नैनीताल: नैनी झील के संरक्षण और संवर्धन को लेकर जल शक्ति मंत्रालय, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की, वन अनुसंधान संस्थान देहरादून और सेंटर फॉर इकोलॉजी डेवलपमेंट एंड रिसर्च सेंटर के तत्वाधान में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसी बीच नैनी झील की तलहटी में तेजी से कम हो रही ऑक्सीजन की मात्रा, झील में तेजी से बढ़ रही गंदगी और जलस्तर को नियंत्रित किए जाने को लेकर कुमाऊं विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक, स्थानीय निवासी, पर्यावरणविद समेत अन्य लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दीं, ताकि नैनी झील के अस्तित्व को बचाया जा सके.
बैठक में राष्ट्रीय जल शक्ति मिशन के उप निर्देशक करमवीर सिंह ने बताया कि नैनी झील के संरक्षण के लिए सेंटर फॉर एक लॉजिक डिपार्टमेंट के साथ मिलकर 3 वर्ष का कार्य किया जा रहा है, जो दिसंबर 2023 तक पूरा होगा. संयुक्त टीमों द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के आधार पर नैनी झील के अस्तित्व को बचाने के लिए काम किया जाएगा.
इस दौरान उन्होंने बताया नैनीताल विश्व स्तर पर अपनी पर्यटन को लेकर छाप रखता है. लिहाजा नैनीताल शहर में प्रतिवर्ष पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में स्थानीय लोगों के साथ-साथ यहां आने वाले पर्यटकों के लिए पानी समेत अन्य सुविधाओं को लेकर बैठक में चर्चा की गई.
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बैठक के दौरान हुई चर्चा के बिंदुओं को राज्य और केंद्र सरकार के पास रखा जाएगा, ताकि नैनीताल के लिए स्थाई समाधान निकल सके. इस दौरान आईआईटी रुड़की के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर सुमित सेन, करन अधिकारी, सेंटर फॉर इकोलॉजी डेवलपमेंट एंड रिसर्च सेंटर के एक्सक्यूटिव डायरेक्टर विशाल सिंह, प्रोफ़ेसर ग्रीस चंचल तिवारी, प्रोफ़ेसर आशीष तिवारी कुंदन बिष्ट, राजीव लोचन साह, विनोद कुमार पांडेय और निधि साह समेत अन्य लोग मौजूद रहे.
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