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रेस्क्यू के बाद बाघिन की मौत से खड़े हुए कई सवाल, कॉर्बेट प्रशासन दे रहा गोलमोल जवाब - टीला गांव में खेतों में छिपी बाघिन की मौत

सोमवार को बाघिन को पकड़ने के लिए फिर से रेस्क्यू किया गया. वन विभाग की टीम को कामयाबी भी मिल गई. जब तक खेत में छिपी बाघिन का रेस्क्यू किया गया, तब तक बाघिन जिंदा थी. रेस्क्यू करने के बाद बाघिन को ढेला रेस्क्यू सेंटर ले जाते समय ही रास्ते में उसकी संदिग्ध परिस्थियों में मौत हो गई.

रामगनर में बाघिन की मौत
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Published : May 27, 2019, 11:59 PM IST

रामनगरः बांसी टीला गांव के खेतों में छिपी बाघिन का वन विभाग ने रेस्क्यू तो कर लिया, लेकिन बाघिन की संदिग्ध परिस्थितियों में अचानक मौत हो गई. बाघिन के मौत के बाद वन विभाग में खामोशी छाई हुई है. वहीं, कॉर्बेट प्रशासन मामले पर बचता नजर आ रहा है. ऐसे में बाघिन के रेस्क्यू पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

रामगनर में jरेस्क्यू के बाद बाघिन की मौत.


बता दें कि बीते चार दिनों से बांसी टीला गांव के खेतों में एक बाघिन को देखा जा रहा था. ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग पहले भी इस बाघिन को खेत से जंगल की ओर भगाने में कामयाब रहा, लेकिन बाघिन ने यहीं पर ही डेरा डाला हुआ था, जिसे लेकर रेस्क्यू अभियान चलाया. रविवार को रेस्क्यू के दौरान वन कर्मियों की टीम पर बाघिन ने हमला करने का प्रयास किया था. जिसके कारण रेस्क्यू अभियान बीच में ही छोड़ना पड़ा था.

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इसी क्रम में सोमवार को बाघिन को पकड़ने के लिए फिर से रेस्क्यू किया गया. वन विभाग की टीम को कामयाबी भी मिल गई. जब तक खेत में छिपी बाघिन का रेस्क्यू किया गया, तब तक बाघिन जिंदा थी. रेस्क्यू करने के बाद बाघिन को ढेला रेस्क्यू सेंटर ले जाते समय ही रास्ते में उसकी संदिग्ध परिस्थियों में मौत हो गई.


ऐसे में वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठना भी लाजिमी है कि रेस्क्यू के दौरान ऐसा क्या हुआ जो, बाघिन ने बीच रास्ते में ही दम तोड़ दिया. सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या रेस्क्यू के दौरान बाघिन को डंडा उसकी कमर पर इतना तेज पड़ा कि उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई या फिर उसमें लाठी-डंडों से इतनी शक्ति से दबाया गया कि उसे गहरी चोट पहुंची.

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पूरे मामले में मीडिया को भी दूर रखा गया. इतना ही नहीं ढेला रेस्क्यू सेंटर जाने से पहले ही मीडिया को रोक दिया गया. सवाल फिर से खड़े हो रहे हैं कि वन विभाग को पता था कि रेस्क्यू के दौरान ही बाघिन की मौत हो चुकी है. इसी वजह से मीडिया से दूरी बनाई गई.


वहीं, कार्बेट प्रशासन की मानें तो बासी टीला से रेस्क्यू की गई बाघिन ने ढेला रेंज में बने रेस्क्यू सेंटर ले जाते समय ही बीच रास्ते में दम तोड़ दिया था. उधर, बाघिन के मौत की वजह कुछ भी हो, लेकिन जांच का विषय बन गया है. बाघिन का पोस्टमार्टम कर उसका शव जला कर नष्ट कर दिया गया है और बिसरा को जांच के लिए भेज दिया है.

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वहीं, मामले पर आलाअधिकारी गोलमोल जवाब देते नजर आ रहे हैं. कालागढ़ रेंज के एसडीओ आरके तिवारी का कहना है कि बाघिन दो साल की थी. प्रथम दृष्टया लग रहा है कि किसी भारी बाघ ने उसके पीछे से पकड़ा होगा. जिसकी वजह से बाघिन की रीड की हड्डी टूट गई होगी. इसी कारण बाघिन ने जानवरों से बचने के लिए खेत में छिप गई.

रामनगरः बांसी टीला गांव के खेतों में छिपी बाघिन का वन विभाग ने रेस्क्यू तो कर लिया, लेकिन बाघिन की संदिग्ध परिस्थितियों में अचानक मौत हो गई. बाघिन के मौत के बाद वन विभाग में खामोशी छाई हुई है. वहीं, कॉर्बेट प्रशासन मामले पर बचता नजर आ रहा है. ऐसे में बाघिन के रेस्क्यू पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

रामगनर में jरेस्क्यू के बाद बाघिन की मौत.


बता दें कि बीते चार दिनों से बांसी टीला गांव के खेतों में एक बाघिन को देखा जा रहा था. ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग पहले भी इस बाघिन को खेत से जंगल की ओर भगाने में कामयाब रहा, लेकिन बाघिन ने यहीं पर ही डेरा डाला हुआ था, जिसे लेकर रेस्क्यू अभियान चलाया. रविवार को रेस्क्यू के दौरान वन कर्मियों की टीम पर बाघिन ने हमला करने का प्रयास किया था. जिसके कारण रेस्क्यू अभियान बीच में ही छोड़ना पड़ा था.

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इसी क्रम में सोमवार को बाघिन को पकड़ने के लिए फिर से रेस्क्यू किया गया. वन विभाग की टीम को कामयाबी भी मिल गई. जब तक खेत में छिपी बाघिन का रेस्क्यू किया गया, तब तक बाघिन जिंदा थी. रेस्क्यू करने के बाद बाघिन को ढेला रेस्क्यू सेंटर ले जाते समय ही रास्ते में उसकी संदिग्ध परिस्थियों में मौत हो गई.


ऐसे में वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठना भी लाजिमी है कि रेस्क्यू के दौरान ऐसा क्या हुआ जो, बाघिन ने बीच रास्ते में ही दम तोड़ दिया. सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या रेस्क्यू के दौरान बाघिन को डंडा उसकी कमर पर इतना तेज पड़ा कि उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई या फिर उसमें लाठी-डंडों से इतनी शक्ति से दबाया गया कि उसे गहरी चोट पहुंची.

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पूरे मामले में मीडिया को भी दूर रखा गया. इतना ही नहीं ढेला रेस्क्यू सेंटर जाने से पहले ही मीडिया को रोक दिया गया. सवाल फिर से खड़े हो रहे हैं कि वन विभाग को पता था कि रेस्क्यू के दौरान ही बाघिन की मौत हो चुकी है. इसी वजह से मीडिया से दूरी बनाई गई.


वहीं, कार्बेट प्रशासन की मानें तो बासी टीला से रेस्क्यू की गई बाघिन ने ढेला रेंज में बने रेस्क्यू सेंटर ले जाते समय ही बीच रास्ते में दम तोड़ दिया था. उधर, बाघिन के मौत की वजह कुछ भी हो, लेकिन जांच का विषय बन गया है. बाघिन का पोस्टमार्टम कर उसका शव जला कर नष्ट कर दिया गया है और बिसरा को जांच के लिए भेज दिया है.

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वहीं, मामले पर आलाअधिकारी गोलमोल जवाब देते नजर आ रहे हैं. कालागढ़ रेंज के एसडीओ आरके तिवारी का कहना है कि बाघिन दो साल की थी. प्रथम दृष्टया लग रहा है कि किसी भारी बाघ ने उसके पीछे से पकड़ा होगा. जिसकी वजह से बाघिन की रीड की हड्डी टूट गई होगी. इसी कारण बाघिन ने जानवरों से बचने के लिए खेत में छिप गई.

Intro:नोट- इस खबर से संबंधित विजुअल मेल से भेजा गया है जिसमें बाघिन का रेस्क्यू करता हुआ विजुअल है कृपया उसे चेक कर ले एक विजुअल और बाइट मौजों से स्क्रिप्ट के साथ भेजी गई है।


एंकर-रामनगर बांसी टीला गांव से खेत में छिपी बाघिन का आज दोपहर को रेस्क्यू कर लिया गया परंतु बाघिन की अचानक मौत हो गई।जिसके बाद वन विभाग में खामोशी छाई हुई है। कॉर्बेट प्रशासन पर किए गए बाघिन के रेस्क्यू पर कई सवालिया निशान लग गए हैं।


Body:वीओ- आपको बता दें कि जब तक खेत में छिपी बाघिन का रेस्क्यू किया गया तब तक बाघिन जिंदा थी।और रेस्क्यू कर लेने के पश्चात बाघिन को ढेला रेस्क्यू सेंटर ले जाते समय ही रास्ते में उसकी मौत हो गई। रेस्क्यू के दौरान ऐसा क्या हुआ जो बाघिन को इतनी चोट लगी कि उस उसने बीच रास्ते में ही दम तोड़ दिया यह एक सवाल बना हुआ है।पिछले 4 दिनों से खेत में लगातार बाघिन का आना-जाना बना हुआ था। वन विभाग इस बाघिन को पहले भी इसी खेत से हांका लगा कर जंगल की ओर भगाने में कामयाब रहा था।परंतु बाघिन ने यही अपनी पनागा बनाई हुई थी रविवार को इसी बाघिन ने रेस्क्यू के दौरान वन कर्मियों की टीम पर हमला करने का प्रयास किया था।जिस कारण रेस्क्यू अभियान बीच में ही छोड़ना पड़ा था।सोमवार को फिर से इसे पकड़ने की कार्रवाई शुरू की गई और वन विभाग की टीम को कामयाबी मिल गयी।परंतु कई सवाल अभी भी बने हुए हैं क्या रेस्क्यू के दौरान बाघिन को डंडा उसकी कमर पर इतना तेज पड़ा कि उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई या फिर उसमें लाठी-डंडों से इतनी शक्ति से दबाया गया कि उसकी रीढ़ की हड्डी क्रेक हो गई।शक और भी गहरा जाता है कि मीडिया को इस सारी कार्यवाही से दूर रखा गया।और ढेला रेस्क्यू सेंटर जाने से पहले ही मीडिया को रोक दिया गया। तो क्या वन विभाग को पता था कि रेस्क्यू के दौरान ही बाघिन की मौत हो चुकी है। प्रशासन की मानें तो बासी टीला से रेस्क्यू की गई बाघिन ने ढेला रेंज में बने रेस्क्यू सेंटर ले जाते समय ही बीच रास्ते में दम तोड़ दिया।बताया जा रहा है कि बाघिन की उम्र 2 साल की थी,जिसे बड़े भारी बाघ ने इसे पीछे से पकड़ा होगा। जिस वजह से इसकी रीड की हड्डी टूट गई होगी। इसी कारण इसने जानवरों से बचने के लिए खेत में छिपना ही पसंद किया। बहराल बाघ के मौत की वजह कुछ भी हो लेकिन जांच का विषय तो है।बावजूद इसके बाघिन का पोस्टमार्टम कर उसका शव जला कर नष्ट कर दिया गया है और उसके बिसरा को जांच के लिए भेज दिया गया है।

बाइट-आर के तिवारी(एसडीओ,कालागढ़ रेंज)


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