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राज्य सरकार को मिली गौला नदी से 2023 तक खनन की अनुमति

राज्य सरकार को गौला नदी से खनन के लिए केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने स्वीकृति दे दी है. महाप्रबंधक बल विकास निगम विवेक पांडे ने बताया कि गौला नदी से खनन में कोई बाधा नहीं आएगी.

Haldwani Gowla River
गौला नदी से खनन की अनुमति
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Published : Oct 23, 2020, 12:20 PM IST

हल्द्वानी: गौला नदी से खनन के लिए केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने साल 2023 तक के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति दे दी है. बता दें, गौला नदी से खनन के लिए पर्यावरण स्वीकृति अप्रैल 2021 को समाप्त हो रही थी.

महाप्रबंधक वन विकास निगम विवेक पांडे ने बताया कि गौला नदी से खनन के लिए पर्यावरण स्वीकृति की जरूरत पड़ती है, जो अप्रैल 2021 में समाप्त हो रही थी. जिसको ध्यान रखते हुए वन निगम के अधिकारियों और पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक हुई. जिसके बाद सर्वे के बाद मंत्रालय ने पर्यावरणीय स्वीकृति दे दी है. यह पर्यावरण स्वीकृति 2023 तक लागू रहेगी.

उन्होंने बताया कि इससे पहले कुमाऊं मंडल की शारदा नदी और कोसी नदी से भी खनन के लिए पर्यावरण स्वीकृति में मिल चुकी है. वर्तमान में गौला नदी में 1,475 हेक्टेयर क्षेत्रफल में खनन कार्य होता है. अब साल 2023 तक पर्यावरणीय स्वीकृति मिलने से खनन कार्य में किसी तरह का बाधा नहीं होगी.

पढ़ें- सावधान! हंसी की मदद के नाम पर चल रहा फ्रॉड, झांसे में न आएं

उन्होंने बताया कि नदियों में पानी का जलस्तर होने और कुछ जगहों पर तकनीकी दिक्कतें हो रही हैं, जिससे गौला नदी निकासी गेट पर तौल काटा लगाने और जीएसटी में पेंच फंसने के चलते खनन कार्य में देरी हो रही है. अब उम्मीद जताई जा रही है कि एक नवंबर से खनन का कार्य शुरू हो जाएगा.

हल्द्वानी: गौला नदी से खनन के लिए केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने साल 2023 तक के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति दे दी है. बता दें, गौला नदी से खनन के लिए पर्यावरण स्वीकृति अप्रैल 2021 को समाप्त हो रही थी.

महाप्रबंधक वन विकास निगम विवेक पांडे ने बताया कि गौला नदी से खनन के लिए पर्यावरण स्वीकृति की जरूरत पड़ती है, जो अप्रैल 2021 में समाप्त हो रही थी. जिसको ध्यान रखते हुए वन निगम के अधिकारियों और पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक हुई. जिसके बाद सर्वे के बाद मंत्रालय ने पर्यावरणीय स्वीकृति दे दी है. यह पर्यावरण स्वीकृति 2023 तक लागू रहेगी.

उन्होंने बताया कि इससे पहले कुमाऊं मंडल की शारदा नदी और कोसी नदी से भी खनन के लिए पर्यावरण स्वीकृति में मिल चुकी है. वर्तमान में गौला नदी में 1,475 हेक्टेयर क्षेत्रफल में खनन कार्य होता है. अब साल 2023 तक पर्यावरणीय स्वीकृति मिलने से खनन कार्य में किसी तरह का बाधा नहीं होगी.

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उन्होंने बताया कि नदियों में पानी का जलस्तर होने और कुछ जगहों पर तकनीकी दिक्कतें हो रही हैं, जिससे गौला नदी निकासी गेट पर तौल काटा लगाने और जीएसटी में पेंच फंसने के चलते खनन कार्य में देरी हो रही है. अब उम्मीद जताई जा रही है कि एक नवंबर से खनन का कार्य शुरू हो जाएगा.

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