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HC ने CS को व्यक्तिगत शपथपत्र पेश करने को कहा, पूछा- राजस्व पुलिस सिस्टम खत्म करने के पहले आदेश का क्या हुआ?

उत्तराखंड में राजस्व पुलिस सिस्टम खत्म (abolishing Patwari police system) करने की मांग को लेकर देहरादून के रहने वाले एक व्यक्ति की जनहित याचिका (PIL on Patwari police system) पर उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने मुख्य सचिव एसएस संधू को व्यक्तिगत शपथ पत्र पेश करने को कहा और पूछा कि साल 2018 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने छह महीने के अंदर जो राजस्व पुलिस सिस्टम खत्म करने का आदेश दिया था, उस पर क्या निर्णय लिया गया (seeks reply from Chief Secretary).

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Published : Sep 28, 2022, 3:24 PM IST

Updated : Sep 28, 2022, 4:13 PM IST

नैनीताल: अंकिता भंडारी की मौत (ankita bhandari murder) के बाद एक बार फिर उत्तराखंड में राजस्व पुलिस सिस्टम (Patwari police system) पर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं. राजस्व पुलिस सिस्टम को खत्म (abolishing Patwari police system) करने की मांग को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) में जनहित याचिका दायर की गई (PIL on Patwari police system) है, जिस पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनवाई की.

मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने चीफ सेक्रेटरी सुखबीर सिंह संधू से तीन सप्ताह में अपना व्यक्तिगत शपथपत्र पेश करने को कहा है. कोर्ट ने शपथपत्र में यह बताने को कहा है कि 2018 में उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय का क्या हुआ?

2018 का उत्तराखंड हाईकोर्ट का आदेश:

  • जनहित याचिका में कहा गया है कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 13 जनवरी 2018 में सरकार को निर्देश दिए थे कि राज्य में चली आ रही 157 साल पुरानी राजस्व पुलिस व्यवस्था छह महीने में समाप्त कर अपराधों की विवेचना का काम सिविल पुलिस को सौंप दिया जाए.
  • छह माह के भीतर राज्य में थानों की संख्या व सुविधाएं उपलब्ध कराएं. सिविल पुलिस की नियुक्ति के बाद राजस्व पुलिस प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं करेगी और अपराधों की जांच सिविल पुलिस द्वारा की जाएगी.
  • कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि राज्य की जनसंख्या एक करोड़ से अधिक है और थानों की संख्या 156 है, जो बहुत कम है. 64 हजार लोगों पर एक थाना. इसलिए थानों की संख्या को बढ़ाई जाए जिससे की अपराध पर अंकुश लग सके.
  • एक सर्किल में दो थाने बनाये जाने को कहा था और थाने का संचालन एक सब इंस्पेक्टर रैंक का पुलिस अधिकारी करेगा.
  • 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने नवीन चंद्र बनाम राज्य सरकार केस में इस व्यवस्था को समाप्त करने की आवश्यकता समझी गयी थी. जिसमें कहा गया कि राजस्व पुलिस को सिविल पुलिस की भांति ट्रेनिंग नहीं दी जाती है या नहीं.
  • राजस्व पुलिस के पास आधुनिक साधन, कम्प्यूटर, डीएनए और रक्त परीक्षण, फोरेंसिक जांच, फिंगर प्रिंट जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती हैं. इन सुविधाओं के अभाव में अपराध की समीक्षा करने में परेशानियां होती है.
  • कोर्ट ने कहा था कि राज्य में एक समान कानून व्यवस्था हो, जो नागरिकों को मिलनी चाहिए.

जनहित याचिका में कहा गया है कि अगर सरकार ने इस आदेश का पालन किया होता तो अंकिता मर्डर केस की जांच में इतनी देरी नहीं होती. इसलिए राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त किया जाए.

नैनीताल: अंकिता भंडारी की मौत (ankita bhandari murder) के बाद एक बार फिर उत्तराखंड में राजस्व पुलिस सिस्टम (Patwari police system) पर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं. राजस्व पुलिस सिस्टम को खत्म (abolishing Patwari police system) करने की मांग को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) में जनहित याचिका दायर की गई (PIL on Patwari police system) है, जिस पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनवाई की.

मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने चीफ सेक्रेटरी सुखबीर सिंह संधू से तीन सप्ताह में अपना व्यक्तिगत शपथपत्र पेश करने को कहा है. कोर्ट ने शपथपत्र में यह बताने को कहा है कि 2018 में उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय का क्या हुआ?

2018 का उत्तराखंड हाईकोर्ट का आदेश:

  • जनहित याचिका में कहा गया है कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 13 जनवरी 2018 में सरकार को निर्देश दिए थे कि राज्य में चली आ रही 157 साल पुरानी राजस्व पुलिस व्यवस्था छह महीने में समाप्त कर अपराधों की विवेचना का काम सिविल पुलिस को सौंप दिया जाए.
  • छह माह के भीतर राज्य में थानों की संख्या व सुविधाएं उपलब्ध कराएं. सिविल पुलिस की नियुक्ति के बाद राजस्व पुलिस प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं करेगी और अपराधों की जांच सिविल पुलिस द्वारा की जाएगी.
  • कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि राज्य की जनसंख्या एक करोड़ से अधिक है और थानों की संख्या 156 है, जो बहुत कम है. 64 हजार लोगों पर एक थाना. इसलिए थानों की संख्या को बढ़ाई जाए जिससे की अपराध पर अंकुश लग सके.
  • एक सर्किल में दो थाने बनाये जाने को कहा था और थाने का संचालन एक सब इंस्पेक्टर रैंक का पुलिस अधिकारी करेगा.
  • 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने नवीन चंद्र बनाम राज्य सरकार केस में इस व्यवस्था को समाप्त करने की आवश्यकता समझी गयी थी. जिसमें कहा गया कि राजस्व पुलिस को सिविल पुलिस की भांति ट्रेनिंग नहीं दी जाती है या नहीं.
  • राजस्व पुलिस के पास आधुनिक साधन, कम्प्यूटर, डीएनए और रक्त परीक्षण, फोरेंसिक जांच, फिंगर प्रिंट जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती हैं. इन सुविधाओं के अभाव में अपराध की समीक्षा करने में परेशानियां होती है.
  • कोर्ट ने कहा था कि राज्य में एक समान कानून व्यवस्था हो, जो नागरिकों को मिलनी चाहिए.

जनहित याचिका में कहा गया है कि अगर सरकार ने इस आदेश का पालन किया होता तो अंकिता मर्डर केस की जांच में इतनी देरी नहीं होती. इसलिए राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त किया जाए.

Last Updated : Sep 28, 2022, 4:13 PM IST
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