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बाजपुर पिपलिया कांड: HC ने कुणाल गोयल की गिरफ्तार पर लगाई रोक, सरकार से भी मांग जवाब

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Published : May 26, 2022, 9:39 PM IST

बाजपुर के चर्चित पिपलिया कांड के मामले में गुरुवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में कोर्ट ने आरोपी बनाए गए कुणाल गोयल की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है.

Uttarakhand High Court
उत्तराखंड हाईकोर्ट

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बाजपुर के चर्चित पिपलिया कांड में आरोपी बनाए गए कुणाल गोयल की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए सरकार से 8 जून तक जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की एकलपीठ में हुई.

मामले के अनुसार 26 अप्रैल की रात पिपलिया में स्टोन क्रशर के कारोबार में अविनाश शर्मा के पक्ष के एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिसकी रिपोर्ट 27 अप्रैल की सुबह 4 बजे तेजेंद्र सिंह ने नेत्रपाल व दर्पण शर्मा आदि के खिलाफ दर्ज कराई. इनके खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया. उसी सुबह 4 बजकर 44 मिनट पर नेत्रपाल ने अविनाश शर्मा व 12 अन्य के खिलाफ आईपीसीकी धारा 323, 452, 504 व 506 के तहत मुकदमा दर्ज किया. लेकिन शाम को नेत्रपाल ने इस रिपोर्ट में 452 के स्थान पर आईपीसीकी धारा 395 (लूट) जुड़वा दी.
पढ़ें- हरिद्वार में वकील के बेटे ने युवक को मारी गोली, पीड़ित बोला- खुद ही लूंगा बदला

मामले की विवेचना के दौरान पुलिस ने इस मामले में कुणाल गोयल को भी पुलिस ने नामजद किया, जिसे गलत ठहराते हुए कुणाल ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने व गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की. कुणाल की याचिका में कहा गया है कि वह घटना के समय न तो मौके पर था और न ही एफआईआर में वह नामजद है. इस आधार पर कोर्ट ने कुणाल की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी जाए.

इस मामले में याची के अधिवक्ता संदीप तिवारी ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 का उल्लेख करते हुए अदालत को बताया कि किसी संज्ञेय अपराध की एफआईआर एक ही बार दर्ज होती है और दंड प्रक्रिया संहिता 1973 के मुताबिक एफआईआर में छेड़छाड़ भी नहीं की जा सकती, लेकिन इस मामले में पुलिस ने इस संहिता का उल्लंघन करते हुए एफआईआर में छेड़छाड़ की है. इस मामले में हाईकोर्ट ने पूर्व में ही सम्बंधित पुलिस अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बाजपुर के चर्चित पिपलिया कांड में आरोपी बनाए गए कुणाल गोयल की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए सरकार से 8 जून तक जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की एकलपीठ में हुई.

मामले के अनुसार 26 अप्रैल की रात पिपलिया में स्टोन क्रशर के कारोबार में अविनाश शर्मा के पक्ष के एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिसकी रिपोर्ट 27 अप्रैल की सुबह 4 बजे तेजेंद्र सिंह ने नेत्रपाल व दर्पण शर्मा आदि के खिलाफ दर्ज कराई. इनके खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया. उसी सुबह 4 बजकर 44 मिनट पर नेत्रपाल ने अविनाश शर्मा व 12 अन्य के खिलाफ आईपीसीकी धारा 323, 452, 504 व 506 के तहत मुकदमा दर्ज किया. लेकिन शाम को नेत्रपाल ने इस रिपोर्ट में 452 के स्थान पर आईपीसीकी धारा 395 (लूट) जुड़वा दी.
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मामले की विवेचना के दौरान पुलिस ने इस मामले में कुणाल गोयल को भी पुलिस ने नामजद किया, जिसे गलत ठहराते हुए कुणाल ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने व गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की. कुणाल की याचिका में कहा गया है कि वह घटना के समय न तो मौके पर था और न ही एफआईआर में वह नामजद है. इस आधार पर कोर्ट ने कुणाल की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी जाए.

इस मामले में याची के अधिवक्ता संदीप तिवारी ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 का उल्लेख करते हुए अदालत को बताया कि किसी संज्ञेय अपराध की एफआईआर एक ही बार दर्ज होती है और दंड प्रक्रिया संहिता 1973 के मुताबिक एफआईआर में छेड़छाड़ भी नहीं की जा सकती, लेकिन इस मामले में पुलिस ने इस संहिता का उल्लंघन करते हुए एफआईआर में छेड़छाड़ की है. इस मामले में हाईकोर्ट ने पूर्व में ही सम्बंधित पुलिस अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है.

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