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HC ने आयुर्वेदिक विवि के निलंबित कुलसचिव पर लगाया 20 हजार का जुर्माना

उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय (Uttarakhand Ayurvedic University) के निलंबित कुलसचिव डॉक्टर मृत्युंजय मिश्रा (Dr Mrityunjay Mishra suspended registrar) पर उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने 20 हजार का जुर्माना लगाया है. उन्होंने अपने निलंबन को उत्तराखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

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Published : Sep 29, 2022, 10:56 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय (Uttarakhand Ayurvedic University) के निलंबित कुलसचिव डॉक्टर मृत्युंजय मिश्रा (Dr Mrityunjay Mishra suspended registrar) की निलंबन आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए उन पर 20 हजार का जुर्माना लगाया है. जुर्माने की यह राशि दो हफ्ते के भीतर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यालय में जमा करने के आदेश दिए हैं और वेतन भत्ते दिलाए जाने की प्रार्थना पर विश्वविद्यालय से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है.

मामले की अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी. मामले के सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई. याचिकाकर्ता डॉक्टर मृत्युंजय मिश्रा ने शासन द्वारा उन्हें 24 जनवरी 2022 को निलंबित कर सचिव आयुष कार्यालय में अटैच करने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है.
पढ़ें- हल्द्वानी में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण के मामले में सुनवाई, CJ ने दूसरी पीठ को भेजा केस

डॉ मिश्रा पर आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय हर्रावाला देहरादून का कुलसचिव रहने के दौरान भारी वित्तीय अनियमितताएं करने का आरोप है, उनके खिलाफ विजिलेंस जांच चल रही है. इससे पूर्व 2018 से 2021 तक वे अनियमितताओं के आरोप में गिरफ्तार हुए थे और जेल में रहे. जिन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी. वर्तमान में उनके खिलाफ विजिलेंस की जांच जारी है. याचिका में उन्होंने निलंबन आदेश को निरस्त करने एवं वेतन भत्ते दिलाए जाने की प्रार्थना की है.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय (Uttarakhand Ayurvedic University) के निलंबित कुलसचिव डॉक्टर मृत्युंजय मिश्रा (Dr Mrityunjay Mishra suspended registrar) की निलंबन आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए उन पर 20 हजार का जुर्माना लगाया है. जुर्माने की यह राशि दो हफ्ते के भीतर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यालय में जमा करने के आदेश दिए हैं और वेतन भत्ते दिलाए जाने की प्रार्थना पर विश्वविद्यालय से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है.

मामले की अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी. मामले के सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई. याचिकाकर्ता डॉक्टर मृत्युंजय मिश्रा ने शासन द्वारा उन्हें 24 जनवरी 2022 को निलंबित कर सचिव आयुष कार्यालय में अटैच करने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है.
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डॉ मिश्रा पर आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय हर्रावाला देहरादून का कुलसचिव रहने के दौरान भारी वित्तीय अनियमितताएं करने का आरोप है, उनके खिलाफ विजिलेंस जांच चल रही है. इससे पूर्व 2018 से 2021 तक वे अनियमितताओं के आरोप में गिरफ्तार हुए थे और जेल में रहे. जिन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी. वर्तमान में उनके खिलाफ विजिलेंस की जांच जारी है. याचिका में उन्होंने निलंबन आदेश को निरस्त करने एवं वेतन भत्ते दिलाए जाने की प्रार्थना की है.

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