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कालाढूंगी में एथेनॉल प्लांट का ग्रामीणों ने किया विरोध, लगाया मानकों की हेराफेरी का आरोप

नैनीताल के कोटाबाग में लगाए जाने वाले एथेनॉल प्लांट (ethanol plant) का ग्रामीणों ने विरोध करना शुरू कर दिया है. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में एथेनॉल प्लांट को लगाने के लिए जिन जिन विभागों ने भी अनापत्ति दी है, उनकी रिपोर्ट में सरासर झूठ बोला गया है.

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Published : Sep 7, 2022, 9:53 AM IST

कालाढूंगी: नैनीताल के विकासखंड कोटाबाग की सूरपुर चकलुवा गांव में लगने वाले एथेनॉल प्लांट (ethanol plant) का विरोध फिर होने लगा है. गांव बचाओ संघर्ष समिति (Village Bachao Sangharsh Samiti) के तत्वाधान में सैकड़ों आक्रोशित ग्रामीणों ने तहसील में पहुंचकर एथेनॉल प्लांट का विरोध (protest against ethanol plant) किया. ग्रामीणों ने एसडीएम के सामने अपना विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि, गांव में एथेनॉल प्लांट को लगाने के लिए जिन जिन विभागों ने भी अनापत्ति दी है, उनकी रिपोर्ट में सरासर झूठ बोला गया है.

ग्रामीणों का कहना है कि एथेनॉल प्लांट के यहां लगने से गांव की आबोहवा पर गलत असर पड़ेगा. यह प्लांट आने वाले समय में ग्रामीण क्षेत्र और कालाढूंगी क्षेत्र के लिए घातक साबित होगा. ग्रामीणों का कहना है कि, अगर गांव में यह प्लांट लगेगा तो ग्रामीण हर आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे. इसके बाद जिम्मेदारी प्रशासन की होगी.

ग्रामीणों का कहना है कि वह कई बार शासन-प्रशासन को ज्ञापन दे चुके हैं. मगर उनकी इस समस्या पर कोई संज्ञान नहीं ले रहा है. ग्रामीणों ने एसडीएम को निष्पक्ष तरीके से जांच कराए जाने की मांग की है. बता दें कि वन विभाग, राजस्व विभाग, उद्यान विभाग, सिंचाई विभाग और लोक निर्माण विभाग समेत कई विभागों द्वारा एथेनॉल प्लांट के लिए अपनी अनापत्ति दी है.
ये भी पढ़ेंः मसूरी में पार्क करते समय बस खाई में गिरी, ड्राइवर और कंडक्टर घायल

एथेनॉल है क्या?: एथेनॉल एक खास तरह का ईंधन होता है, जो इको फ्रेंडली माना जाता है. इसे एल्कोहल बेस्ड ईंधन कहा जाता है. इसे बनाने के लिए कॉर्न, गन्ना आदि चीजों का इस्तेमाल किया जाता है. यानी शुगर की अधिकता वाले प्लांट से इसे बनाया जाता है. इसमें कुछ पेट्रोलियम का मिश्रण करके फ्यूल में कन्वर्ट किया जाता है. इससे इसे गाड़ियों के फ्यूल आदि में इस्तेमाल किया जाता है. अभी पेट्रोल आदि में इसका कुछ प्रतिशत मिलाया जा रहा है.

कालाढूंगी: नैनीताल के विकासखंड कोटाबाग की सूरपुर चकलुवा गांव में लगने वाले एथेनॉल प्लांट (ethanol plant) का विरोध फिर होने लगा है. गांव बचाओ संघर्ष समिति (Village Bachao Sangharsh Samiti) के तत्वाधान में सैकड़ों आक्रोशित ग्रामीणों ने तहसील में पहुंचकर एथेनॉल प्लांट का विरोध (protest against ethanol plant) किया. ग्रामीणों ने एसडीएम के सामने अपना विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि, गांव में एथेनॉल प्लांट को लगाने के लिए जिन जिन विभागों ने भी अनापत्ति दी है, उनकी रिपोर्ट में सरासर झूठ बोला गया है.

ग्रामीणों का कहना है कि एथेनॉल प्लांट के यहां लगने से गांव की आबोहवा पर गलत असर पड़ेगा. यह प्लांट आने वाले समय में ग्रामीण क्षेत्र और कालाढूंगी क्षेत्र के लिए घातक साबित होगा. ग्रामीणों का कहना है कि, अगर गांव में यह प्लांट लगेगा तो ग्रामीण हर आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे. इसके बाद जिम्मेदारी प्रशासन की होगी.

ग्रामीणों का कहना है कि वह कई बार शासन-प्रशासन को ज्ञापन दे चुके हैं. मगर उनकी इस समस्या पर कोई संज्ञान नहीं ले रहा है. ग्रामीणों ने एसडीएम को निष्पक्ष तरीके से जांच कराए जाने की मांग की है. बता दें कि वन विभाग, राजस्व विभाग, उद्यान विभाग, सिंचाई विभाग और लोक निर्माण विभाग समेत कई विभागों द्वारा एथेनॉल प्लांट के लिए अपनी अनापत्ति दी है.
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एथेनॉल है क्या?: एथेनॉल एक खास तरह का ईंधन होता है, जो इको फ्रेंडली माना जाता है. इसे एल्कोहल बेस्ड ईंधन कहा जाता है. इसे बनाने के लिए कॉर्न, गन्ना आदि चीजों का इस्तेमाल किया जाता है. यानी शुगर की अधिकता वाले प्लांट से इसे बनाया जाता है. इसमें कुछ पेट्रोलियम का मिश्रण करके फ्यूल में कन्वर्ट किया जाता है. इससे इसे गाड़ियों के फ्यूल आदि में इस्तेमाल किया जाता है. अभी पेट्रोल आदि में इसका कुछ प्रतिशत मिलाया जा रहा है.

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