नैनीतालः उत्तराखंड हाइकोर्ट ने प्रदेश की जेलों में सीसीटीवी कैमरे, रहने की व्यवस्था सहित अन्य सुविधाओं के अभाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से 27 जुलाई को यह बताने को कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ जो एसएलपी सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गई है, उसकी वर्तमान में क्या स्थिति है. कोर्ट ने आईजी जेल, गृह सचिव व जेल सुधारीकरण कमेटी के अध्यक्ष पूर्व आईजी वीके सिंह से 27 जुलाई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश होने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई की तिथि नियत की है.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि पूर्व में कोर्ट ने जेलों के सुधारीकरण हेतु पूर्व आईजी वीके सिंह के नेतृत्व में कमेटी गठित की थी. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि प्रदेश की जेलों में मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ कई अन्य सुविधाओं का अभाव है. इस रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने राज्य सरकार को जेलों के सुधार हेतु कई दिशा निर्देश दिए. परंतु राज्य सरकार ने कोर्ट के आदेश का पालन करने के बजाय सर्वोच्च न्यायलय में एसएलपी दायर की, जो विचाराधीन है.
मामले के मुताबिक, संतोष उपाध्याय व अन्य ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर कर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में एक आदेश जारी कर सभी राज्य सरकारों से कहा था कि वे अपने राज्य की जेलों में सीसीटीवी कैमरे लगाएं और जेलों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराएं. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में मानवाधिकार आयोग के खाली पड़े पदों को भरने के आदेश जारी किए थे. लेकिन कई साल बीत जाने के बाद भी उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सरकार को निर्देश दिए जाएं कि वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देश का पालन करें.
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