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भीमताल के जिलिंग एस्टेट में अवैध निर्माण कार्यों का मामला, 12 मई को HC में होगी सुनवाई

नैनीताल जिले के भीमताल के जिलिंग एस्टेट में अवैध निर्माण कार्यों का मामला हाईकोर्ट में है. मामले में मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने दो दिन तक सुनवाई की. अब कोर्ट मामले की सुनवाई आगामी 12 मई को करेगा.

Jilling Estate Illegal Construction
नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई
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Published : May 10, 2023, 10:23 PM IST

नैनीतालः भीमताल के जिलिंग एस्टेट में हो रहे निर्माण कार्यों के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने अगली सुनवाई के लिए 12 मई की तिथि नियत की है.

गौर हो कि वीरेंद्र सिंह ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि साल 1980 के दशक में जिलिंग एस्टेट को संपत्ति बेच थी. साथ में उनके बीच यह भी सहमति हुई थी कि अगर वन क्षेत्र में कोई अनधिकृत गतिविधि की जाती है तो वो शिकायत कर सकता है, लेकिन इस करार के खिलाफ जाकर वहां पर व्यावसायिक गतिविधियां शुरू की गई. मामले को लेकर याचिकाकर्ता ने पहले एनजीटी और फिर सुप्रीम कोर्ट में इसकी अपील की.
संबंधित खबरें पढ़ेंः भीमताल के जिलिंग एस्टेट में अवैध निर्माण कार्यों पर रोक जारी, HC ने मांगा जवाब

वहीं, शिकायत में कहा था कि जिलिंग एस्टेट की ओर से करीब 44 विला, हेलीपैड और रिसॉर्ट कॉटेज समेत अन्य का निर्माण जिलिंग एस्टेट में किया जा रहा है. शिकायत में ये भी कहा गया कि जिलिंग एस्टेट ने सक्षम अधिकारियों से कोई अनुमति प्राप्त किए बिना विकास गतिविधियों को करने के लिए एक जेसीबी मशीन का भी इस्तेमाल किया. एस्टेट ने कभी भी पर्यावरण विभाग की अनुमति नहीं ली.

इस पर कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि एस्टेट ने घने वन क्षेत्र में विकास गतिविधियों को अंजाम दिया है. जिसमें 40% से ज्यादा घने पेड़ हैं. हम पूरे जिलिंग के नए सिरे से जांच कराना चाहते हैं. बीती 11 फरवरी 2020 को उच्चतम न्यायालय ने रेवेन्यू और फॉरेस्ट विभाग से इसका सर्वे व जांच करने के आदेश दिए थे. उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. जिसकी वजह से उन्हें उच्च न्यायलय में इसकी जनहित याचिका दायर करनी पड़ी.

नैनीतालः भीमताल के जिलिंग एस्टेट में हो रहे निर्माण कार्यों के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने अगली सुनवाई के लिए 12 मई की तिथि नियत की है.

गौर हो कि वीरेंद्र सिंह ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि साल 1980 के दशक में जिलिंग एस्टेट को संपत्ति बेच थी. साथ में उनके बीच यह भी सहमति हुई थी कि अगर वन क्षेत्र में कोई अनधिकृत गतिविधि की जाती है तो वो शिकायत कर सकता है, लेकिन इस करार के खिलाफ जाकर वहां पर व्यावसायिक गतिविधियां शुरू की गई. मामले को लेकर याचिकाकर्ता ने पहले एनजीटी और फिर सुप्रीम कोर्ट में इसकी अपील की.
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वहीं, शिकायत में कहा था कि जिलिंग एस्टेट की ओर से करीब 44 विला, हेलीपैड और रिसॉर्ट कॉटेज समेत अन्य का निर्माण जिलिंग एस्टेट में किया जा रहा है. शिकायत में ये भी कहा गया कि जिलिंग एस्टेट ने सक्षम अधिकारियों से कोई अनुमति प्राप्त किए बिना विकास गतिविधियों को करने के लिए एक जेसीबी मशीन का भी इस्तेमाल किया. एस्टेट ने कभी भी पर्यावरण विभाग की अनुमति नहीं ली.

इस पर कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि एस्टेट ने घने वन क्षेत्र में विकास गतिविधियों को अंजाम दिया है. जिसमें 40% से ज्यादा घने पेड़ हैं. हम पूरे जिलिंग के नए सिरे से जांच कराना चाहते हैं. बीती 11 फरवरी 2020 को उच्चतम न्यायालय ने रेवेन्यू और फॉरेस्ट विभाग से इसका सर्वे व जांच करने के आदेश दिए थे. उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. जिसकी वजह से उन्हें उच्च न्यायलय में इसकी जनहित याचिका दायर करनी पड़ी.

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