नैनीतालः चमोली के हेलंग में घस्यारी महिलाओं के साथ बदसलूकी के मामले ने नया जन आंदोलन खड़ा कर दिया है. अभी तक लगा रहा था कि यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया है, लेकिन अब मामला तूल पकड़ता जा रहा है. इतना ही नहीं हेलंग में घस्यारी महिलाओं से अभद्रता मामले को लेकर उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी सड़कों पर उतर गए हैं. जी हां, नैनीताल में हेलंग एकजुटता मंच उत्तराखंड की ओर से विशाल रैली निकाली गई. साथ ही प्रदर्शनकारियों ने कुमाऊं कमिश्नर कार्यालय के माध्यम से सीएम धामी के नाम ज्ञापन भेजा और दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
दरअसल, उत्तराखंड के कोने-कोने से पहुंचे करीब 400 से ज्यादा आंदोलनकारियों ने नैनीताल माल रोड पर सरकार की नीतियों के विरोध में जुलूस निकाला और सरकार विरोधी नारेबाजी की. हेलंग एकजुटता मंच उत्तराखंड के सदस्य राजीव लोचन शाह ने कहा कि प्रदर्शन में 20 से ज्यादा संगठनों के वन गुर्जर, महिला संगठन, कुलसारी, चमोली, थराली, मुनस्यारी, उधम सिंह नगर समेत विभिन्न जिलो से लोग नैनीताल में एकत्र हुए हैं. उनका कहना है कि चमोली के हेलंग में अपने अधिकारों के तहत जंगल से घास काटने गई महिलाओं के साथ पुलिस और सीआईएसएफ ने अभद्रता की. जो बेहद शर्मनाक है.
लिहाजा, महिलाओं से मारपीट और अभद्रता करने वाले पुलिस और सीआईएसएफ कर्मियों पर मुकदमा दर्ज कर डीएम चमोली को तत्काल उनके पद से हटाया जाए. वन संरक्षण अधिनियम 1980 (Forest Conservation Act 1980) और वन अधिकार कानून 2006 (Forest Rights Act 2006) का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाए. साथ ही क्षेत्र में काम कर रही परियोजना निर्माता कंपनी टीएचडीसी पर भी नदी में मलबा डालने, पेड़ काटने के मामले में मुकदमा दर्ज हो. साथ ही उनके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाए.
इस दौरान संगठन के लोगों ने पंचेश्वर डैम परियोजना (Pancheshwar Dam Project), टनकपुर फोर लेन सड़क निर्माण में किसानों की कटी भूमि का मुआवजा दिलाने, महिलाओं की क्षैतिज आरक्षण समाप्त (Horizontal Reservation for Women) मामले में सरकार की ओर से कोर्ट में पक्ष न रखने पर नाराजगी जताई. साथ ही सरकारी संस्थाओं के निजीकरण, उत्तराखंड में भू कानून (Uttarakhand Land Law) लागू करने और पहाड़ों समेत अति संवेदनशील क्षेत्रों में तेजी से हो रहे अवैध निर्माण को रोकने की मांग की.
प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि सरकार अपनी नीतियों से उत्तराखंड को गर्त में ले जा रही है. लिहाजा, एक बार फिर से प्रदेश के आम जनता और आंदोलनकारियों को एकजुट कर सत्तासीन सरकार को नींद से जगाने का काम किया जाएगा. इस दौरान डॉ उमा भट्ट, दिनेश उपाध्याय, चंपा उपाध्याय, भारती जोशी, ममता चिलवाल, शीला रजवार, विनोद जोशी समेत अन्य लोग मौजूद रहे.
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उपपा ने लगाया प्राकृतिक संसाधनों को बेचने का आरोपः उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने भी सरकार को आड़े हाथों लिया है. उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कहा कि उत्तराखंड के प्राकृतिक संसाधनों और नौकरियों की लूट बेरोजगारों और जनता के भविष्य के साथ मजाक है. जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. पीसी तिवारी ने कहा कि सरकारों ने उत्तराखंड की जमीनें पहले ही जिंदल जैसे माफियाओं, पूंजीपतियों को सौंप दी है. जिसमें खेती किसानी चौपट हो चुकी है. सरकारी नौकरियां भ्रष्ट, बेईमान लोगों के हाथों पर है. इन घोटालों के जिम्मेदार लोगों को सजा मिलनी चाहिए.
क्या था मामलाः गौर हो कि बीती 15 जुलाई को जोशीमठ के हेलंग गांव में घास लेकर आ रही कुछ घस्यारी महिलाओं से पुलिस और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवानों ने उनके बोझे को छीनने का प्रयास किया था. जिसका वीडियो जमकर वायरल हुआ. वायरल वीडियो में एक महिला रोती नजर आ रही थी. जबकि, दूसरी महिला से घास का बोझा छीनने का प्रयास किया जा रहा था.
वीडियो वायरल होने के बाद मामले ने तूल पकड़ा और प्रदेशभर में पुलिस के इस रवैये को लेकर रोष देखने को मिला. मामला वन पंचायत की भूमि से जुड़ा है. जहां पीपलकोटी विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना के तहत हेलंग में सुरंग बनाने का कार्य कर रही कंपनी खेल मैदान बनाने के नाम पर डंपिंग जोन बना रही है.
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मामले में लोगों ने कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए तो पुलिस ने अपने बयान में कहा कि यहां पर खेल मैदान का निर्माण किया जा रहा है. जिस पर ग्राम सभा हेलंग की मंजूरी है. कार्यदायी संस्था टीएचडीसी की ओर से हेलंग गांव में डंपिंग यार्ड बनाया जा रहा है. जिसको बाद में खेल मैदान बनाकर ग्रामीणों के सुपुर्द कर दिया जाएगा, लेकिन हेलंग गांव के कई ग्रामीणों डंपिंग यार्ड बनाने का विरोध कर रहे हैं.
बताया जा रहा है कि इस सरकारी जमीन पर कुछ ग्रामीणों ने गोशाला बना रखी है, जिसकी वजह से वो डंपिंग यार्ड का विरोध कर रहे हैं. बीते दिनों तहसीलदार के साथ पुलिस बल मौके पर पहुंची और निर्माण कार्य का विरोध कर रहे लोगों से बातचीत कर मामला सुलझाने की कोशिश की. प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों का कहना था कि जिस हेलंग गांव की जिस भूमि पर डंपिंग यार्ड का विरोध हो रहा है, वो सरकारी भूमि है.
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