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विधानसभा और सचिवालय में हुए अवैध नियुक्ति का मामला, HC ने विस सचिव से मांगा जवाब

उत्तराखंड विधानसभा और सचिवालय में हुई अवैध नियुक्ति मामले में हाईकोर्ट ने विस सचिव मुकेश सिंघल से जवाब मांगा है. मामले के अनुसार साल 2000 के बाद से अब तक हुई नियुक्तियां अवैध हैं. मामले में डॉ बैजनाथ ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है.

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Published : Jan 10, 2023, 3:01 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने विधानसभा और सचिवालय में साल 2000 से अब तक हुई अवैध नियुक्तियों और सचिव विधानसभा की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका (Petition filed against appointment of secretary assembly) पर सुनवाई की. मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने विधानसभा सचिव विधानसभा मुकेश सिंघल को नोटिस (Notice to Assembly Secretary Mukesh Singhal) जारी कर जवाब पेश करने को कहा है.

याचिका में केंद्र सरकार, राज्य सरकार, सचिव कार्मिक, चुनाव आयोग भारत सरकार, राज्य चुनाव आयोग, गृह सचिव, वित्त सचिव, सीबीआई, मुख्यमंत्री, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष यशपाल आर्य, गोविंद सिंह कुंजवाल और प्रेमचंद अग्रवाल को भी पक्षकार बनाया गया है. कोर्ट ने इन्हें याचिका से हटाने को कहा है. मामले में देहरादून निवासी डॉ बैजनाथ ने जनहित याचिका दायर किया. जिसमें विधानसभा और सचिवालय में सन 2000 से अबतक सैकड़ों अवैध नियुक्तियां की गई है.

वर्ष 2001 में 53, 2002 में 28, 2003 में 5, 2004 में 18, 2005 में 8, 2006 में 21, 2007 में 27, 2008 में 1, 2013 में 1, 2014 में 7, 2016 में 149, 2020 में 6 और 2021 में 72 कुल 396 नियुक्तियां की गई है. जिनके लिए कोई विज्ञप्ति जारी नहीं हुई. लोगों के प्रार्थना पत्र में उन्हें नियुक्ति दे दी गईं.
ये भी पढ़ें: नैनीताल हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने मुख्य न्यायाधीश को भेजा प्रस्ताव, जोशीमठ पर संज्ञान लेने का अनुरोध

यही नहीं सचिव विधानसभा मुकेश सिंघल की नियुक्ति भी नियम विरुद्ध तरीके से की गई है. जब इसकी जांच विधानसभा अध्यक्ष द्वारा तीन सदस्यी कमेटी गठित से कराई गई तो जांच में कमेटी ने सभी नियुक्तियां और सचिव की नियुक्ति को भी नियम विरुद्ध बताया, जिसके बाद 2016 के बाद के नियुक्त कर्मचारियों को हटा दिया गया. जनहित याचिका में 2000 से अब तक और सचिव की नियुक्ति को रद्द करने की कोर्ट से प्रार्थना की गई.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने विधानसभा और सचिवालय में साल 2000 से अब तक हुई अवैध नियुक्तियों और सचिव विधानसभा की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका (Petition filed against appointment of secretary assembly) पर सुनवाई की. मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने विधानसभा सचिव विधानसभा मुकेश सिंघल को नोटिस (Notice to Assembly Secretary Mukesh Singhal) जारी कर जवाब पेश करने को कहा है.

याचिका में केंद्र सरकार, राज्य सरकार, सचिव कार्मिक, चुनाव आयोग भारत सरकार, राज्य चुनाव आयोग, गृह सचिव, वित्त सचिव, सीबीआई, मुख्यमंत्री, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष यशपाल आर्य, गोविंद सिंह कुंजवाल और प्रेमचंद अग्रवाल को भी पक्षकार बनाया गया है. कोर्ट ने इन्हें याचिका से हटाने को कहा है. मामले में देहरादून निवासी डॉ बैजनाथ ने जनहित याचिका दायर किया. जिसमें विधानसभा और सचिवालय में सन 2000 से अबतक सैकड़ों अवैध नियुक्तियां की गई है.

वर्ष 2001 में 53, 2002 में 28, 2003 में 5, 2004 में 18, 2005 में 8, 2006 में 21, 2007 में 27, 2008 में 1, 2013 में 1, 2014 में 7, 2016 में 149, 2020 में 6 और 2021 में 72 कुल 396 नियुक्तियां की गई है. जिनके लिए कोई विज्ञप्ति जारी नहीं हुई. लोगों के प्रार्थना पत्र में उन्हें नियुक्ति दे दी गईं.
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यही नहीं सचिव विधानसभा मुकेश सिंघल की नियुक्ति भी नियम विरुद्ध तरीके से की गई है. जब इसकी जांच विधानसभा अध्यक्ष द्वारा तीन सदस्यी कमेटी गठित से कराई गई तो जांच में कमेटी ने सभी नियुक्तियां और सचिव की नियुक्ति को भी नियम विरुद्ध बताया, जिसके बाद 2016 के बाद के नियुक्त कर्मचारियों को हटा दिया गया. जनहित याचिका में 2000 से अब तक और सचिव की नियुक्ति को रद्द करने की कोर्ट से प्रार्थना की गई.

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