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वन्यजीवों के हमलों में अब तक 5 लोगों ने गंवाई जान, 40 लोग घायल

पौड़ी में वन्यजीवों के हमलों में 2020 से अब तक 40 लोगल घायल और 5 लोग अपनी जान गवां चुके हैं.

40 people injured and 5 people lost their lives in wildlife attacks
वन्यजीवों के हमलों में अबतक 40 लोग घायल और 5 लोगों ने गवांई अपनी जान
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Published : Jun 13, 2021, 3:20 PM IST

पौड़ी: पहाड़ों की विकट परिस्थिति के बीच मानव और वन्यजीव के बीच होता संघर्ष पहाड़ वासियों के लिये बेहद ही घातक सिद्ध होता जा रहा है. पौड़ी में 2020 से अब तक वन्यजीवों के हमलों में अब तक 40 लोग घायल और 5 लोग अपनी जान गवां चुके हैं. सबसे अधिक हमले गुलदार द्वारा ही किये गए हैं.

वन विभाग का कहना है कि मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को रोके जाने के लिए वन विभाग की टीम हर संभव प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में गुलदार का अधिक दहशत है, वहां पिंजरा लगाकर गुलदार को पिंजरे में कैद किया जाता है. गुलदार की चहलकदमी पर भी कड़ी नजर रखी जाती है.

पढ़ें-कोटद्वार में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी सिद्धबली गंगा वाटिका

डीएफओ मुकेश शर्मा ने कहा कि वन्यजीव से आपसी संघर्ष में अगर ज्यादा व्यक्ति मारे जाते हैं तो वन विभाग वन्यजीव को मारने की इजाजत आसानी से देता है. उन्होंने कहा कि दमदेवल, थैलीसैण, पोखडा, ऐकेश्वर रेंज मानव वन्यजीव संर्घष के लिहाजे से काफी संवेदनशील भी है. वन कर्मचारियों की मानव वन्यजीव संर्घष को रोकने के लिए सक्रियता से नजर रखी जा रही है.

पौड़ी: पहाड़ों की विकट परिस्थिति के बीच मानव और वन्यजीव के बीच होता संघर्ष पहाड़ वासियों के लिये बेहद ही घातक सिद्ध होता जा रहा है. पौड़ी में 2020 से अब तक वन्यजीवों के हमलों में अब तक 40 लोग घायल और 5 लोग अपनी जान गवां चुके हैं. सबसे अधिक हमले गुलदार द्वारा ही किये गए हैं.

वन विभाग का कहना है कि मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को रोके जाने के लिए वन विभाग की टीम हर संभव प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में गुलदार का अधिक दहशत है, वहां पिंजरा लगाकर गुलदार को पिंजरे में कैद किया जाता है. गुलदार की चहलकदमी पर भी कड़ी नजर रखी जाती है.

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डीएफओ मुकेश शर्मा ने कहा कि वन्यजीव से आपसी संघर्ष में अगर ज्यादा व्यक्ति मारे जाते हैं तो वन विभाग वन्यजीव को मारने की इजाजत आसानी से देता है. उन्होंने कहा कि दमदेवल, थैलीसैण, पोखडा, ऐकेश्वर रेंज मानव वन्यजीव संर्घष के लिहाजे से काफी संवेदनशील भी है. वन कर्मचारियों की मानव वन्यजीव संर्घष को रोकने के लिए सक्रियता से नजर रखी जा रही है.

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