हल्द्वानी: पंचायती राज मंत्री और शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे को ग्राम प्रधान संगठन अध्यक्ष रुक्मणी नेगी के नेतृत्व में ग्राम प्रधानों ने काले झंडे दिखाए. ग्राम प्रधानों ने गो बैक के नारे लगाते हुए जमकर विरोध-प्रदर्शन किया. इस दौरान पुलिस सभी प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेते हुए लालकुआं कोतवाली ले गई. वहां सभी को निजी मुचलके पर छोड़ दिया गया. इस दौरान रुक्मणी नेगी ने कैबिनेट मंत्री पर मांगों पर गौर न करने का आरोप लगाया है.
ग्राम प्रधान संगठन द्वारा विरोध को देखते हुए प्रशासन में खलबली मच गई. पुलिस के आला अधिकारी और एसडीएम ने किसी तरह से मामले को शांत कराया. ग्राम प्रधान संगठन की अध्यक्ष रुक्मणी नेगी का कहना है कि 12 सूत्रीय मांगों को लेकर पंचायत प्रतिनिधि पिछले कई सालों से पंचायती राज मंत्री से मुलाकात कर रहे हैं. लेकिन मंत्री द्वारा मांगों पर कोई सुनवाई नहीं की जा रही है. यहां तक कि ग्राम प्रधान संगठन पिछले 10 दिनों से ब्लॉक में तालाबंदी कर विरोध-प्रदर्शन कर रहा है.
पढ़ें- कोरोना की तीसरी लहर को लेकर मुस्तैद सरकार, CM ने व्यवस्थाओं को मुकम्मल करने के दिए निर्देश
इसके बाद भी प्रदेश सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है. मजबूरन उन्हें मंत्री को काले झंडे दिखाकर विरोध-प्रदर्शन करना पड़ा. फिलहाल मंत्री को काले झंडे दिखाने और विरोध करने पर पुलिस-प्रशासन और जिला-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं.
ग्राम प्रधान संगठन की पहली मांग कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) को 2,500 प्रतिमाह प्रत्येक ग्राम पंचायत से दिए जाने का आदेश शीघ्र वापस लिया जाए और प्रत्येक ग्राम पंचायत स्वयं अपने काम करने में सक्षम है. ग्राम प्रधान संगठन की दूसरी मांग- 15 वें वित्त में हो रही भारी कटौती पर शीघ्र रोक लगाने और पूर्व की भांति 15वें वित्त में कंटीन्जेसी की राशि 10% रखे जाने की है. ग्राम प्रधान संगठन की तीसरी मांग 73वें संविधान संशोधन के प्रावधानों को लागू करते हुए 29 विषयों को शीघ्र ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित करने की है.
ग्राम प्रधान संगठन की चौथी मांग ग्राम प्रधानों का मानदेय 1,500 से बढ़ाकर 10,000 किया जाए तथा ₹5,000 मासिक पेंशन के रूप में दिए जाने की है. ग्राम प्रधान संगठन की पांचवीं मांग मनरेगा के कार्य दिवस प्रति परिवार 100 दिन से बढ़ाकर 200 दिन प्रतिवर्ष किया जाए, ताकि कोविड की महामारी से पंचायतों में बेरोजगारी बढ़ चुकी है, जिससे उन्हें रोजगार दिया जा सके. ग्राम प्रधान संगठन की छठवीं मांग ग्राम पंचायतों में पंचायतों के जेई एवं कंप्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति शीघ्र करने की है. जिससे ग्राम पंचायतों में निर्माण कार्यों को गति मिल सके.
ग्राम प्रधान संगठन की सातवीं मांग ग्राम विकास विभाग एवं ग्राम पंचायत विभाग का पूर्व की भांति एकीकरण की है, जिससे कम से कम ग्राम पंचायतें एक ग्राम विकास अधिकारी/ग्राम पंचायत अधिकारी को मिल सके. ग्राम प्रधान संगठन की आठवीं मांग विधायक निधि/सांसद निधि को आधार मानते हुए, ग्राम पंचायतों को भी 5 लाख रुपये प्रतिवर्ष ग्राम पंचायत निधि की व्यवस्था की जाए, जिसे ग्राम पंचायत अपने स्तर से विकास कार्यों में खर्च कर सके. ग्राम प्रधान संगठन की नौवीं मांग ग्राम पंचायत को आपदा मद से प्रतिवर्ष 5 लाख रुपये की धनराशि दी जाए, जिससे ग्राम पंचायतों में दैवीय आपदा से हुए सरकारी संपत्ति, व ग्रामीणों को व्यक्तिगत नुकसान के लिए आर्थिक सहायता व निर्माण कार्य हो सके.
ये भी पढ़ें: 12 सूत्रीय मांगों को लेकर ग्राम प्रधान संगठन ने ब्लॉक कार्यालय में की तालाबंदी
ग्राम प्रधान संगठन की दसवीं मांग ग्राम पंचायत में किसी भी विभाग द्वारा किए जाने वाले विकास कार्य एवं अन्य कार्य में ग्राम पंचायत की खुली बैठक का प्रस्ताव एवं अनुमति को अनिवार्य किया जाए, जिससे कि विवाद उत्पन्न ना हो. ग्राम प्रधान संगठन की ग्यारहवीं मांग प्रधानमंत्री आवास योजना में तहत चयनित ग्राम पंचायतों के लाभार्थियों को अतिशीघ्र धनराशि दी जाय व फरवरी 2019 के बाद बंद हुई आवासों की ऑनलाइन प्रक्रिया दोबारा शुरू की जाए, ताकि अन्य पात्र व्यक्तियों को भी इस योजना का लाभ मिल सके. ग्राम प्रधान संगठन की बारहवीं मांग कोरोना संक्रमण के कारण ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 2 वर्ष बढ़ाया जाए.