल बाद 18 सितंबर को अंकिता भंडारी की बेरहमी से हत्या कर दी गई.

दरअसल, साल 2012 में 9 अगस्त को गांव के स्कूल की छुट्टी के बाद रचना घर नहीं पहुंची. 13 अगस्त को रचना का शव गांव से दूर जंगल के एक नाले में सड़ा गला मिला. 14 अगस्त को रचना के शव का पोस्टमार्टम हुआ. शव सड़ा गला होने पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु के कारणों का पता नहीं चल पाया. 14 को ही दाह संस्कार कर दिया गया. पिता ने राजस्व क्षेत्र दुगड्डा में उपनिरीक्षक के यहां रचना की बलात्कार के बाद हत्या का मुकदमा दर्ज करवाया था. 16 अगस्त को राजस्व पुलिस ने तहरीर के आधार पर एक व्यक्ति को गिरफ्तार भी कर लिया.

अंकिता भंडारी केस में सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका- वकील

18 अगस्त को रचना के पिता द्वारा राजस्व पुलिस कार्यप्रणाली पर संदेश जताने पर ग्रामीणों ने हत्या का मामला रेगुलर पुलिस को सौंपने की मांग को लेकर कोटद्वार तहसील में उपजिलाधिकारी को ज्ञापन प्रेषित किया. 22 अगस्त को रचना हत्याकांड का मामला जिलाधिकारी पौड़ी ने रेगुलर पुलिस को सौंप दिया. एक माह बाद 22 सितंबर को पुलिस कार्रवाई में बिलम्ब होने पर ग्रामीणों ने कोटद्वार तहसील में क्रमिक अनशन कर रचना हत्याकांड का मामला सीबीसीआईडी सौंपने की मांग की.

सीबीसीआईडी जांच के बाद भी आरोपी रिहा: ग्रामीणों के जोरदार विरोध के बाद 14 अक्टूबर को न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की गई. 15 अक्टूबर को उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के आदेश पर बलात्कार के बाद हत्या का मामला सीबीसीआईडी को सौंपा गया. 19 अक्टूबर को जांच होने पर ग्रामीणों व सामाजिक संगठनों ने क्रमिक अनशन स्थगित कर दिया. 7 नवम्बर को सीबीसीआईडी की टीम ने दुगड्डा पुलिस चौकी पहुंच कर केस जांच के आदेश लिए. 23 नवम्बर को सीबीसीआईडी की टीम ने झमणसार गांव पहुंच कर ग्रामीणों व परिजनों के बयान दर्ज किए थे.

रचना हत्याकांड के अधिवक्ता अजय पंत ने बताया कि 2 साल तक मामला न्यायालय में चला. सीबीसीआईडी द्वारा न्यायालय में पुख्ता सबूतों को संलग्न न करने पर आरोपी कोर्ट से रिहा हो गया. अधिवक्ता ने बताया कि रचना हत्याकांड में राजस्व पुलिस ने सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर अभियुक्त को बचाने की कोशिश की. मामला रेगुलर पुलिस में आने के बाद भी दुगड्डा पुलिस टीम ने हत्या के मामले में साक्ष्य मिटाने के लिए आरोपी का सहयोग किया.
पढ़ें- ये कैसी जांच? अंकिता हत्याकांड में अंधेरे में SIT का 'वैभव', पटवारी के सीने में दफन हैं कई राज

अधिवक्ता अजय पंत ने बताया 9 अगस्त को रचना दुगड्डा में ही थी और कालेज से आरोपी के वाहन में सवार हो के आई थी. घटना स्थल पर रचना के जूते भी मिले थे. इस मामले में तत्कालीन राजस्व उपनिरीक्षक को निलंबित कर दिया गया था.

अंकिता भंडारी केस में भी सबूतों से छेड़छाड़: अधिवक्ता अजय पंत ने बताया कि अंकिता भंडारी हत्याकाड में भी राजस्व पुलिस व हत्या आरोपी को सबूत मिटाने दिये गये हैं. जबकि न्यायालय सबूतों के आधार पर आरोपियों को दोषी ठहराता है. क्रिमिनल अधिवक्ता शरद चंद गुप्ता कहते हैं कि जांच टीमों के पास साक्ष्यों व सबूतों को कड़ी दर कड़ी जोड़ने के लिए आधुनिक यंत्र नहीं होने पर आरोपी हत्या के मामलों में बरी हो जाते हैं.

शरद चंद गुप्ता कहते हैं कि अंकिता हत्याकांड के मुख्य आरोपियों को न्यायालय सबूतों के आधार पर सजा बरकरार रखता है, तो यह एक पत्थर की लकीर होगी. वैसे मुख्य आरोपी सत्ता पक्ष के हैं, तो लाजमी है कि न्यायालय में पैरवी में सबूतों के साथ छेड़छाड़ किये जाने की संभावना है.
पढ़ें- अंकिता हत्याकांड के बाद टूरिज्म इंडस्ट्री को लगा झटका, बुकिंग्स हो रही कैंसल

रचना हत्याकांड में न्याय दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता सूरज कान्ति ने बताया कि रचना हत्याकांड में सबूतों के न होने पर न्यायालय ने आरोपी को बरी कर दिया. रचना हत्याकांड में सही समय पर जांच टीम घटनास्थल पर सबूतों को संलग्न कर देती तो बहन रचना को आज न्याय मिल पाता. ऐसे में अंकिता भंडारी हत्याकांड में भी सबूतों छेड़छाड़ की गई है. ऐसे में संभव है कि आरोपी भी न्यायालय से बरी हो सकते हैं.

जानिए क्या है अंकिता मर्डर केस: बता दें कि पौड़ी जिले के नांदलस्यू पट्टी के डोभ श्रीकोट की रहने वाली अंकिता भंडारी ऋषिकेश के बैराज चीला मार्ग पर गंगापुर भोगपुर में स्थित वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी करती थी. ये रिजॉर्ट बीजेपी नेता विनोद आर्य के बेटे पुलकित का था. अंकिता इस रिजॉर्ट में 28 अगस्त से नौकरी कर रही थी, लेकिन बीती 18 सितंबर को अंकिता रहस्यमय तरीके से लापता हो गई थी. जिसके बाद रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य ने राजस्व पुलिस चौकी में उसकी गुमशुदगी दर्ज कराई. वहीं, 22 सितंबर तक अंकिता का कुछ पता नहीं चला. इसके बाद मामला लक्ष्मणझूला थाना पुलिस को ट्रांसफर कर दिया गया.

जब पुलिस ने जांच की तो वनंत्रा रिजॉर्ट (Vanantra Resort Rishikesh) के संचालक और उसके मैनेजरों की भूमिका सामने आई. रिजॉर्ट के कर्मचारियों से पूछताछ में पता चला कि 18 सितंबर को शाम करीब आठ बजे अंकिता रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य, मैनेजर अंकित और भास्कर के साथ रिजॉर्ट से निकली थी. लेकिन जब वो वापस लौटे तो उनके साथ अंकिता (Receptionist Ankita Bhandari) नहीं थी. इस आधार पर पुलिस ने तीनों को हिरासत में लिया और पूछताछ की, तब जाकर तीनों ने राज उगला. इसके बाद तीनों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने तीनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.

Last Updated : Oct 18, 2022, 4:20 PM IST
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