नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त कर्मचारियों की याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं से तीन सप्ताह के भीतर प्रतिशपथ पत्र पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होगी.
गौरतलब है कि मामले में आज विधानसभा सचिवालय की ओर से शपथ पत्र हाईकोर्ट में पेश किया गया. मामले के अनुसार बर्खास्तगी के आदेश को बबिता भंडारी, भूपेंद्र सिंह बिष्ट, कुलदीप सिंह सहित 102 लोगों ने हाईकोर्ट में विधानसभा सचिवालय सचिवालय से कर्मचारियों के बर्खास्तगी को कोर्ट में चुनौती दी है.
याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि विधानसभा अध्यक्ष ने लोकहित को देखते हुए उनकी सेवाएं 27, 28 और 29 सितंबर 2022 को समाप्त कर दी. बर्खास्तगी आदेश में उन्हें किस आधार पर किस कारण की वजह से हटाया गया, इसका कहीं उल्लेख नहीं किया गया है और न ही उन्हें सुना गया है.
ये भी पढ़ें: जोशीमठ से मनसुख मांडविया ने स्वास्थ्य परियोजनाओं का वर्चुअली किया शिलान्यास, सीएम धामी ने कही ये बात
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने सचिवालय में नियमित कर्मचारियों की तरह कार्य किया है. एक साथ इतने सारे कर्मचारियों को बर्खास्त करना लोकहित में नहीं है. यह आदेश विधि के विरुद्ध है. विधानसभा सचिवालय में 396 पदों पर बैक डोर भर्ती 2001 से 2015 के बीच में भी हुई है, उनको नियमित किया जा चुका है.
याचिका में यह भी कहा गया कि 2014 तक हुई नियुक्तियों में कर्मचारियों को चार वर्ष से कम की सेवा में ही नियमित नियुक्ति दे दी गई, लेकिन उन्हें 6 वर्ष के बाद भी नियमित नहीं किया गया. साथ ही अब उन्हें हटा दिया गया है. पूर्व में उनकी नियुक्ति को 2018 में जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी गयी थी, जिसमे कोर्ट ने उनके हित में आदेश देकर माना था कि उनकी नियुक्ति वैध है. जबकि नियम अनुसार 6 महीने की नियमित सेवा करने के बाद उन्हें नियमित किया जाना था.