रामनगरः विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क अब नए प्रोजेक्ट के तहत रैप्टर प्रजाति यानी शिकारी पक्षी के संरक्षण के लिए कार्य करने जा रहा है. इस प्रोजेक्ट की शुरुआत कॉर्बेट प्रशासन ने विश्व वन्यजीव कोष के साथ मिलकर की है. जिसके तहत 16 साल बाद गिद्धों और चील की गणना शुरू हो गई है. खासकर शिकारी पक्षियों के संरक्षण और उनकी गणना का काम किया जाएगा. जिसमें विलुप्त होते शिकारी पक्षी जैसे गिद्ध, चील, बाज, फाल्कन आदि की गणना की जाएगी. ताकि, उनकी वास्तविक स्थिति और संख्या का पता लगाया जा सके.
बता दें कॉर्बेट प्रशासन करीब 16 साल बाद शिकारी पक्षियों की गणना करने जा रहा है. जिसमें गिद्ध, चील आदि शिकारी पक्षियों की गणना का काम शुरू कर दिया गया है. इससे पहले साल 2008 में गिद्धों और चीलों की गणना की गई थी. उस दौरान कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में गिद्ध और चीलों की संख्या 346 पाई गई थी. गौर हो कि कॉर्बेट नेशनल पार्क में 9 से ज्यादा प्रजाति के शिकारी पक्षी पाए जाते हैं. जिसमें चमर गिद्ध, राज गिद्ध, काला गिद्ध, जटायु गिद्ध, यूरेशियाई गिद्ध, हिमालयी गिद्ध, रगड़ गिद्ध, देशी गिद्ध आदि शामिल हैं.
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बढ़ते शहरीकरण, रेडिएशन, डिक्लोफेनाक दवा और सिमटते जंगल आदि कई कारणों से शिकारी पक्षियों यानी गिद्धों वगैरह की संख्या में काफी गिरावट आई है. शिकारी पक्षियों में गिद्धों का प्रकृति संतुलन में अहम रोल होता है. इनकी संख्या तेजी से गिरावट आई है. विश्व वन्यजीव कोष के सीनियर ऑफिसर सनी जोशी ने बताया कि शिकारी पक्षियों के संरक्षण को लेकर डब्ल्यूडब्ल्यूएफ (WWF) साल 2019 से पूरे देश में काम कर रहा है. रैप्टर प्रजाति के मामले में उत्तराखंड में पहली बार काम किया जा रहा है.
उन्होंने बताया कि हरिद्वार के राजाजी टाइगर रिजर्व से इसकी शुरुआत की जा चुकी है. वहीं, कॉर्बेट नेशनल पार्क में आज से इनकी गणना शुरू हो चुकी है. जिसमें गिद्धों और ईगल के ऊपर रेकी व सर्वे शुरू कर रहे हैं. जो आगे जाकर इनके संरक्षण के लिए लाभदायक होगा. इसमें जो विलुप्त होते शिकारी पक्षी हैं, उनकी संख्या और उन पर किस चीज का ज्यादा नुकसान है. इसके अलावा उनके संरक्षण के लिए क्या-क्या काम किए जा सकते हैं, उसके अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी.
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वहीं, कॉर्बेट नेशनल पार्क के डायरेक्टर धीरज पांडे ने बताया कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में रैप्टर प्रजाति के संरक्षण को लेकर विश्व वन्यजीव कोष के सहयोग से इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई है. आज से पहले चरण में शिकारी पक्षियों के घोंसलों की रेकी की जाएगी. जहां-जहां पर शिकारी पक्षी पाए जाते हैं, उनके संरक्षण के लिए आगे का रोडमैप तैयार किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह सब कार्य शिकारी पक्षियों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर किया जा रहा है. क्योंकि, पूरे देश में शिकारी पक्षियों की संख्या में लगातार कमी आ रही है, जो चिंता का विषय है.