रामनगर: अतिरिक्त भूमि संरक्षण वन प्रभाग द्वारा जायका योजना (जापान इंट्रेक्टिव कॉरपोरेशन एजेंसी) के अंतर्गत परंपरागत सिंचाई के लिए जल संरक्षण का कार्य किया जा रहा है. इसको लेकर धुमाकोट रेंज में गांव के गधेरे से पानी का संरक्षण कर जलकुंड बनाया जा रहा है. जिससे गांवों में किसानों को खेत सिंचाई की सुविधा मिलेगी.
इस विषय में जानकारी देते हुए प्रभागीय वनाधिकारी चंद्रशेखर जोशी ने बताया कि जायका योजना के अंतर्गत धुमाकोट रेंज में कुछ गांवों को चयनित किया गया है. जहां सिंचाई के लिए गुल तो बने हैं पर पानी नहीं है, जिसमें हमारे द्वारा अब जो गांव में गदेरे 12 महीने बहते रहते हैं, उन गदेरों के पानी को संरक्षण कर जलकुंड बनाया गया है.
जिसमें हम जल संरक्षण के स्थाई रूप से पानी को वहां पर एकत्रित कर रहे हैं. एकत्रित किए गए पानी से हम खेतों में सिंचाई करवा रहे हैं. आपको बता दें कि सिंचाई विभाग या अन्य स्रोतों से जो नहरें गांव में बनी है. उनसे खेतों में सिंचाई की जाती थी. पहले इन क्षेत्रों में खेती के लिए यहां सिंचाई की जाती थी, जो पानी न होने से किसानों की खेती बंद हो गई थी.
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चंद्रशेखर जोशी ने कहा कि हमने धुमाकोट में जलकुंड बनाए हैं. इस योजना के अंतर्गत बने जलकुंड से वहां के खेतों में सिंचाई हो रही है. जिससे वहां के ग्रामीणों में काफी खुशी है. वहीं, विभाग से अन्य गांवों के ग्रामीण भी खेतों की सिंचाई के लिए जायका योजना के अंतर्गत जलकुंड बनाने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा हम सिंचाई के लिए जायका योजना के अंतर्गत जलकुंड बनाकर परंपरागत सिंचाई को बढ़ावा दे रहे हैं और जल संरक्षण के लिए कार्य कर रहे हैं.