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कॉर्बेट पार्क में हाथी कॉरिडोर मामले में HC में सुनवाई, कोर्ट ने सरकार से मांगी रिपोर्ट

इंडिपेंडेंट मेडिकल इनिशिएटिव संस्था की तरफ से हाथी कॉरिडोर की सुरक्षा को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जिसमें कोर्ट ने सरकार के पूछा कि उन्होंने पूर्व में जो आदेश दिए थे, उस पर कितना अमल किया गया. इस पर विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाए.

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Published : Dec 8, 2022, 5:39 PM IST

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नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इंडिपेंडेंट मेडिकल इनिशिएटिव संस्था की जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने सरकार और सचिव वन से यह बताने को कहा है कि हाथी कॉरिडोर की सुरक्षा के लिए पूर्व में दिए गए दिशा निर्देशों का कितना अनुपालन हुआ है, इसकी रिपोर्ट 27 फरवरी तक रिपोर्ट पेश करें. मामले की अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी.

8 दिसंबर को सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि इन दिशा निर्देशों का पालन करने की पावर केंद्र सरकार के वाइल्ड लाइफ बोर्ड को है, जो सरकार ने भेजी है. जिसकी रिपोर्ट अभी नहीं आई. याचिकाकर्ता ने कोर्ट को अवगत कराया कि सरकार ने अभी तक पूर्व में दिए गए दिशा निर्देशों का अनुपालन नहीं किया.

  • पूर्व में कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वह रामनगर मोहान रोड पर जिम कॉर्बेट पार्क से लगते हुए हाथी कॉरिडोर वाले इलाके को इको सेंसिटिव जोन का दर्जा देने पर विचार करे.
  • कोर्ट ने भारत सरकार और राज्य सरकार को आदेश दिया था कि रामनगर-मोहान रोड पर पड़ने वाले हाथी कॉरिडोर के इलाकों में अब नए होटल, रिजॉर्ट और रेस्टोरेंट जैसे निर्माणों की किसी भी रूप में अनुमति न दें.
  • हाथियों के पारंपरिक कॉरिडोर जो कि प्रोजेक्ट एलीफेंट द्वारा इस इलाके में सीमांकन किए गए हैं, उनका तुरंत संरक्षण शुरू करें.
  • मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक उत्तराखंड, डीएफओ रामनगर, डीएफओ अल्मोड़ा और निदेशक कॉर्बेट पार्क को आदेशित किया था कि एलीफेंट कॉरिडोर वाली रोड पर रात्रि में 10 बजे से सुबह 4 बजे तक पर्याप्त नाइट गार्ड की व्यवस्था की जाए. ताकि हाथी आसानी से कोसी नदी तक पहुंच सकें और अवांछित रात्रि ट्रैफिक पर लगाम लगाएं.
  • भारत सरकार और राज्य सरकार को आदेशित किया था कि इन इलाके में हाथियों के आवाजाही के लिए अंडरपास की व्यवस्था किए बिना भविष्य में किसी सड़क का निर्माण न किया जाय.
  • हाथियों को सड़क पार करते समय वन विभाग द्वारा मिर्च पाउडर का प्रयोग करने पर रोक लगा दी गई थी जो कि जारी है और पुनः आदेश किया था कि हाथियों को सड़क पर आने से रोकने के लिए अमानवीय तरीकों का प्रयोग किसी भी हाल में न किया जाए. इन निर्देशों का पालन करने की जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों की होगी. लेकिन आज तक इनका अनुपालन नहीं हुआ.

मामले के अनुसार दिल्ली की इंडिपेंडेंट्स मेडिकल इंटीवेट सोसाइटी ने इस मामले में जनहित याचिका दायर की थी. इसमें कहा था कि प्रदेश के 11 हाथी कॉरिडोर मार्गों पर अतिक्रमण कर वहां व्यावसायिक भवन बनाए जा चुके हैं. इसमें तीन हाथी कॉरिडोर रामनगर-मोहान सीमा से लगते हुए 27 किमी लंबे हाईवे पर स्थित हैं. जबकि रामनगर के ढिकुली क्षेत्र में पड़ने वाले कॉरिडोर में 150 से अधिक व्यावसायिक निर्माण चल रहे है और उक्त परिक्षेत्र पूरी तरह बंद हो चुका है.

अल्मोड़ा जिले के मोहान क्षेत्र में निर्माण होने से रात्रि में वाहनों की आवाजाही के चलते हाथियों को कोसी नदी में पहुंचने में बाधा हो रही है. एक परिपक्व हाथी को प्रतिदिन 225 लीटर पानी की आवश्यकता होती है. व्यावसायिक भवनों में रात्रि में होने वाली शादियों और पार्टी में बजने वाले संगीत से वन्यजीवों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है.

जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि वन विभाग द्वारा जंगलों में मानव दखलंदाजी को रोकने के बजाय हाथियों को हाईवे पर आने से रोका जा रहा है. इसमें मिर्च पाउडर और पटाखों का प्रयोग भी किया जा रहा है. इससे हाथियों के व्यवहार में परिवर्तन आ रहा है और वे हिंसक हो रहे हैं.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इंडिपेंडेंट मेडिकल इनिशिएटिव संस्था की जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने सरकार और सचिव वन से यह बताने को कहा है कि हाथी कॉरिडोर की सुरक्षा के लिए पूर्व में दिए गए दिशा निर्देशों का कितना अनुपालन हुआ है, इसकी रिपोर्ट 27 फरवरी तक रिपोर्ट पेश करें. मामले की अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी.

8 दिसंबर को सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि इन दिशा निर्देशों का पालन करने की पावर केंद्र सरकार के वाइल्ड लाइफ बोर्ड को है, जो सरकार ने भेजी है. जिसकी रिपोर्ट अभी नहीं आई. याचिकाकर्ता ने कोर्ट को अवगत कराया कि सरकार ने अभी तक पूर्व में दिए गए दिशा निर्देशों का अनुपालन नहीं किया.

  • पूर्व में कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वह रामनगर मोहान रोड पर जिम कॉर्बेट पार्क से लगते हुए हाथी कॉरिडोर वाले इलाके को इको सेंसिटिव जोन का दर्जा देने पर विचार करे.
  • कोर्ट ने भारत सरकार और राज्य सरकार को आदेश दिया था कि रामनगर-मोहान रोड पर पड़ने वाले हाथी कॉरिडोर के इलाकों में अब नए होटल, रिजॉर्ट और रेस्टोरेंट जैसे निर्माणों की किसी भी रूप में अनुमति न दें.
  • हाथियों के पारंपरिक कॉरिडोर जो कि प्रोजेक्ट एलीफेंट द्वारा इस इलाके में सीमांकन किए गए हैं, उनका तुरंत संरक्षण शुरू करें.
  • मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक उत्तराखंड, डीएफओ रामनगर, डीएफओ अल्मोड़ा और निदेशक कॉर्बेट पार्क को आदेशित किया था कि एलीफेंट कॉरिडोर वाली रोड पर रात्रि में 10 बजे से सुबह 4 बजे तक पर्याप्त नाइट गार्ड की व्यवस्था की जाए. ताकि हाथी आसानी से कोसी नदी तक पहुंच सकें और अवांछित रात्रि ट्रैफिक पर लगाम लगाएं.
  • भारत सरकार और राज्य सरकार को आदेशित किया था कि इन इलाके में हाथियों के आवाजाही के लिए अंडरपास की व्यवस्था किए बिना भविष्य में किसी सड़क का निर्माण न किया जाय.
  • हाथियों को सड़क पार करते समय वन विभाग द्वारा मिर्च पाउडर का प्रयोग करने पर रोक लगा दी गई थी जो कि जारी है और पुनः आदेश किया था कि हाथियों को सड़क पर आने से रोकने के लिए अमानवीय तरीकों का प्रयोग किसी भी हाल में न किया जाए. इन निर्देशों का पालन करने की जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों की होगी. लेकिन आज तक इनका अनुपालन नहीं हुआ.

मामले के अनुसार दिल्ली की इंडिपेंडेंट्स मेडिकल इंटीवेट सोसाइटी ने इस मामले में जनहित याचिका दायर की थी. इसमें कहा था कि प्रदेश के 11 हाथी कॉरिडोर मार्गों पर अतिक्रमण कर वहां व्यावसायिक भवन बनाए जा चुके हैं. इसमें तीन हाथी कॉरिडोर रामनगर-मोहान सीमा से लगते हुए 27 किमी लंबे हाईवे पर स्थित हैं. जबकि रामनगर के ढिकुली क्षेत्र में पड़ने वाले कॉरिडोर में 150 से अधिक व्यावसायिक निर्माण चल रहे है और उक्त परिक्षेत्र पूरी तरह बंद हो चुका है.

अल्मोड़ा जिले के मोहान क्षेत्र में निर्माण होने से रात्रि में वाहनों की आवाजाही के चलते हाथियों को कोसी नदी में पहुंचने में बाधा हो रही है. एक परिपक्व हाथी को प्रतिदिन 225 लीटर पानी की आवश्यकता होती है. व्यावसायिक भवनों में रात्रि में होने वाली शादियों और पार्टी में बजने वाले संगीत से वन्यजीवों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है.

जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि वन विभाग द्वारा जंगलों में मानव दखलंदाजी को रोकने के बजाय हाथियों को हाईवे पर आने से रोका जा रहा है. इसमें मिर्च पाउडर और पटाखों का प्रयोग भी किया जा रहा है. इससे हाथियों के व्यवहार में परिवर्तन आ रहा है और वे हिंसक हो रहे हैं.

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