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INNOVATION: दो भाइयों ने पानी छूते ही बिजली बनाने वाली टरबाइन की तैयार, CM धामी ने देखा चमत्कार

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Published : Dec 30, 2021, 10:49 AM IST

Updated : Dec 30, 2021, 11:40 AM IST

उत्तराखंड के दो भाइयों ने एक ऐसा आविष्कार किया है जिससे आने वाले समय में देश में विद्युत क्रांति आ सकती है. नारायण भारद्वाज और बलराम भारद्वाज ने बहते पानी से बिजली तैयार कर डाली है. कालाढूंगी क्षेत्र के पवलगढ़ में लगाए गए इनके पावर प्लांट को देखने खुद रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहुंचे थे. दुनिया के पहले स्वदेशी हाइड्रोकाइनेटिक पावर प्लांट से 5 किलोवाट बिजली पैदा हो रही है.

Indigenous hydrokinetic turbine
Indigenous hydrokinetic turbine

हल्द्वानी: उत्तराखंड के कालाढूंगी क्षेत्र के पवलगढ़ में दो भाइयों ने दुनिया का पहला स्वदेशी हाइड्रोकाइनेटिक पावर प्लांट तैयार किया है. एक छोटी सी नहर पर काइनेटिक पावर टरबाइन की स्थापना की है. जिसके माध्यम से बिजली का उत्पादन करने में सफलता हासिल की है. खास बात यह है कि छोटी सी सिंचाई नहर के ऊपर बनाई गई टरबाइन केवल पानी के सतह को छूकर बिजली का उत्पादन कर रही हैं. टरबाइन को चलाने के लिए किसी तरह का पानी रोकने की जरूरत नहीं है और न ही टरबाइन के चलने से पानी की गति में कोई रुकावट हो रही है.

रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट और सीएम धामी ने किया निरीक्षण: हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट की सफलता को देखने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने भी स्थलीय निरीक्षण कर इस प्रोजेक्ट की तारीफ की है. बताया जा रहा है कि यह सफलता बिजली उत्पादन के क्षेत्र में उत्तराखंड के साथ-साथ पूरे देश के लिए कारगर हो सकती है. जहां पर छोटे कैनाल और सिंचाई नहरों के माध्यम से बिजली का उत्पादन हो सकता है वहां ये उपयोगी साबित होगी.

दो भाइयों ने पानी छूते ही बिजली बनाने वाली टरबाइन की तैयार.

दो भाइयों ने तैयार किया स्टार्टअप: बता दें कि, कालाढूंगी के पवलगढ़ में बनाए गए स्वदेशी सरफेस हाइड्रोकाइनेटिक तकनीकी से स्टार्टअप तैयार करने वाले नारायण और बलराम भारद्वाज दोनों भाइयों की अपनी मेकलेक नाम की कंपनी है. जो पिछले कई सालों से अक्षय ऊर्जा, पर्यावरण प्रबंधन और विभिन्न प्रकार के प्रौद्योगिकी विकास और व्यवसायीकरण पर काम कर रही हैं. उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए पिछले 8 सालों से काम कर रहे हैं.

प्रदूषण मुक्त है हाइड्रोकाइनेटिक टरबाइन: 2013 में इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. जहां उनको सफलता मिली है. पूर्ण रूप से स्वदेशी सरफेस हाइड्रोकाइनेटिक टरबाइन शत प्रतिशत प्रदूषण मुक्त है जो छोटी से छोटी पहाड़ी सिंचाई गूल के अलावा नदियों से निकलने वाली छोटी, बड़ी नहरों पर तैयार की जा सकती है. इसमें बिना कोई बांध बनाए या पानी रोके 24 घंटे सातों दिन 12 महीने बिजली उत्पादन कर सकते हैं.

बहते पानी से बनाई बिजली: नारायण और बलराम भारद्वाज अपनी मेकलेक कंपनी के फाउंडर और इनवर्टेड एमडी हैं. उन्होंने बताया कि भारत के पास अपनी ऐसी क्षमता है कि बहते हुए पानी से बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए हजारों मेगावाट बिजली का उत्पादन कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि अभी तक भारत में हाइड्रो डैम, कोयले से बिजली उत्पादन के अलावा सोलर एनर्जी के माध्यम से बिजली का उत्पादन हो रहा है. लेकिन सरफेस हाइड्रोकाइनेटिक के माध्यम से बिजली पैदा करने से जहां बिजली उत्पादन में लागत मामूली लगेगी, तो वहीं पर्यावरण को भी किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचेगा. इसके अलावा जहां पर बिजली नहीं पहुंच सकती है उन क्षेत्रों में यह प्रोजेक्ट काफी कारगर साबित होगा.

पढ़ें: विधानसभा चुनाव से पहले सभी जिलों में बदले गए आबकारी अधिकारी, यहां देखें सूची

ये आविष्कार लाएगा भारत में क्रांति: उन्होंने बताया कि अभी तक जो भी जल विद्युत टरबाइन बनाई गई हैं, उनके लिए अधिक पानी के साथ-साथ पानी के लेबल की भी अधिक आवश्यकता पड़ती है. इसके अलावा पर्यावरण के ऊपर भी असर पड़ता है. लेकिन हाइड्रोकाइनेटिक टरबाइन केवल पानी की सतह को छूकर चलती है और इसको किसी भी छोटे गांव घर या फैक्ट्री द्वारा स्थापित किया जा सकता है जहां से सूक्ष्म सिंचाई नहर गुजरती हो. उन्होंने बताया कि कंपनी द्वारा वन विभाग के पवलगढ़ गेस्ट हाउस की छोटी सिंचाई नहर पर प्रोजेक्ट तैयार किया गया है.

तीन प्रोजेक्ट से 5-5 किलोवाट बिजली हो रही तैयार: पवलगढ़ गेस्ट हाउस में नारायण भारद्वाज और बलराम भारद्वाज ने पांच-पांच किलोवाट के तीन प्रोजेक्ट लगाए गए हैं. इनसे 15 किलोवाट बिजली तैयार की जा रही है. उन्होंने बताया कि उनके द्वारा तैयार की गई सरफेस हाइड्रोकाइनेटिक टरबाइन प्रति घंटा 50 यूनिट बिजली उत्पादित करती है. वर्तमान समय में उत्पादित बिजली से पवलगढ़ फॉरेस्ट गेस्ट हाउस को बिजली उपलब्ध कराई जा रही है.

सिर्फ 60 लाख में तैयार कर दिया पावर प्लांट: उन्होंने बताया कि इस यूनिट को लगाने में करीब 60 लाख खर्च हुए हैं. जिसमें राज्य सरकार द्वारा करीब ₹18 लाख दिए गए हैं. उनके द्वारा तैयार किए गए इस प्रोजेक्ट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संज्ञान में लेते हुए मिनिस्ट्री ऑफ ऊर्जा विभाग के साथ एक कमेटी बनाई. जहां कमेटी ने पाया कि उनके द्वारा तैयार किए गए सरफेस हाइड्रोकाइनेटिक टरबाइन पूर्ण तरह से स्वदेशी है.

पढ़ें: हल्द्वानी: PM मोदी की रैली में जाने से पहले जानें ट्रैफिक रूट, इन जगहों पर मिलेगी पार्किंग

दोनों भाइयों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि उनके द्वारा तैयार किए गए इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया जाए. जिससे कि इस हाइड्रोकाइनेटिक टरबाइन के माध्यम से छोटे-छोटे गांवों में बहने वाली सिंचाई नहरों के माध्यम से बिजली उत्पादन किया जा सके और भारत ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी हो सके.

बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट भी इस हाइड्रोकाइनेटिक पावर प्लांट का जायजा ले चुके हैं. मुख्यमंत्री ने इस प्रोजेक्ट की सराहना की है. उन्होंने कहा कि कंपनी और वन विभाग उत्तराखंड सरकार के सहयोग से प्रारंभ किए गए नवीन ऊर्जा से उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश को फायदा मिलेगा. आने वाले दिनों में उत्तराखंड की नदियों और जल प्रवाहित जल धाराओं से लगभग 1500 मेगावाट बिजली का उत्पादन उनके द्वारा निर्मित स्वदेशी सर्वश्रेष्ठ हाइड्रोकाइनेटिक तकनीक के माध्यम से किया जा सकता है. इसके लिए सरकार प्रयास करेगी.

उत्तराखंड के लिए हो सकता है फायदेमंद: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों के गांव दूर-दूर बिखरे हुए से हैं. वहां तक बिजली के पोल खींचने के लिए कड़े श्रम की जरूरत है. कई गांव ऐसी दुर्गम जगहों पर हैं कि वहां बिजली की लाइन ले जाने में बिजली विभाग अभी तक सफल नहीं हो पाया है. ऐसे गांवों के लिए ये आविष्कार बहुत काम आ सकता है. उन गांवों के आसपास बहने वाले गदेरों से बिजली पैदा की जा सकती है.

हल्द्वानी: उत्तराखंड के कालाढूंगी क्षेत्र के पवलगढ़ में दो भाइयों ने दुनिया का पहला स्वदेशी हाइड्रोकाइनेटिक पावर प्लांट तैयार किया है. एक छोटी सी नहर पर काइनेटिक पावर टरबाइन की स्थापना की है. जिसके माध्यम से बिजली का उत्पादन करने में सफलता हासिल की है. खास बात यह है कि छोटी सी सिंचाई नहर के ऊपर बनाई गई टरबाइन केवल पानी के सतह को छूकर बिजली का उत्पादन कर रही हैं. टरबाइन को चलाने के लिए किसी तरह का पानी रोकने की जरूरत नहीं है और न ही टरबाइन के चलने से पानी की गति में कोई रुकावट हो रही है.

रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट और सीएम धामी ने किया निरीक्षण: हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट की सफलता को देखने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने भी स्थलीय निरीक्षण कर इस प्रोजेक्ट की तारीफ की है. बताया जा रहा है कि यह सफलता बिजली उत्पादन के क्षेत्र में उत्तराखंड के साथ-साथ पूरे देश के लिए कारगर हो सकती है. जहां पर छोटे कैनाल और सिंचाई नहरों के माध्यम से बिजली का उत्पादन हो सकता है वहां ये उपयोगी साबित होगी.

दो भाइयों ने पानी छूते ही बिजली बनाने वाली टरबाइन की तैयार.

दो भाइयों ने तैयार किया स्टार्टअप: बता दें कि, कालाढूंगी के पवलगढ़ में बनाए गए स्वदेशी सरफेस हाइड्रोकाइनेटिक तकनीकी से स्टार्टअप तैयार करने वाले नारायण और बलराम भारद्वाज दोनों भाइयों की अपनी मेकलेक नाम की कंपनी है. जो पिछले कई सालों से अक्षय ऊर्जा, पर्यावरण प्रबंधन और विभिन्न प्रकार के प्रौद्योगिकी विकास और व्यवसायीकरण पर काम कर रही हैं. उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए पिछले 8 सालों से काम कर रहे हैं.

प्रदूषण मुक्त है हाइड्रोकाइनेटिक टरबाइन: 2013 में इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. जहां उनको सफलता मिली है. पूर्ण रूप से स्वदेशी सरफेस हाइड्रोकाइनेटिक टरबाइन शत प्रतिशत प्रदूषण मुक्त है जो छोटी से छोटी पहाड़ी सिंचाई गूल के अलावा नदियों से निकलने वाली छोटी, बड़ी नहरों पर तैयार की जा सकती है. इसमें बिना कोई बांध बनाए या पानी रोके 24 घंटे सातों दिन 12 महीने बिजली उत्पादन कर सकते हैं.

बहते पानी से बनाई बिजली: नारायण और बलराम भारद्वाज अपनी मेकलेक कंपनी के फाउंडर और इनवर्टेड एमडी हैं. उन्होंने बताया कि भारत के पास अपनी ऐसी क्षमता है कि बहते हुए पानी से बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए हजारों मेगावाट बिजली का उत्पादन कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि अभी तक भारत में हाइड्रो डैम, कोयले से बिजली उत्पादन के अलावा सोलर एनर्जी के माध्यम से बिजली का उत्पादन हो रहा है. लेकिन सरफेस हाइड्रोकाइनेटिक के माध्यम से बिजली पैदा करने से जहां बिजली उत्पादन में लागत मामूली लगेगी, तो वहीं पर्यावरण को भी किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचेगा. इसके अलावा जहां पर बिजली नहीं पहुंच सकती है उन क्षेत्रों में यह प्रोजेक्ट काफी कारगर साबित होगा.

पढ़ें: विधानसभा चुनाव से पहले सभी जिलों में बदले गए आबकारी अधिकारी, यहां देखें सूची

ये आविष्कार लाएगा भारत में क्रांति: उन्होंने बताया कि अभी तक जो भी जल विद्युत टरबाइन बनाई गई हैं, उनके लिए अधिक पानी के साथ-साथ पानी के लेबल की भी अधिक आवश्यकता पड़ती है. इसके अलावा पर्यावरण के ऊपर भी असर पड़ता है. लेकिन हाइड्रोकाइनेटिक टरबाइन केवल पानी की सतह को छूकर चलती है और इसको किसी भी छोटे गांव घर या फैक्ट्री द्वारा स्थापित किया जा सकता है जहां से सूक्ष्म सिंचाई नहर गुजरती हो. उन्होंने बताया कि कंपनी द्वारा वन विभाग के पवलगढ़ गेस्ट हाउस की छोटी सिंचाई नहर पर प्रोजेक्ट तैयार किया गया है.

तीन प्रोजेक्ट से 5-5 किलोवाट बिजली हो रही तैयार: पवलगढ़ गेस्ट हाउस में नारायण भारद्वाज और बलराम भारद्वाज ने पांच-पांच किलोवाट के तीन प्रोजेक्ट लगाए गए हैं. इनसे 15 किलोवाट बिजली तैयार की जा रही है. उन्होंने बताया कि उनके द्वारा तैयार की गई सरफेस हाइड्रोकाइनेटिक टरबाइन प्रति घंटा 50 यूनिट बिजली उत्पादित करती है. वर्तमान समय में उत्पादित बिजली से पवलगढ़ फॉरेस्ट गेस्ट हाउस को बिजली उपलब्ध कराई जा रही है.

सिर्फ 60 लाख में तैयार कर दिया पावर प्लांट: उन्होंने बताया कि इस यूनिट को लगाने में करीब 60 लाख खर्च हुए हैं. जिसमें राज्य सरकार द्वारा करीब ₹18 लाख दिए गए हैं. उनके द्वारा तैयार किए गए इस प्रोजेक्ट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संज्ञान में लेते हुए मिनिस्ट्री ऑफ ऊर्जा विभाग के साथ एक कमेटी बनाई. जहां कमेटी ने पाया कि उनके द्वारा तैयार किए गए सरफेस हाइड्रोकाइनेटिक टरबाइन पूर्ण तरह से स्वदेशी है.

पढ़ें: हल्द्वानी: PM मोदी की रैली में जाने से पहले जानें ट्रैफिक रूट, इन जगहों पर मिलेगी पार्किंग

दोनों भाइयों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि उनके द्वारा तैयार किए गए इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया जाए. जिससे कि इस हाइड्रोकाइनेटिक टरबाइन के माध्यम से छोटे-छोटे गांवों में बहने वाली सिंचाई नहरों के माध्यम से बिजली उत्पादन किया जा सके और भारत ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी हो सके.

बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट भी इस हाइड्रोकाइनेटिक पावर प्लांट का जायजा ले चुके हैं. मुख्यमंत्री ने इस प्रोजेक्ट की सराहना की है. उन्होंने कहा कि कंपनी और वन विभाग उत्तराखंड सरकार के सहयोग से प्रारंभ किए गए नवीन ऊर्जा से उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश को फायदा मिलेगा. आने वाले दिनों में उत्तराखंड की नदियों और जल प्रवाहित जल धाराओं से लगभग 1500 मेगावाट बिजली का उत्पादन उनके द्वारा निर्मित स्वदेशी सर्वश्रेष्ठ हाइड्रोकाइनेटिक तकनीक के माध्यम से किया जा सकता है. इसके लिए सरकार प्रयास करेगी.

उत्तराखंड के लिए हो सकता है फायदेमंद: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों के गांव दूर-दूर बिखरे हुए से हैं. वहां तक बिजली के पोल खींचने के लिए कड़े श्रम की जरूरत है. कई गांव ऐसी दुर्गम जगहों पर हैं कि वहां बिजली की लाइन ले जाने में बिजली विभाग अभी तक सफल नहीं हो पाया है. ऐसे गांवों के लिए ये आविष्कार बहुत काम आ सकता है. उन गांवों के आसपास बहने वाले गदेरों से बिजली पैदा की जा सकती है.

Last Updated : Dec 30, 2021, 11:40 AM IST
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