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ग्रामीणों की पुकार, प्रवासियों को रोजगार दे सरकार - कोटाबाग ब्लॉक प्रवासी

लॉकडाउन के कारण बहुत से लोगों ने अपना रोजगार खो दिया है. ऐसे प्रवासी वापस अपने गांव लौट रहे हैं. ग्रामीणों ने गांव लौट रहे प्रवासियों के लिए रोजगार की मांग की है.

ग्रामीणों ने की सरकार से रोजगार की मांग.
Villagers demand for employment
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Published : Jun 4, 2020, 2:17 PM IST

Updated : Jun 4, 2020, 7:52 PM IST

रामनगर: सालों से लोग पहाड़ी क्षेत्रों से शहरों की तरफ पलायन करते रहे हैं. लाखों लोग पहाड़ में स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य सुविधाएं न होने के चलते शहरों की तरफ रुख कर लेते हैं. आज कोरोना संक्रमण से ही सही पर लोग अपने-अपने घरों की तरफ लौट रहे हैं. इससे पहाड़ के पहाड़ आबाद हो गए हैं. ऐसे में अगर इन लोगों को यहां रोजगार मिल जाए तो रिवर्स माइग्रेशन राज्य की आर्थिकी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

ग्रामीणों ने प्रवासियों के लिये मांगा रोजगार.

बता दें कि, रोजगार के लिए पलायन देशभर में होता है लेकिन उत्तराखंड से होने वाला पलायन इसलिए भी भयावह हो गया क्योंकि यहां के गांवों से गए लोग कभी वापस नहीं लौटे. अब इस महामारी के चलते रिवर्स माइग्रेशन के रूप में राज्य सरकार को एक बेहतरीन मौका मिला है. ऐसा ही एक गांव कोटाबाग ब्लॉक के अंतर्गत डॉन परेवा है. रोजगार नहीं होने के चलते आधे से ज्यादा गांव खाली हो गया था. लेकिन आज पूरा गांव आबाद हो चुका है.

पढ़ें- पौड़ी SSP गीत गाकर लोगों को कर रहे कोरोना के प्रति जागरूक

गांव में वापस आए प्रवासियों का कहना है कि अगर उन्हें यहीं रोजगार मिल जाए तो वो बाहर नहीं जाएंगे. गांव के ही सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य जगदीश जोशी का कहना है कि कोटाबाग ब्लॉक के अमगड़ी, बोहराकोट, डॉन परेवा गांव बंजर हो चुके थे. कोरोना काल में आज ये गांव आबाद हो गए हैं. अगर सरकार वापस लौट रहे लोगों के रोजगार के बारे में सोचे तो इन्हें यहीं रोका जा सकता है.

रामनगर: सालों से लोग पहाड़ी क्षेत्रों से शहरों की तरफ पलायन करते रहे हैं. लाखों लोग पहाड़ में स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य सुविधाएं न होने के चलते शहरों की तरफ रुख कर लेते हैं. आज कोरोना संक्रमण से ही सही पर लोग अपने-अपने घरों की तरफ लौट रहे हैं. इससे पहाड़ के पहाड़ आबाद हो गए हैं. ऐसे में अगर इन लोगों को यहां रोजगार मिल जाए तो रिवर्स माइग्रेशन राज्य की आर्थिकी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

ग्रामीणों ने प्रवासियों के लिये मांगा रोजगार.

बता दें कि, रोजगार के लिए पलायन देशभर में होता है लेकिन उत्तराखंड से होने वाला पलायन इसलिए भी भयावह हो गया क्योंकि यहां के गांवों से गए लोग कभी वापस नहीं लौटे. अब इस महामारी के चलते रिवर्स माइग्रेशन के रूप में राज्य सरकार को एक बेहतरीन मौका मिला है. ऐसा ही एक गांव कोटाबाग ब्लॉक के अंतर्गत डॉन परेवा है. रोजगार नहीं होने के चलते आधे से ज्यादा गांव खाली हो गया था. लेकिन आज पूरा गांव आबाद हो चुका है.

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गांव में वापस आए प्रवासियों का कहना है कि अगर उन्हें यहीं रोजगार मिल जाए तो वो बाहर नहीं जाएंगे. गांव के ही सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य जगदीश जोशी का कहना है कि कोटाबाग ब्लॉक के अमगड़ी, बोहराकोट, डॉन परेवा गांव बंजर हो चुके थे. कोरोना काल में आज ये गांव आबाद हो गए हैं. अगर सरकार वापस लौट रहे लोगों के रोजगार के बारे में सोचे तो इन्हें यहीं रोका जा सकता है.

Last Updated : Jun 4, 2020, 7:52 PM IST
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