नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने चीन और नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे पिथौरागढ़ जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्र धारचूला और मुनस्यारी में बदहाल संचार सेवाओं को लेकर खुद संज्ञान लेने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की. मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए जिला अधिकारी पिथौरागढ़ से पूछा है कि वहां संचार सेवाओं में कितना सुधार हुआ है, इस पर नई रिपोर्ट पेश करें.
खंडपीठ ने जिला जज पिथौरागढ़ से भी इस मामले में अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 16 फरवरी को होगी. जिलाधिकारी की रिपोर्ट में कहा गया कि इन क्षेत्रों में सरकारी कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं. वहीं संचार कंपनी बीएसएनएल की ओर से कहा गया कि इस क्षेत्र में पहले से अधिक संचार का सुधार हुआ है, जिस पर कोर्ट ने जिला अधिकारी से कहा कि कितना सुधार हुआ है, इस पर रिपोर्ट पेश करें.
न्यायमित्र दुष्यंत मैनाली द्वारा कोर्ट को अवगत कराया कि वहां पर संचार व्यवस्था ठीक नहीं होने के कारण न्यायिक कार्य भी प्रभावित हो रहे है. कोर्ट ने आदेश भी अपलोड नहीं हो पा रहे है. जिस पर कोर्ट ने जिला जज से भी अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा है. जनहित याचिका में कहा गया है कि इस क्षेत्र में नेपाल की मोबाइल सेवा के सिग्नल तो आते हैं लेकिन भारतीय कंपनियों के सिग्नल नहीं आते है. पिथौरागढ़ जिला खासकर उच्च सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण धारचूला मुनस्यारी क्षेत्र में खराब संचार सेवा का मसला डिजिटल दौर में भी हल नहीं हो पाया है. आलम यह है कि धारचूला नगर पंचायत क्षेत्र में तक बीएसएनएल समेत अन्य मोबाइल कंपनियों के सिग्नल नहीं आते.
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रक्षा विशेषज्ञ लंबे समय से बता रहे हैं कि चीन तिब्बत में सैन्य एवं सूचना नेटवर्क बढ़ा रहा है. नेपाल के रास्ते भी ड्रैगन की गतिविधियां बढ़ सकती हैं, ऐसे में भारत के सीमावर्ती इलाकों में संचार नेटवर्क मजबूत होना जरूरी है. इस क्षेत्र में आईटीबीपी के साथ ही कुमाऊं स्काउट की तैनाती है. संचार सेवाओं की दिक्कतों की वजह से उन्हें भी मिशन में बाधाएं आती हैं. इसलिए यहां संचार सेवाओं को बढ़ाया जाए.