हल्द्वानी: प्रदेश सरकार को खनन के रूप में सबसे बड़ा राजस्व मिलता है, लेकिन इस बार गौला नदी से प्रदेश सरकार को राजस्व कम मिलने के चलते शासन स्तर पर बैठक के बाद कमेटी गठित की गई. अब कमेटी गौला नदी का दोबारा से खनन का सीमांकन करने जा रही है, जिससे खनन से मिलने वाला राजस्व को पूरा किया जा सके. साथ ही खनन में से जुटे कारोबारियों को भी कारोबार मिल सके. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि गौला नदी से निकलने वाला उप खनिज का लक्ष्य बढ़ सकता है.
प्रदेश सरकार को खनन से राजस्व के नुकसान के चलते अब सरकार ने फैसला लिया है कि गौला नदी का दोबारा से उप खनिज निकासी का सर्वे किया जाए, जिससे कि राजस्व को पूरा किया जा सके. 14 और 15 फरवरी को होने वाले सर्वे में वन विभाग, वन विकास निगम, वाइल्ड लाइफ और केंद्रीय मृदा जल विभाग की टीम नदी का सर्वे करेगी. सर्वे रिपोर्ट को शासन को भेजी जाएगी, जिसके बाद शासन निर्णय लेगा की नदी से दोबारा से कितना उप खनिज की निकासी हो सकती हैं.
गौरतलब है कि गोला नदी से हर वर्ष करीब 50 लाख से अधिक घन मीटर की खनन निकासी की जाती थी, जिससे सरकार को भारी राजस्व की प्राप्ति होती थी. इस वर्ष गौला नदी में उप खनिज कम आने के चलते इस वर्ष का लक्ष्य 18 लाख 46 हजार घन मीटर ही निकासी का रखा गया है. ऐसे में सरकार को काफी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा है. अपने राजस्व को पूरा करने के लिए सरकार दोबारा से नदी का सर्वे कराने जा रही है, जिसके सरकार के राजस्व में इजाफा हो सके.
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यही नहीं, भारत सरकार के नियमों के अनुसार साल 2023 तक गौला नदी से खनन की अनुमति प्राप्त है, जबकि पर्यावरण विभाग की अनुमति 2021 में खत्म हो रही है. पर्यावरण विभाग की अनुमति के लिए शासन के लिए पत्र भेजा गया है, जिससे कि भविष्य में गौला नदी को खनन के लिए सुचारु रखा जा सके.
जिला खनन अधिकारी रवि नेगी का कहना है कि सर्वे के बाद रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी. उम्मीद जताई जा रही है कि नदी से नदी से निकलने वाले उप खनिज की लक्ष्य और बढ़ सकता है, जिससे कि राजस्व की भी पूर्ति हो सकेगा और खनन से जुड़े कारोबारियों को भी फायदा मिल सकेगा.