नैनीतालः आजादी के सात दशक और राज्य गठन के 20 साल के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पाई हैं. आज भी सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे बुनियादी सुविधाओं से ग्रामीण महरूम हैं. सरकार भले ही हर गांव को सड़क सुविधा से जोड़ने के लाख दावे और वादे कर रही है, लेकिन सरकार के इन दावों और वादों की जमीनी हकीकत खोखली साबित हो रही है. इसकी बानगी नैनीताल जिले के दूरस्थ ब्लॉक ओखल कांडा के पजेना कूकना गांव में देखने को मिल रही है.
पजेना कूकना गांव में एक अदद पुल नहीं बन पाया है. ऐसे में ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार कर आवाजाही करने को मजबूर हैं. अभीतक 3 लोग नदी में बहकर जान भी गंवा चुके हैं. दरअसल, पजेना कूकना गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने वाला पुल अभी नहीं बन पाया है. जिसकी वजह से स्थानीय ग्रामीणों को रोजाना नदी पार कर अपने गंतव्यों तक पहुंचना पड़ता है.
ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के दिनों में गांव के बच्चे, बूढ़े और सभी ग्रामीण जान हथेली पर रखकर नदी पार करते हैं. इतना ही नहीं पुल न होने की वजह से गांव में होने वाली फल, सब्जी और फसल भी बाजार नहीं पहुंच पाती है. जिससे नकदी फसल बर्बाद हो जाती है. ऐसे में ग्रामीणों को काफी आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. वहीं ईटीवी भारत गांव की समस्या को लंबे समय से प्रमुखता से उठाता रहा है.
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वहीं, ग्रामीण का कहना है कि पुल न होने की वजह से कई बार उनके मवेशियां नदी में बह जाते हैं. अभी तक 3 ग्रामीण नदी में बहकर अपनी जान भी गंवा चुके हैं, लेकिन राज्य सरकार उनकी इस समस्या की तरफ गंभीर नहीं है. हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गांव में पुल बनाने के लिए स्वीकृति दी थी और पुल निर्माण के लिए टोकन मनी तक जारी की थी. लेकिन विडंबना देखिए आज तक पुल बनने की दिशा में कोई कार्य नहीं हुआ. जिससे ग्रामीणों में खासा रोष है, उन्होंने सरकार से जल्द पुल बनाने की मांग की है.