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बलियानाला भूस्खलन मामला: आपदा सचिव ने HC में पेश किया शपथ पत्र, याचिकाकर्ता ने जताई आपत्ति

नैनीताल के बलियानाला में पिछले कई सालों से लगातार भूस्खलन हो रहा है. इस मालमे में साल 2018 में नैनीताल निवासी सैय्यद नदीम मून ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिस पर लगातार सुनवाई चल रही है. बुधवार को इस बलियानाला भूस्खलन मामले में सैकेट्री डिजास्टर मैनेजमेंट एसए मुरुगेशन ने शपथ पत्र पेश किया.

Uttarakhand High Court
उत्तराखंड हाईकोर्ट
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Published : Nov 24, 2021, 1:57 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल के बलियानाला में हो रहे भूस्खलन पर दायर जनहित याचिका को लेकर सुनवाई की. पूर्व के आदेश पर आज (बुधवार 24 नवंबर) सैकेट्री डिजास्टर मैनेजमेंट एसए मुरुगेशन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश हुए. कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद याचिकाकार्ता से कहा है कि सैकेट्री द्वारा दायर शपथ पत्र पर वह अपना जवाब सबूतों के साथ तीन सप्ताह में पेश करें. मामले की अगली सुनवाई 29 दिसम्बर को होगी. कोर्ट ने 29 दिसंबर को भी सैकेट्री डिजास्टर मैनेजमेंट को पेश होने को कहा है.

बुधवार को सैकेट्री डिजास्टर मैनेजमेंट एस ए मुरुगेशन ने शपथ पत्र के जरिए कोर्ट में कहा कि उन्होंने 2018 में हाई पावर कमेटी द्वारा दिये गए सुझावों में से कई सुझाव पर कार्य कर दिया है. जैसे सिचाई विभाग ने नाले और उसके आसपास सुरक्षा दीवार बना दी है. वन विभाग ने भूस्खलन को रोकने के लिए विभिन्न प्रकार के पेड़ लगा दिए हैं और जिला प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्र के लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया है.

पढ़ें- बलिया नाले में भूस्खलन का मामला: सरकार के शपथ पत्र से संतुष्ट नहीं HC, आपदा सचिव को किया तलब

इसके अलावा नाले के ट्रीटमेंट के लिए 20 करोड़ रुपए सिंचाई विभाग को अवमुक्त किया जा रहा है. नाले का ट्रीटमेंट कर रही जैपनीज कम्पनी से ठेका वापस लेकर पुणे की कम्पनी को दिया गया है. सैकेट्री द्वारा कोर्ट को यह भी बताया गया कि भूस्खलन में उनके दो लैंड स्लाइड अलार्मिंग सिस्टम बह गए हैं, इनको भी फिर से लगाया जा रहा है.

इस शपथ पत्र का विरोध करते हुए याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि स्थल पर कोई कार्य नहीं हुआ है. यह शपथ पत्र एक कमरे में बैठकर बनाया गया है, जिस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह इसका उत्तर फोटो के साथ पेश करें, ताकि कोर्ट को हकीकत का पता चल सके. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ में हुई.

पढ़ें- सहायक वन संरक्षक भर्ती: 12 अप्रैल को HC में प्रमुख वन संरक्षक की पेशी

पूर्व में याचिकाकर्ता द्वारा कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर कहा था कि नैनीताल का बलियानाला में बरसात के समय भारी भूस्खलन होते जा रहा है, जिससे उसके आसपास रहने वाले लोग प्रभावित हो रहे हैं. भूस्खलन होने के कारण प्रशासन ने कुछ परिवारों को दूसरी जगह शिफ्ट भी किया है, लेकिन सरकार की लापरवाही के चलते आज तक इसका कोई ठोस ट्रीटमेंट नहीं किया गया, जबकि करोड़ों रूपये इस पर खर्च किए गए. 2018 में कोर्ट के आदेश पर इसके समाधान हेतु एक हाईपावर कमेटी भी गठित की गई थी, लेकिन उसके द्वारा दिये गए सुझावों पर आज तक प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया.

मामले के अनुसार नैनीताल निवासी अधिवक्ता सैय्यद नदीम मून ने 2018 में उच्च न्यायालय में जनहित दायर कर कहा था कि नैनीताल के आधार कहे जाने वाले बलियानाला में हो रहे भूस्खलन से नैनीताल व इसके आसपास रहे लोगों को बड़ा खतरा हो सकता है. नैनीताल के अस्तित्व और लोगों को बचाने के लिए इसमे हो रहे भूस्खलन को रोकने के लिए कोई ठोस उपाय किया जाए. ताकि क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन को रोका जा सके.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल के बलियानाला में हो रहे भूस्खलन पर दायर जनहित याचिका को लेकर सुनवाई की. पूर्व के आदेश पर आज (बुधवार 24 नवंबर) सैकेट्री डिजास्टर मैनेजमेंट एसए मुरुगेशन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश हुए. कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद याचिकाकार्ता से कहा है कि सैकेट्री द्वारा दायर शपथ पत्र पर वह अपना जवाब सबूतों के साथ तीन सप्ताह में पेश करें. मामले की अगली सुनवाई 29 दिसम्बर को होगी. कोर्ट ने 29 दिसंबर को भी सैकेट्री डिजास्टर मैनेजमेंट को पेश होने को कहा है.

बुधवार को सैकेट्री डिजास्टर मैनेजमेंट एस ए मुरुगेशन ने शपथ पत्र के जरिए कोर्ट में कहा कि उन्होंने 2018 में हाई पावर कमेटी द्वारा दिये गए सुझावों में से कई सुझाव पर कार्य कर दिया है. जैसे सिचाई विभाग ने नाले और उसके आसपास सुरक्षा दीवार बना दी है. वन विभाग ने भूस्खलन को रोकने के लिए विभिन्न प्रकार के पेड़ लगा दिए हैं और जिला प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्र के लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया है.

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इसके अलावा नाले के ट्रीटमेंट के लिए 20 करोड़ रुपए सिंचाई विभाग को अवमुक्त किया जा रहा है. नाले का ट्रीटमेंट कर रही जैपनीज कम्पनी से ठेका वापस लेकर पुणे की कम्पनी को दिया गया है. सैकेट्री द्वारा कोर्ट को यह भी बताया गया कि भूस्खलन में उनके दो लैंड स्लाइड अलार्मिंग सिस्टम बह गए हैं, इनको भी फिर से लगाया जा रहा है.

इस शपथ पत्र का विरोध करते हुए याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि स्थल पर कोई कार्य नहीं हुआ है. यह शपथ पत्र एक कमरे में बैठकर बनाया गया है, जिस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह इसका उत्तर फोटो के साथ पेश करें, ताकि कोर्ट को हकीकत का पता चल सके. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ में हुई.

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पूर्व में याचिकाकर्ता द्वारा कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर कहा था कि नैनीताल का बलियानाला में बरसात के समय भारी भूस्खलन होते जा रहा है, जिससे उसके आसपास रहने वाले लोग प्रभावित हो रहे हैं. भूस्खलन होने के कारण प्रशासन ने कुछ परिवारों को दूसरी जगह शिफ्ट भी किया है, लेकिन सरकार की लापरवाही के चलते आज तक इसका कोई ठोस ट्रीटमेंट नहीं किया गया, जबकि करोड़ों रूपये इस पर खर्च किए गए. 2018 में कोर्ट के आदेश पर इसके समाधान हेतु एक हाईपावर कमेटी भी गठित की गई थी, लेकिन उसके द्वारा दिये गए सुझावों पर आज तक प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया.

मामले के अनुसार नैनीताल निवासी अधिवक्ता सैय्यद नदीम मून ने 2018 में उच्च न्यायालय में जनहित दायर कर कहा था कि नैनीताल के आधार कहे जाने वाले बलियानाला में हो रहे भूस्खलन से नैनीताल व इसके आसपास रहे लोगों को बड़ा खतरा हो सकता है. नैनीताल के अस्तित्व और लोगों को बचाने के लिए इसमे हो रहे भूस्खलन को रोकने के लिए कोई ठोस उपाय किया जाए. ताकि क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन को रोका जा सके.

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