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प्लास्टिक कचरे का निस्तारण नहीं होने पर HC नाराज, CJ खुद जमीनी हकीकत की करेंगे पड़ताल

उत्तराखंड में प्लास्टिक के कचरे का पूर्ण रूप निस्तारण नहीं किया जा रहा है, जिसको लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई गई थी, जिस पर कोर्ट ने सुनवाई की और अधिकारियों से अपनी नाराजगी भी जाहिर की.

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Published : Aug 29, 2022, 10:45 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य के प्लास्टिक से निर्मित कचरे पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से कोर्ट को अवगत कराया गया कि राज्य में प्लास्टिक बैन के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है, जिसपर नाराजगी व्यक्त करते हुए कोर्ट की खंडपीठ ने कहा अधिकारियों को लेकर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति स्वयं मौके पर जाकर इसकी जांच करेंगे. जिसकी शुरुआत 8 सितंबर को धानाचूली से की जाएगी. निरीक्षण के उपरांत अग्रिम आदेश पारित किए जाएंगे. मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 12 सितंबर की तिथि नियत की है.

बता दें कि अल्मोड़ा हवलबाग निवासी जितेंद्र यादव ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार ने 2013 में बने प्लास्टिक यूज और उसके निस्तारण करने के लिए नियमावली बनाई गई थी. परन्तु इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. 2018 में केंद्र सरकार ने प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स बनाए थे. जिसमें उत्पादकर्ता, परिवहनकर्ता व विक्रेताओं को जिम्मेदारी दी थी कि वे जितना प्लास्टिक निर्मित माल बेचेंगे, उतना ही खाली प्लास्टिक को वापस ले जाएंगे. अगर नहीं ले जाते है तो सम्बंधित नगर निगम और नगर पालिका व अन्य को फंड देंगे, जिससे कि वे इसका निस्तारण कर सकें.
पढ़ें- UKSSSC Paper Leak राजेश चौहान ने खोले कई राज, संदेह के घेरे में 6 ऑनलाइन परीक्षाएं

याचिकाकर्ता का कहना है कि उत्तराखंड में इन सब का उल्लघंन किया जा रहा है. कोई भी इसका पालन नहीं कर रहा है. पर्वतीय क्षेत्रों में प्लास्टिक के ढेर लगे हुए है और इसका निस्तारण भी नहीं किया जा रहा है. जिस पर कोर्ट ने कहा कि न्यायमूर्ति खुद मौके पर सच्चाई का पता लगाएंगे.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य के प्लास्टिक से निर्मित कचरे पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से कोर्ट को अवगत कराया गया कि राज्य में प्लास्टिक बैन के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है, जिसपर नाराजगी व्यक्त करते हुए कोर्ट की खंडपीठ ने कहा अधिकारियों को लेकर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति स्वयं मौके पर जाकर इसकी जांच करेंगे. जिसकी शुरुआत 8 सितंबर को धानाचूली से की जाएगी. निरीक्षण के उपरांत अग्रिम आदेश पारित किए जाएंगे. मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 12 सितंबर की तिथि नियत की है.

बता दें कि अल्मोड़ा हवलबाग निवासी जितेंद्र यादव ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार ने 2013 में बने प्लास्टिक यूज और उसके निस्तारण करने के लिए नियमावली बनाई गई थी. परन्तु इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. 2018 में केंद्र सरकार ने प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स बनाए थे. जिसमें उत्पादकर्ता, परिवहनकर्ता व विक्रेताओं को जिम्मेदारी दी थी कि वे जितना प्लास्टिक निर्मित माल बेचेंगे, उतना ही खाली प्लास्टिक को वापस ले जाएंगे. अगर नहीं ले जाते है तो सम्बंधित नगर निगम और नगर पालिका व अन्य को फंड देंगे, जिससे कि वे इसका निस्तारण कर सकें.
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याचिकाकर्ता का कहना है कि उत्तराखंड में इन सब का उल्लघंन किया जा रहा है. कोई भी इसका पालन नहीं कर रहा है. पर्वतीय क्षेत्रों में प्लास्टिक के ढेर लगे हुए है और इसका निस्तारण भी नहीं किया जा रहा है. जिस पर कोर्ट ने कहा कि न्यायमूर्ति खुद मौके पर सच्चाई का पता लगाएंगे.

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