हल्द्वानीः सर्जिकल स्ट्राइक शब्द का ईजाद भले ही आम लोगों के जेहन में कुछ वर्ष पहले ही हुआ हो, लेकिन देश की पहली सर्जिकल स्ट्राइक 7 नवंबर 1947 को कश्मीर के पुंछ सेक्टर में हुई थी. पुंछ के सेलाटांग में कुमाऊं 1 रेजिमेंट के 3 पैराशूट कमांडो द्वारा पाकिस्तानी आतंकियों और घुसपैठी कवालियों से खाली कराया था, जिसमें 11 सैनिक शहीद हुए थे, जबकि 150 आतंकी मारे गए थे. उस सर्जिकल स्ट्राइक को याद कर आज रिटायर सैनिकों ने 72 वां वर्षगांठ मनाया और शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए.
7 नवंबर 1947 को जम्मू कश्मीर के पुंछ सेक्टर में पैराशूट कमांडो द्वारा पाकिस्तानी आतंकियों और कबालियों के कब्जे से सेलाटांग के हिस्से को छुड़ाया गया था. हर साल इस सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर 3 पैरा कमांडो जश्न मनाते हैं, लेकिन पहली बार 3 पैरा कमांडो के रिटायर अधिकारी और सैनिकों ने हल्द्वानी में जश्न मनाया.
आज 3 पैरा कमांडो के पूर्व सैनिकों द्वारा हल्द्वानी में विजय दिवस के रूप में मनाया गया. जिसमें 3 पैरा कमांडो के कई सेवारत अधिकारी जवान और उनके परिवार मौजूद रहे. इस मौके पर सेलाटांग की लड़ाई में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी गई और उनके बलिदान को याद किया गया.
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इस मौके पर 1947 में सेलाटांग की लड़ाई में भाग लेकर दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाले सबसे उम्रदराज के अधिकारी भी मौजूद रहे है. उन्होंने सेलाटांग में पैराशूट कमांडो द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में बताया कि 1947 के समय उनकी कमांडो टीम ने सेलाटांग को पाकिस्तानी आतंकी और कबालियों के कब्जे से बड़ी ही बहादुरी के साथ मुक्त कराया था.
करीब 1 महीने चली सर्जिकल स्ट्राइक में 3 पैरा कमांडो के 11 जवान शहीद हुए थे और 150 पाकिस्तानी आतंकी और कबालयी मारे गए थे.
3 पैरा कमांडो की इस वीरगाथा और साहस को देखते हुए भारत सरकार ने 3 पैरा कमांडो को देश का पहला बैटल ऑनर मेडल से सम्मानित किया था.