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मंडुवा से किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी, विभाग ने रखा लक्ष्य

इस वर्ष खरीफ की फसल की पैदावार अच्छी होने की उम्मीद है. क्योंकि मौसम विभाग के अनुसार इस वर्ष पूरे प्रदेश में अच्छी बारिश होने की उम्मीद है. कृषि विभाग द्वारा पूरे प्रदेश में मंडुवे की खेती के लिए 1,10,000 हेक्टेयर में उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. जबकि इस वर्ष धान की बुआई के लिए पूरे प्रदेश में 2,50,000 हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य रखा गया है

haldwani
धान और मडुवा का रखा लक्ष्य
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Published : Jul 3, 2020, 12:21 PM IST

Updated : Jul 3, 2020, 3:11 PM IST

हल्द्वानी: खरीफ फसल की बुआई शुरू हो गई है. ऐसे में कृषि विभाग ने खरीफ फसल के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली है. साथ ही इस वर्ष धान की फसल के लिए पूरे प्रदेश में 2.5 लाख हेक्टेयर में बुआई का लक्ष्य रखा है, जबकि मंडुवा के लिए 1.10 लाख हेक्टेयर में बुआई का लक्ष्य रखा है.

मंडुवा से किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी.

कृषि विभाग कुमाऊं के संयुक्त निदेशक मंडल प्रदीप कुमार ने कहा कि इस वर्ष खरीफ की फसल की पैदावार अच्छी होने की उम्मीद है. क्योंकि मौसम विभाग के अनुसार इस वर्ष पूरे प्रदेश में अच्छी बारिश होने की उम्मीद है. वहीं, प्रदेश में मंडुवे की बुआई हो चुकी है, जबकि धान की बुआई का काम चल रहा है.

ये भी पढ़े: मौसम: प्रदेश में YELLOW अलर्ट जारी, भारी बारिश के साथ भूस्खलन की भी आशंका

कृषि विभाग द्वारा पूरे प्रदेश में मंडुवे की खेती के लिए 1,10,000 हेक्टेयर में उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. जबकि इस वर्ष धान की बुआई के लिए पूरे प्रदेश में 2,50,000 हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य रखा गया है. जिसमें धान की खेती के लिए कुमाऊं मंडल में 1,69,000 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है.

धान और मडुवा की खेती का लक्ष्य

जिले का नामधान खेती का लक्ष्य (हेक्टेयर) मडुवा खेती का लक्ष्य (हेक्टेयर)
उधम सिंह नगर98,000 हेक्टेयर-------
नैनीताल11,000 हेक्टेयर 3,000 हेक्टेयर
अल्मोड़ा19,000 हेक्टेयर36,000 हेक्टेयर
बागेश्वर14,000 हेक्टेयर5,000 हेक्टेयर
पिथौरागढ़20,000 हेक्टेयर7,000 हेक्टेयर
चंपावत7,500 हेक्टेयर5,000 हेक्टेयर
देहरादून10,000 हेक्टेयर1,000 हेक्टेयर
पौड़ी16,000 हेक्टेयर20,000 हेक्टेयर
टिहरी12,000 हेक्टेयर11,000 हेक्टेयर
चमोली11,000 हेक्टेयर10,000 हेक्टेयर
रुद्रप्रयाग8,500 हेक्टेयर7,000 हेक्टेयर
उत्तरकाशी10,000 हेक्टेयर5,000 हेक्टेयर
हरिद्वार13,000 हेक्टेयर------

संयुक्त कृषि निदेशक के अनुसार उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार समय से मॉनसून आने के चलते धान के साथ-साथ मंडुवा की खेती भी अच्छी होगी. पहाड़ की पारंपरिक मंडुवे की खेती के प्रति अब लोगों ने रुझान देखा जा रहा है.

मंडुवे के फायदे

उत्तराखंड के पर्वतीय अंचल में उगाया जाने वाला मंडुवा पौष्टिकता का खजाना है. देवभूमि की परंपरागत फसलों में मंडुवा का महत्वपूर्ण स्थान है. मंडुवा हृदय व मधुमेह रोग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए लाभदायक माना जाता है. इसमें पर्याप्त पोषक तत्व होने की वजह से यह कुपोषण से बचाने में भी मददगार होता है. बाजार में मंडुवे के आटे की मांग बढ़ती जा रही है. बाजार में मडुवे का आटा 40 से 50 रुपये प्रति किलो के बिक रहा है.

काश्तकारों के लिए मुफीद खेती

प्रदेश में 136 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में इसकी खेती की जाती है. गरम तासीर वाले मंडुवे का सेवन पहाड़ में सर्द मौसम में ज्यादा किया जाता है. इससे खेती से अब किसान भी आत्मनिर्भर हो रहे हैं. जिससे उनकी आजीविका में इजाफा हो रहा है.

हल्द्वानी: खरीफ फसल की बुआई शुरू हो गई है. ऐसे में कृषि विभाग ने खरीफ फसल के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली है. साथ ही इस वर्ष धान की फसल के लिए पूरे प्रदेश में 2.5 लाख हेक्टेयर में बुआई का लक्ष्य रखा है, जबकि मंडुवा के लिए 1.10 लाख हेक्टेयर में बुआई का लक्ष्य रखा है.

मंडुवा से किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी.

कृषि विभाग कुमाऊं के संयुक्त निदेशक मंडल प्रदीप कुमार ने कहा कि इस वर्ष खरीफ की फसल की पैदावार अच्छी होने की उम्मीद है. क्योंकि मौसम विभाग के अनुसार इस वर्ष पूरे प्रदेश में अच्छी बारिश होने की उम्मीद है. वहीं, प्रदेश में मंडुवे की बुआई हो चुकी है, जबकि धान की बुआई का काम चल रहा है.

ये भी पढ़े: मौसम: प्रदेश में YELLOW अलर्ट जारी, भारी बारिश के साथ भूस्खलन की भी आशंका

कृषि विभाग द्वारा पूरे प्रदेश में मंडुवे की खेती के लिए 1,10,000 हेक्टेयर में उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. जबकि इस वर्ष धान की बुआई के लिए पूरे प्रदेश में 2,50,000 हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य रखा गया है. जिसमें धान की खेती के लिए कुमाऊं मंडल में 1,69,000 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है.

धान और मडुवा की खेती का लक्ष्य

जिले का नामधान खेती का लक्ष्य (हेक्टेयर) मडुवा खेती का लक्ष्य (हेक्टेयर)
उधम सिंह नगर98,000 हेक्टेयर-------
नैनीताल11,000 हेक्टेयर 3,000 हेक्टेयर
अल्मोड़ा19,000 हेक्टेयर36,000 हेक्टेयर
बागेश्वर14,000 हेक्टेयर5,000 हेक्टेयर
पिथौरागढ़20,000 हेक्टेयर7,000 हेक्टेयर
चंपावत7,500 हेक्टेयर5,000 हेक्टेयर
देहरादून10,000 हेक्टेयर1,000 हेक्टेयर
पौड़ी16,000 हेक्टेयर20,000 हेक्टेयर
टिहरी12,000 हेक्टेयर11,000 हेक्टेयर
चमोली11,000 हेक्टेयर10,000 हेक्टेयर
रुद्रप्रयाग8,500 हेक्टेयर7,000 हेक्टेयर
उत्तरकाशी10,000 हेक्टेयर5,000 हेक्टेयर
हरिद्वार13,000 हेक्टेयर------

संयुक्त कृषि निदेशक के अनुसार उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार समय से मॉनसून आने के चलते धान के साथ-साथ मंडुवा की खेती भी अच्छी होगी. पहाड़ की पारंपरिक मंडुवे की खेती के प्रति अब लोगों ने रुझान देखा जा रहा है.

मंडुवे के फायदे

उत्तराखंड के पर्वतीय अंचल में उगाया जाने वाला मंडुवा पौष्टिकता का खजाना है. देवभूमि की परंपरागत फसलों में मंडुवा का महत्वपूर्ण स्थान है. मंडुवा हृदय व मधुमेह रोग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए लाभदायक माना जाता है. इसमें पर्याप्त पोषक तत्व होने की वजह से यह कुपोषण से बचाने में भी मददगार होता है. बाजार में मंडुवे के आटे की मांग बढ़ती जा रही है. बाजार में मडुवे का आटा 40 से 50 रुपये प्रति किलो के बिक रहा है.

काश्तकारों के लिए मुफीद खेती

प्रदेश में 136 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में इसकी खेती की जाती है. गरम तासीर वाले मंडुवे का सेवन पहाड़ में सर्द मौसम में ज्यादा किया जाता है. इससे खेती से अब किसान भी आत्मनिर्भर हो रहे हैं. जिससे उनकी आजीविका में इजाफा हो रहा है.

Last Updated : Jul 3, 2020, 3:11 PM IST
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