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हल्द्वानी में सरकारी जमीन को बेचने का मामला, हाईकोर्ट ने सरकार समेत विभागों से 10 दिन में मांगी जांच रिपोर्ट

Uttarakhand HighCourt उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी में सरकारी संपत्ति बेचने के मामले में सरकार और विभागों से 10 दिन में जांच रिपोर्ट मांगी है. साथ ही याचिकाकर्ता ने कोर्ट से सुरक्षा दिलाए जाने की मांग भी की है. याचिकाकर्ता का कहना है कि उसे जान से मारने की धमकी भी दी जा रही है.

Uttarakhand High Court
उत्तराखंड हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 4, 2023, 7:45 PM IST

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी में भू-माफियाओं द्वारा रेलवे, वन विभाग और राजस्व की भूमि को 100 और 500 रुपये के स्टांप पर बेचे जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा के खंडपीठ ने राज्य सरकार, वन विभाग और रेलवे को निर्देश दिए हैं कि दस दिन के भीतर मामले की जांच करके अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें. मामले की अगली सुनवाई हेतु खंडपीठ ने 22 दिसंबर की तिथि नियत की है.

पूर्व में कोर्ट ने याचिकाकर्ता से इस संबंध में भूमि बेचे जाने के सबूत पेश करने को कहा था, जिसे आज उनके द्वारा पेश किया गया. साथ में याचिकाकर्ता के द्वारा यह भी कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि उनको जानमाल का खतरा हो सकता है. लिहाजा उन्हें सुरक्षा दिलाई जाए. इस पर कोर्ट ने मौखिक तौर पर संबंधित एसएचओ को निर्देश दिए हैं कि उन्हें किसी तरह का खतरा उत्पन्न न हो. क्योंकि वे ये कार्य जनहित के लिए कर रहे हैं.

मामले के अनुसार, याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि हल्द्वानी के गफूर बस्ती में रेलवे की भूमि, गौलापार गोजाजाली स्थित वन विभाग और राजस्व की भूमि को भू-माफियाओं के द्वारा 100 और 500 रुपए के स्टांप पर बेच दिया गया है. जिन लोगों को ये भूमि बेची गई वे लोग उत्तराखंड के स्थायी निवासी नहीं हैं. ये लोग रोजगार के लिए यहां आए थे. कुछ ही समय बाद सीएससी सेंटर में इनके वोटर आईडी कार्ड तक बन गए. जब इसकी शिकायत प्रशासन, मुख्यमंत्री पोर्टल पर की गई तो याचिकाकर्ता को जान माल की धमकी तक भू-माफियाओं के द्वारा दी गई.
ये भी पढ़ेंः हल्द्वानी में सरकारी जमीन को खुर्द बुर्द कर ठिकाने लगाने का मामला, HC ने मांगा सबूत

जनहित याचिका में कहा गया कि ये लोग उत्तराखंड के स्थायी निवासी नहीं है. राज्य सरकार के द्वारा वोट बैंक के चक्कर में इनके लिए लाइट, पानी, स्कूल व हॉस्पिटल के लिए करोड़ों रुपये खर्च किया जा रहा है. जिसका भार स्थायी लोगों पर पड़ रहा है. इस वजह से स्थायी लोगों को सरकार की योजनाओं से वंचित रहना पड़ रहा है. प्रसाशन द्वारा सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा रहा है. जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि इस मामले की जांच उच्च स्तरीय कमेटी से की जाए. इनके सभी दस्तावेजों की जांच की जाए.

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी में भू-माफियाओं द्वारा रेलवे, वन विभाग और राजस्व की भूमि को 100 और 500 रुपये के स्टांप पर बेचे जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा के खंडपीठ ने राज्य सरकार, वन विभाग और रेलवे को निर्देश दिए हैं कि दस दिन के भीतर मामले की जांच करके अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें. मामले की अगली सुनवाई हेतु खंडपीठ ने 22 दिसंबर की तिथि नियत की है.

पूर्व में कोर्ट ने याचिकाकर्ता से इस संबंध में भूमि बेचे जाने के सबूत पेश करने को कहा था, जिसे आज उनके द्वारा पेश किया गया. साथ में याचिकाकर्ता के द्वारा यह भी कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि उनको जानमाल का खतरा हो सकता है. लिहाजा उन्हें सुरक्षा दिलाई जाए. इस पर कोर्ट ने मौखिक तौर पर संबंधित एसएचओ को निर्देश दिए हैं कि उन्हें किसी तरह का खतरा उत्पन्न न हो. क्योंकि वे ये कार्य जनहित के लिए कर रहे हैं.

मामले के अनुसार, याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि हल्द्वानी के गफूर बस्ती में रेलवे की भूमि, गौलापार गोजाजाली स्थित वन विभाग और राजस्व की भूमि को भू-माफियाओं के द्वारा 100 और 500 रुपए के स्टांप पर बेच दिया गया है. जिन लोगों को ये भूमि बेची गई वे लोग उत्तराखंड के स्थायी निवासी नहीं हैं. ये लोग रोजगार के लिए यहां आए थे. कुछ ही समय बाद सीएससी सेंटर में इनके वोटर आईडी कार्ड तक बन गए. जब इसकी शिकायत प्रशासन, मुख्यमंत्री पोर्टल पर की गई तो याचिकाकर्ता को जान माल की धमकी तक भू-माफियाओं के द्वारा दी गई.
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जनहित याचिका में कहा गया कि ये लोग उत्तराखंड के स्थायी निवासी नहीं है. राज्य सरकार के द्वारा वोट बैंक के चक्कर में इनके लिए लाइट, पानी, स्कूल व हॉस्पिटल के लिए करोड़ों रुपये खर्च किया जा रहा है. जिसका भार स्थायी लोगों पर पड़ रहा है. इस वजह से स्थायी लोगों को सरकार की योजनाओं से वंचित रहना पड़ रहा है. प्रसाशन द्वारा सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा रहा है. जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि इस मामले की जांच उच्च स्तरीय कमेटी से की जाए. इनके सभी दस्तावेजों की जांच की जाए.

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