हल्द्वानी: उत्तराखंड कृषि उत्पादन मंडी अधिनियम को उत्तर प्रदेश की तर्ज पर करने की मांग उठने लगी है. इसको लेकर उत्तराखंड राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सचिन गोयल ने सरकार से मांग की है. राइस मिलर्स एसोसिएशन का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों को राहत देने के साथ-साथ प्रसंस्करण इकाइयों को मंडी शुल्क और विकास सेस में छूट देने की घोषणा की है. जिससे प्रसंस्करण इकाइयां किसानों से सीधी मंडी उपज खरीद सकेंगे. जिसके लिए उन्हें किसी भी प्रकार का मंडी शुल्क नहीं देना होगा.
सचिन गोयल ने कहा उत्तराखंड की सभी राइस फ्लोर मिल कच्चे माल के लिए उत्तर प्रदेश की मंडियों पर निर्भर है और ज्यादातर इकाइयां उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर स्थापित है. ऐसे हालातों में उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के मंडी शुल्क नियमों में काफी भिन्नता है. जिसकी वजह से उत्तराखंड के उद्योग आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं.
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राइस मिलर्स एसोसिएशन ने मांग की है कि उत्तराखंड में भी उत्तर प्रदेश की तर्ज पर मंडी शुल्क 1% किया जाए. यही नहीं चावल को उत्तराखंड कृषि उत्पाद विकास एवं विनियमन अधिनियम कृषि उत्पाद की सूची से बाहर किया जाए. राइस मिलर्स के मुताबिक उत्तर प्रदेश की तर्ज पर प्रसंस्करण इकाइयों द्वारा किसानों से सीधे खरीद करने पर मंडी शुल्क एवं विकास सेस की छूट प्रदान की जाए जैसा कि उत्तर प्रदेश में किया गया है.
पूर्व अध्यक्ष प्रांतीय व्यापार मंडल नवीन वर्मा ने कहा जिस तरह उत्तराखंड में सौतेला व्यवहार व्यापारियों के साथ किया जा रहा है. ऐसे में व्यापारी और राइस मिलर किस तरीके से सरवाइव कर पाएगा, इसलिए उत्तराखंड सरकार से अनुरोध है कि सरकार इसमें कुछ ना कुछ निर्णय जरूर करे. अगर ऐसा नहीं हुआ तो राइस मिल बंद होने की कगार पर आ जाएंगे.