ETV Bharat / state

नैनीताल: आर्य भट्ट प्रेक्षण संस्थान में शुरू हुआ तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबीनार - Aryabhatta Research Institute nainital news

नैनीताल के आर्य भट्ट प्रेक्षण संस्थान में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबीनार की शुरुआत हो गई है. इस वेबीनार में ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या पर मंथन किया जा रहा है. वहीं, इस वेबिनार में भारत समेत 8 अन्य देशों के वैज्ञानिक प्रतिभाग कर रहे हैं.

 international webinar nainital news
तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार
author img

By

Published : Sep 15, 2020, 11:12 PM IST

नैनीताल: आर्य भट्ट प्रेक्षण संस्थान (ARISE) में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबीनार शुरू हो चुका है. इस वेबिनार में 8 देशों के 175 वैज्ञानिक प्रतिभाग कर रहे हैं. ऐसे में विश्व के सामने चुनौती बन चुके ग्लोबल वार्मिंग और तेजी से पिघल रहे ग्लेशियरों की समस्या से निपटने को लेकर मंगलवार से नैनीताल में इस वेबीनार का आयोजन किया जा रहा है.

आर्यभट्ट प्रेक्षण संस्थान के निदेशक डॉ. दीपांकर बनर्जी ने बताया कि जिस तरह से ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ रही है और उससे दुनिया के सामने खतरा मंडरा रहा है. लिहाजा, उससे निपटने को लेकर इस वेबीनार में विश्वभर के वैज्ञानिक मंथन कर रहे हैं. ऐसे में इस वेबिनार में जो भी निष्कर्ष निकलेगा उसका अध्ययन कर केंद्र सरकार को पास भेजा जाएगा. इस अध्ययन के बाद ग्लोबल वार्मिंग और ग्लेशियरों के पिघलने की समस्या के समाधान के लिए कार्य हो सकेगा.

यह भी पढ़ें-कॉर्बेट पार्क से शिफ्ट होंगे पांच बाघ, निरीक्षण करके लौटी टीम

बता दें कि इस वेबीनार में एरोसोल को लेकर भी गहनता से मंथन किया जा रहा है क्योंकि, एरोसोल मुख्य रूप से वायुमंडल और लोगों के जीवन पर प्रभाव डालता है. एरोसोल मुख्य रूप से मॉनसून को प्रभावित करता है जिस वजह से पारिस्थितिकी तंत्र पर भी असर पड़ता है. ऐसे में एरोसोल पर अध्ययन बेहद महत्वपूर्ण है. वैज्ञानिक भाषा में एरोसोल का मतलब हवा, गैस और पानी के कणों का गुबार होता है जो सीधे तौर पर वायुमंडल और मानव जीवन को प्रभावित करता है.

नैनीताल: आर्य भट्ट प्रेक्षण संस्थान (ARISE) में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबीनार शुरू हो चुका है. इस वेबिनार में 8 देशों के 175 वैज्ञानिक प्रतिभाग कर रहे हैं. ऐसे में विश्व के सामने चुनौती बन चुके ग्लोबल वार्मिंग और तेजी से पिघल रहे ग्लेशियरों की समस्या से निपटने को लेकर मंगलवार से नैनीताल में इस वेबीनार का आयोजन किया जा रहा है.

आर्यभट्ट प्रेक्षण संस्थान के निदेशक डॉ. दीपांकर बनर्जी ने बताया कि जिस तरह से ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ रही है और उससे दुनिया के सामने खतरा मंडरा रहा है. लिहाजा, उससे निपटने को लेकर इस वेबीनार में विश्वभर के वैज्ञानिक मंथन कर रहे हैं. ऐसे में इस वेबिनार में जो भी निष्कर्ष निकलेगा उसका अध्ययन कर केंद्र सरकार को पास भेजा जाएगा. इस अध्ययन के बाद ग्लोबल वार्मिंग और ग्लेशियरों के पिघलने की समस्या के समाधान के लिए कार्य हो सकेगा.

यह भी पढ़ें-कॉर्बेट पार्क से शिफ्ट होंगे पांच बाघ, निरीक्षण करके लौटी टीम

बता दें कि इस वेबीनार में एरोसोल को लेकर भी गहनता से मंथन किया जा रहा है क्योंकि, एरोसोल मुख्य रूप से वायुमंडल और लोगों के जीवन पर प्रभाव डालता है. एरोसोल मुख्य रूप से मॉनसून को प्रभावित करता है जिस वजह से पारिस्थितिकी तंत्र पर भी असर पड़ता है. ऐसे में एरोसोल पर अध्ययन बेहद महत्वपूर्ण है. वैज्ञानिक भाषा में एरोसोल का मतलब हवा, गैस और पानी के कणों का गुबार होता है जो सीधे तौर पर वायुमंडल और मानव जीवन को प्रभावित करता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.