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घायल बाघिन को बचाने के तमाम प्रयास फेल! 17 दिन के जद्दोजहद के बाद भी नहीं बच पाई जान

Tiger Died in Ramnagar आखिरकार 17 दिन बाद घायल बाघिन अपनी जिंदगी की जंग हार गई. कॉर्बेट पार्क प्रशासन के अधिकारियों और डॉक्टरों की टीम ने उसे बचाने के तमाम प्रयास किए, लेकिन उसकी जान नहीं बचा पाए. यह बाघिन किशनपुर रेंज में घायल अवस्था में मिली थी.

Tiger Died in Ramnagar
बाघिन की मौत
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 10, 2023, 12:56 PM IST

रामनगरः तराई पूर्वी वन प्रभाग हल्द्वानी के किशनपुर रेंज के किशनपुर उत्तरी बीट से रेस्क्यू कर लाए गए घायल बाघिन की जान नहीं बचाई जा सकी है. बाघिन ने इलाज के दौरान ढेला रेंज स्थित रेस्क्यू सेंटर में दम तोड़ दिया. जब बाघिन को रेस्क्यू सेंटर लाया गया था तो वो बुरी तरह से घायल थी.

बता दें कि बीती 23 नवंबर को तराई पूर्वी वन प्रभाग हल्द्वानी के किशनपुर रेंज के किशनपुर उत्तरी बीट में एक बाघिन घायल अवस्था में मिली थी. जिसके बाद वनाधिकारियों ने रेस्क्यू कर इलाज के लिए बाघिन को कॉर्बेट पार्क के ढेला रेंज स्थित रेस्क्यू सेंटर पहुंचाया था. जहां कार्बेट टाइगर रिजर्व के वरिष्ठ पशु डॉक्टर दुष्यंत शर्मा समेत उनकी टीम ने बाघिन का इलाज किया, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद बाघिन को बचाया नहीं जा सका और बीती देर शाम उसकी मौत हो गई.
ये भी पढ़ेंः कॉर्बेट नेशनल पार्क में सिमट रही टाइगर की 'सल्तनत', अब पहाड़ों पर पलायन कर रहा 'जंगल का राजा'

उधर, बाघिन के मौत के बाद पोस्टमार्टम के लिए पैनल गठित की गई. जिसमें वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी दुष्यंत शर्मा, रानीबाग रेस्क्यू सेंटर के वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी डॉक्टर तरुण कुमार शामिल रहे. वहीं, कॉर्बेट पार्क के उपनिदेशक दिगांत नायक, उप प्रभागीय वनाधिकारी कालागढ़ शालिनी जोशी, वन क्षेत्राधिकारी ढेला समेत तमाम अधिकारियों की मौजूदगी में बाघिन की शव का पंचनामा किया गया. इसके बाद एनटीसीए के मानकों के अनुसार बाघिन के सभी अंगों को मौके पर ही जलाकर नष्ट कर दिया गया.
ये भी पढ़ेंः बाघों की कब्रगाह बना उत्तराखंड! 5 महीने में 13 टाइगर की मौत, कॉर्बेट में पांच ने गंवाई जान

बाघिन की रीढ़ की हड्डी हुई थी चकनाचूरः कॉर्बेट पार्क के डॉक्टर दुष्यंत शर्मा ने बताया कि ऐसा प्रतीत हो रहा था कि बाघिन किसी वाहन से टकराई थी. जिससे उसकी रीढ़ की हड्डी चकनाचूर हुई थी. जिस वजह से बाघ को काफी दिक्कत हो रही थी. उन्होंने बताया कि बाघिन का स्पाइनल कोड भी डैमेज हो चुका था. घायल बाघिन का पिछला अंग काम नहीं कर रहा था.

रामनगरः तराई पूर्वी वन प्रभाग हल्द्वानी के किशनपुर रेंज के किशनपुर उत्तरी बीट से रेस्क्यू कर लाए गए घायल बाघिन की जान नहीं बचाई जा सकी है. बाघिन ने इलाज के दौरान ढेला रेंज स्थित रेस्क्यू सेंटर में दम तोड़ दिया. जब बाघिन को रेस्क्यू सेंटर लाया गया था तो वो बुरी तरह से घायल थी.

बता दें कि बीती 23 नवंबर को तराई पूर्वी वन प्रभाग हल्द्वानी के किशनपुर रेंज के किशनपुर उत्तरी बीट में एक बाघिन घायल अवस्था में मिली थी. जिसके बाद वनाधिकारियों ने रेस्क्यू कर इलाज के लिए बाघिन को कॉर्बेट पार्क के ढेला रेंज स्थित रेस्क्यू सेंटर पहुंचाया था. जहां कार्बेट टाइगर रिजर्व के वरिष्ठ पशु डॉक्टर दुष्यंत शर्मा समेत उनकी टीम ने बाघिन का इलाज किया, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद बाघिन को बचाया नहीं जा सका और बीती देर शाम उसकी मौत हो गई.
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उधर, बाघिन के मौत के बाद पोस्टमार्टम के लिए पैनल गठित की गई. जिसमें वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी दुष्यंत शर्मा, रानीबाग रेस्क्यू सेंटर के वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी डॉक्टर तरुण कुमार शामिल रहे. वहीं, कॉर्बेट पार्क के उपनिदेशक दिगांत नायक, उप प्रभागीय वनाधिकारी कालागढ़ शालिनी जोशी, वन क्षेत्राधिकारी ढेला समेत तमाम अधिकारियों की मौजूदगी में बाघिन की शव का पंचनामा किया गया. इसके बाद एनटीसीए के मानकों के अनुसार बाघिन के सभी अंगों को मौके पर ही जलाकर नष्ट कर दिया गया.
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बाघिन की रीढ़ की हड्डी हुई थी चकनाचूरः कॉर्बेट पार्क के डॉक्टर दुष्यंत शर्मा ने बताया कि ऐसा प्रतीत हो रहा था कि बाघिन किसी वाहन से टकराई थी. जिससे उसकी रीढ़ की हड्डी चकनाचूर हुई थी. जिस वजह से बाघ को काफी दिक्कत हो रही थी. उन्होंने बताया कि बाघिन का स्पाइनल कोड भी डैमेज हो चुका था. घायल बाघिन का पिछला अंग काम नहीं कर रहा था.

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