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कोरोना ने बढ़ाई टैक्सी चालकों की मुश्किल, किस्त देने में छूटे पसीने

कोरोना ने पर्यटन कारोबार को तोड़ कर रखा दिया है. नैनीताल के 5,000 टैक्सी चालकों के सामने भारी आर्थिक समस्या खड़ी हो गई है. उन्होंने सरकार से किस्तों में छूट देने की मांग की है.

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Published : May 8, 2021, 2:23 PM IST

टैक्सी स्टैंड
टैक्सी स्टैंड

नैनीताल: पिछले एक साल से कोविड की मार झेल रहे पहाड़ के टैक्सी चालकों की आर्थिक हालत बेहद खराब हो गई है. आलम यह है कि उनके सामने बैंकों की किस्त और वाहनों का टैक्स भरना भी भारी चुनौती बन गया है. नैनीताल जनपद में 5,000 से अधिक टैक्सी चालक हैं. ये सीधे रूप से पर्यटन से जुड़े हैं. लेकिन कोरोना काल ने इनकी आमदनी पर जैसे ग्रहण लगा दिया है.

कोरोना ने बढ़ाई टैक्सी चालकों की मुश्किलें

क्या कहते हैं टैक्सी चालक?

टैक्सी चालकों का कहना है कि पूरे दिन टैक्सी स्टैंड पर आकर अपने वाहनों को खड़ा करते हैं. शाम तक कोई भी यात्री नहीं मिलने के कारण उन्हें खाली हाथ जाना पड़ता है. उनका कहना है कि तेल का पैसा भी नहीं निकल पा रहा है. टैक्सी चालकों का कहना है कि अधिकतर वाहन लोन पर चल रहे हैं. उन्हें समय पर किस्त देनी होती है. बैंक वाले कहां मानते हैं. यहां तक कि रोड टैक्स भी देना पड़ता है. आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि रिश्तेदारों से कर्ज लेकर घर का खर्चा चलाना पड़ रहा है.
पढ़ें: उत्तराखंड के इन जिलों में लगा 10 मई तक कर्फ्यू

सरकार से क्या है मांग?

टैक्सी चालकों की सरकार से मांग है कि बैंकों की किस्त में छूट दी जाए. रोड टैक्स में भी पिछले साल की तरह राहत दी जाए.

नैनीताल: पिछले एक साल से कोविड की मार झेल रहे पहाड़ के टैक्सी चालकों की आर्थिक हालत बेहद खराब हो गई है. आलम यह है कि उनके सामने बैंकों की किस्त और वाहनों का टैक्स भरना भी भारी चुनौती बन गया है. नैनीताल जनपद में 5,000 से अधिक टैक्सी चालक हैं. ये सीधे रूप से पर्यटन से जुड़े हैं. लेकिन कोरोना काल ने इनकी आमदनी पर जैसे ग्रहण लगा दिया है.

कोरोना ने बढ़ाई टैक्सी चालकों की मुश्किलें

क्या कहते हैं टैक्सी चालक?

टैक्सी चालकों का कहना है कि पूरे दिन टैक्सी स्टैंड पर आकर अपने वाहनों को खड़ा करते हैं. शाम तक कोई भी यात्री नहीं मिलने के कारण उन्हें खाली हाथ जाना पड़ता है. उनका कहना है कि तेल का पैसा भी नहीं निकल पा रहा है. टैक्सी चालकों का कहना है कि अधिकतर वाहन लोन पर चल रहे हैं. उन्हें समय पर किस्त देनी होती है. बैंक वाले कहां मानते हैं. यहां तक कि रोड टैक्स भी देना पड़ता है. आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि रिश्तेदारों से कर्ज लेकर घर का खर्चा चलाना पड़ रहा है.
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सरकार से क्या है मांग?

टैक्सी चालकों की सरकार से मांग है कि बैंकों की किस्त में छूट दी जाए. रोड टैक्स में भी पिछले साल की तरह राहत दी जाए.

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