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उत्तराखंड के ऑर्गेनिक अदरक पर भारी पड़ रहा है बेंगलुरु का जिंजर, पहाड़ के किसान निराश

बेंगलुरु के अदरक ने पहाड़ के गुणकारी अदरक का स्वाद बिगाड़ दिया है. पहाड़ के किसान अपने अदरक को औने-पौने दामों में बेचने को मजबूर हैं, क्योंकि उनका अदरक मंडियों में बिक नहीं पा रहा है.

Haldwani
हल्द्वानी
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Published : Apr 1, 2022, 12:28 PM IST

हल्द्वानी: उत्तराखंड के पहाड़ के गुणकारी अदरक की डिमांड कभी प्रदेश की सभी बड़ी मंडियों में हुआ करती थी. कुमाऊं के अदरक की पहचान कई राज्यों में हुआ करती थी. लेकिन बेंगलुरु के अदरक ने बाजारों में पहाड़ के गुणकारी अदरक के स्वाद को खराब कर दिया है. इस कारण पहाड़ के किसानों का अदरक मंडियों में बिक नहीं पा रहा है. ऐसे में पहाड़ के किसान अपने अदरक को औने-पौने दामों में बेचने को मजबूर हैं. यहां तक कि पहाड़ के अदरक की क्वालिटी खराब हो जाने के कारण किसान अपने अदरक को फेंकने को भी मजबूर हैं.

पिछले कई दशकों से पहाड़ के अदरक की डिमांड कई राज्यों में हुआ करते थी. कुमाऊं मंडल के रोइशिला, कोटाबाग, विजयपुर, हेड़ाखान, मंगलिया गांव, नैनीताल, भीमताल सहित पहाड़ के कई गांवों के अदरक की पहचान कई राज्यों में हुआ करती थी. कुमाऊं की सबसे बड़ी हल्द्वानी फल, सब्जी मंडी से पूर्व में यहां हर साल करीब 5 हजार कुंटल से अधिक अदरक का कारोबार हुआ करता था. धीरे-धीरे अब पहाड़ के अदरक की डिमांड खत्म हो रही है. क्योंकि बाजारों में कई राज्यों के अदरक ने कब्जा कर लिया है.

बेंगलुरु की अदरक ने बिगाड़ा पहाड़ी अदरक का स्वाद

बेंगलुरु का अदरक लोगों की पहली पसंद: बेंगलुरु समेत अन्य राज्यों का अदरक इन दिनों लोगों की पहली पसंद है. ऐसे में बेंगलुरु का अदरक मंडियों में आ जाने से पहाड़ के किसानों की कमर टूट गई है. बात पहाड़ के अदरक की कीमत की करें तो पहाड़ के अदरक की कीमत वर्तमान समय में मंडियो में ₹30 किलो है. वही बेंगलुरु का अदरक मंडी में ₹25 से ₹30 किलो पहुंच रहा है, जो साफ-सुथरा दिखने के कारण लोग ज्यादा खरीद रहे हैं.

यहां तक कि मौसम की मार ने पहाड़ के अदरक की गुणवत्ता को खराब कर दिया है, जिसके चलते पहाड़ के अदरक किसान परेशान हैं. बताया जाता है कि पहाड़ के अदरक की धुलाई कम होती है, जिसके चलते अदरक में चमक कम होती है. जबकि बेंगलुरु के अदरक की केमिकल से धुलाई होती है, जिससे उसकी चमक अधिक है, जिसके चलते बाजार में उसका कब्जा है.
पढ़ें- जोर का झटका लगा : एक ही बार में LPG सिलेंडर 250 रुपये महंगा

पहाड़ के अदरक कारोबारी भुवन नाथ के मुताबिक पहाड़ में अदरक लगाने में लागत अधिक आ रही है. सरकार द्वारा भी सरकारी खरीद नहीं की जाती है. यहां तक कि मौसम की मार लगातार किसानों के ऊपर पड़ रही है. नतीजा यह है कि पहाड़ के किसान अदरक की खेती से अब धीरे-धीरे से अपना मुंह मोड़ रहे हैं.

हल्द्वानी मंडी के सब्जी कारोबारी जीवन कार्की के मुताबिक बेंगलुरु के अदरक ने मंडियों में अपना कब्जा जमा लिया है. क्योंकि वहां का अदरक सस्ता और साफ-सुथरा दिखाई देता है. इसके चलते लोग बेंगलुरु का अदरक ज्यादा खरीद रहे हैं. पहाड़ का अदरक महंगा होने के कारण हल्द्वानी मंडी से अन्य मंडियों तक नहीं जा पा रहा है, जिसके चलते पहाड़ के अदरक की बिक्री नहीं हो पा रही है.

हल्द्वानी: उत्तराखंड के पहाड़ के गुणकारी अदरक की डिमांड कभी प्रदेश की सभी बड़ी मंडियों में हुआ करती थी. कुमाऊं के अदरक की पहचान कई राज्यों में हुआ करती थी. लेकिन बेंगलुरु के अदरक ने बाजारों में पहाड़ के गुणकारी अदरक के स्वाद को खराब कर दिया है. इस कारण पहाड़ के किसानों का अदरक मंडियों में बिक नहीं पा रहा है. ऐसे में पहाड़ के किसान अपने अदरक को औने-पौने दामों में बेचने को मजबूर हैं. यहां तक कि पहाड़ के अदरक की क्वालिटी खराब हो जाने के कारण किसान अपने अदरक को फेंकने को भी मजबूर हैं.

पिछले कई दशकों से पहाड़ के अदरक की डिमांड कई राज्यों में हुआ करते थी. कुमाऊं मंडल के रोइशिला, कोटाबाग, विजयपुर, हेड़ाखान, मंगलिया गांव, नैनीताल, भीमताल सहित पहाड़ के कई गांवों के अदरक की पहचान कई राज्यों में हुआ करती थी. कुमाऊं की सबसे बड़ी हल्द्वानी फल, सब्जी मंडी से पूर्व में यहां हर साल करीब 5 हजार कुंटल से अधिक अदरक का कारोबार हुआ करता था. धीरे-धीरे अब पहाड़ के अदरक की डिमांड खत्म हो रही है. क्योंकि बाजारों में कई राज्यों के अदरक ने कब्जा कर लिया है.

बेंगलुरु की अदरक ने बिगाड़ा पहाड़ी अदरक का स्वाद

बेंगलुरु का अदरक लोगों की पहली पसंद: बेंगलुरु समेत अन्य राज्यों का अदरक इन दिनों लोगों की पहली पसंद है. ऐसे में बेंगलुरु का अदरक मंडियों में आ जाने से पहाड़ के किसानों की कमर टूट गई है. बात पहाड़ के अदरक की कीमत की करें तो पहाड़ के अदरक की कीमत वर्तमान समय में मंडियो में ₹30 किलो है. वही बेंगलुरु का अदरक मंडी में ₹25 से ₹30 किलो पहुंच रहा है, जो साफ-सुथरा दिखने के कारण लोग ज्यादा खरीद रहे हैं.

यहां तक कि मौसम की मार ने पहाड़ के अदरक की गुणवत्ता को खराब कर दिया है, जिसके चलते पहाड़ के अदरक किसान परेशान हैं. बताया जाता है कि पहाड़ के अदरक की धुलाई कम होती है, जिसके चलते अदरक में चमक कम होती है. जबकि बेंगलुरु के अदरक की केमिकल से धुलाई होती है, जिससे उसकी चमक अधिक है, जिसके चलते बाजार में उसका कब्जा है.
पढ़ें- जोर का झटका लगा : एक ही बार में LPG सिलेंडर 250 रुपये महंगा

पहाड़ के अदरक कारोबारी भुवन नाथ के मुताबिक पहाड़ में अदरक लगाने में लागत अधिक आ रही है. सरकार द्वारा भी सरकारी खरीद नहीं की जाती है. यहां तक कि मौसम की मार लगातार किसानों के ऊपर पड़ रही है. नतीजा यह है कि पहाड़ के किसान अदरक की खेती से अब धीरे-धीरे से अपना मुंह मोड़ रहे हैं.

हल्द्वानी मंडी के सब्जी कारोबारी जीवन कार्की के मुताबिक बेंगलुरु के अदरक ने मंडियों में अपना कब्जा जमा लिया है. क्योंकि वहां का अदरक सस्ता और साफ-सुथरा दिखाई देता है. इसके चलते लोग बेंगलुरु का अदरक ज्यादा खरीद रहे हैं. पहाड़ का अदरक महंगा होने के कारण हल्द्वानी मंडी से अन्य मंडियों तक नहीं जा पा रहा है, जिसके चलते पहाड़ के अदरक की बिक्री नहीं हो पा रही है.

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