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उत्तरकाशी टनल हादसा: हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा- क्या टनल में फंसे 41 मजदूर सुरक्षित हैं? दो दिसंबर तक रिपोर्ट मांगी

Uttarkashi Tunnel collapse Rescue उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने सरकार से मजदूरों की सुरक्षा और रेस्क्यू को लेकर जानकारी मांगी, जिस पर सरकार की तरफ से कोर्ट को अवगत कराया है. अब इस मामले पर अगली सुनवाई दो दिसंबर को होगी.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 22, 2023, 3:41 PM IST

Updated : Nov 22, 2023, 4:56 PM IST

नैनीताल: उत्तरकाशी जिले के सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका पर बुधवार 22 नवंबर को सुनवाई हुई. सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमारी तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार से पूछा है कि क्या टनल में फंसे 41 मजदूर सुरक्षित हैं? क्या उनको नियमित जीवन रक्षक सामान मिल रहा है या नहीं? कोर्ट ने आगामी दो दिसंबर तक सरकार को कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

हालांकि, कोर्ट के सवालों के जवाब में सरकार की तरफ से कहा गया है कि सभी 41 मजदूरों को जीवन रक्षक सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिसकी मॉनिटरिंग मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री व केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री खुद कर रहे हैं.
पढ़ें- उत्तरकाशी टनल में युद्ध स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, 41 एंबुलेंस रहेंगी तैनात, भास्कर खुल्बे ने बताया कितनी हुई ड्रिलिंग

कोर्ट को बताया गया कि उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए इस्पात फैक्ट्री से बड़े पाइप मगाएं गए हैं. सभी मजदूर सुरक्षित हैं, जिसका वीडियो भी सामने आया है. पिछले सुनवाई में कोर्ट ने सरकार से 48 घंटे के भीतर प्रगति रिपोर्ट मांगी थी.

मामले के अनुसार, समाधान एनजीओ कृष्णा विहार देहरादून ने उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने कोर्ट को बताया था कि 12 नवंबर से 41 मजदूर टनल के अंदर फंसे हुए हुए हैं, लेकिन सरकार उनको अभी तक बाहर निकालने में असफल साबित हुई है. सरकार और कार्यदायी संस्था टनल में फंसे लोगों की जान पर खिलवाड़ कर रही है. हर दिन उनको निकालने के लिए नए-नए जुगाड़ खोजे जा रहे हैं, जिस वजह से इन मजदूरों की जान खतरे में पड़ी है. इसलिए उन पर आपराधिक मुदकमा दर्ज किया जाए.

याचिकाकर्ता ने मांग की है कि पूरे प्रकरण की जांच एसआईटी से कराई जाए. जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि टनल के निर्माण के वक्त इस क्षेत्र की भूगर्भीय जांच ढंग से नहीं की गई, जिसकी वजह से इन मजदूरों की जान खतरे में पड़ी. इसके साथ ही याचिकाकर्ता ने मांग की है कि टनल के अंदर कार्य प्रारंभ होने से पहले मजदूरों को जरूरी सामान उपलब्ध कराया जाए, जैसे- रेस्क्यू पाइप, जनरेटर, मशीन व अन्य सामान.

नैनीताल: उत्तरकाशी जिले के सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका पर बुधवार 22 नवंबर को सुनवाई हुई. सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमारी तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार से पूछा है कि क्या टनल में फंसे 41 मजदूर सुरक्षित हैं? क्या उनको नियमित जीवन रक्षक सामान मिल रहा है या नहीं? कोर्ट ने आगामी दो दिसंबर तक सरकार को कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

हालांकि, कोर्ट के सवालों के जवाब में सरकार की तरफ से कहा गया है कि सभी 41 मजदूरों को जीवन रक्षक सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिसकी मॉनिटरिंग मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री व केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री खुद कर रहे हैं.
पढ़ें- उत्तरकाशी टनल में युद्ध स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, 41 एंबुलेंस रहेंगी तैनात, भास्कर खुल्बे ने बताया कितनी हुई ड्रिलिंग

कोर्ट को बताया गया कि उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए इस्पात फैक्ट्री से बड़े पाइप मगाएं गए हैं. सभी मजदूर सुरक्षित हैं, जिसका वीडियो भी सामने आया है. पिछले सुनवाई में कोर्ट ने सरकार से 48 घंटे के भीतर प्रगति रिपोर्ट मांगी थी.

मामले के अनुसार, समाधान एनजीओ कृष्णा विहार देहरादून ने उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने कोर्ट को बताया था कि 12 नवंबर से 41 मजदूर टनल के अंदर फंसे हुए हुए हैं, लेकिन सरकार उनको अभी तक बाहर निकालने में असफल साबित हुई है. सरकार और कार्यदायी संस्था टनल में फंसे लोगों की जान पर खिलवाड़ कर रही है. हर दिन उनको निकालने के लिए नए-नए जुगाड़ खोजे जा रहे हैं, जिस वजह से इन मजदूरों की जान खतरे में पड़ी है. इसलिए उन पर आपराधिक मुदकमा दर्ज किया जाए.

याचिकाकर्ता ने मांग की है कि पूरे प्रकरण की जांच एसआईटी से कराई जाए. जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि टनल के निर्माण के वक्त इस क्षेत्र की भूगर्भीय जांच ढंग से नहीं की गई, जिसकी वजह से इन मजदूरों की जान खतरे में पड़ी. इसके साथ ही याचिकाकर्ता ने मांग की है कि टनल के अंदर कार्य प्रारंभ होने से पहले मजदूरों को जरूरी सामान उपलब्ध कराया जाए, जैसे- रेस्क्यू पाइप, जनरेटर, मशीन व अन्य सामान.

Last Updated : Nov 22, 2023, 4:56 PM IST
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