नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कोर्ट के फर्जी आदेश बनाकर दूसरी कोर्ट में पेश किए जाने के संबंध में पत्र का स्वतः संज्ञान लिया और मामले को सुनते हुए न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्री विभाग के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं.
दरअसल, उच्च न्यायालय में 2004 में एक केस दायर हुआ था, उस केस में कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं हुआ. याचिका के विचाराधीन रहते हुए देहली कंपनी ला बोर्ड प्रिंसिपल बेंच देहली हाईकोर्ट में भी अंगेलिया हाउसिंग प्राइवेट लिमिटेड की याचिका विचाराधीन थी. इसी बीच एक पक्षकार ने अपने को फायदा पहुंचाने के लिए उच्च न्यायालय के तीन फर्जी आदेश बनाकर कोर्ट में पेश किए.
कंपनी के डायरेक्टर संतोष कुमार बगला को जब इसका पता चला तो उन्होंने इसकी शिकायत उच्च न्यायलय के रजिस्ट्रार जनरल से की. तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले की जांच कराकर एफआईआर दर्ज करने के आदेश रजिस्ट्रार जनरल को दिए थे. रजिस्ट्रार जनरल द्वारा 2013 में ही इस मामले में मल्लीताल थाने में मुकदमा दर्ज कराया था और बाद में यह मुकदमा दिल्ली ट्रांसफर हो गया था.
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दिल्ली में ही इसमें अंतिम रिपोर्ट लग गयी और अंतिम रिपोर्ट लग जाने के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले की क्रिमिनल रिट याचिका के रूप में सुनवाई की. इसी बीच कंपनी के डायरेक्टर ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर कहा था कि इस मामले की सीबीआई जांच कराई जाए. पूर्व में कोर्ट ने उच्च न्यायलय के रजिस्ट्रार जनरल को आदेश दिए थे कि इस मामले की जांच इन हाउस करें. जाँच करने पर कोर्ट का कोई आदेश उच्च न्यायालय की फाइल में नहीं पाया गया, जिसकी रिपोर्ट रजिस्ट्रार जनरल ने सील बंद लिफाफे में कोर्ट में पेश की।