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कम बारिश और ओलावृष्टि ने लीची को किया बेरंग और बेस्वाद - बेरंग लीची

देवभूमि लीची उत्पादन के लिए काफी प्रसिद्ध है, जिसे देश के अलावा विदेशों में भी पसंद किया जाता है. वहीं, ओलावृष्टि और कम बारिश ने लीची फल को बेस्वाद कर दिया है.

कम बारिश और ओलावृष्टि ने लीची को किया बेरंग और बेस्वाद.
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Published : Jun 12, 2019, 8:13 AM IST

रामनगर: प्रदेश में गर्मी की मार अब फलों पर भी दिखने लगी है. ओलावृष्टि और कम बारिश ने लीची फल को बेस्वाद कर दिया है. बारिश न होने के कारण लीची दागदार और फट गई है. वहीं, फल उद्यान विभाग के अनुसार इस बार लीची का अच्छा उत्पादन हुआ है.

देवभूमि लीची उत्पादन के लिए काफी प्रसिद्ध है, जिसे देश के अलावा विदेशों में भी पसंद किया जाता है. लीची के सीजन में रामनगर की लीची की मांग भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बढ़ जाती है. लेकिन इस बार की लीची गर्मी के कारण बेरंग और बेस्वाद हो गई है.

कम बारिश और ओलावृष्टि ने लीची को किया बेरंग और बेस्वाद.

भीषण गर्मी और बारिश की कमी के चलते लीची की रौनक उड़ गई है. साथ ही इसमें दाग लग जाने के लीची बेस्वाद हो गई है. वहीं फल उद्यान विभाग के अनुसार, इस बार क्षेत्र में लीची का उत्पादन अच्छा हुआ है. रामनगर क्षेत्र में 900 हेक्टेयर में 800 मैट्रिक टन से अधिक लीची का उत्पादन होने का अनुमान है.

बता दें कि यहां की लीची देश की विभिन्न मंडियों में जाती है. दिल्ली, मुंबई, लुधियाना, मुजफ्फरपुर, चंडीगढ़ एवं हाजीपुर आदि ऐसे शहर हैं, जिन्हें यहां से विदेश में निर्यात किया जाता है. यहां की लीची को इसलिए भी देश-विदेश में पसंद किया जाता है कि इसका स्वाद बहुत अच्छा और मीठा होता है.

रामनगर: प्रदेश में गर्मी की मार अब फलों पर भी दिखने लगी है. ओलावृष्टि और कम बारिश ने लीची फल को बेस्वाद कर दिया है. बारिश न होने के कारण लीची दागदार और फट गई है. वहीं, फल उद्यान विभाग के अनुसार इस बार लीची का अच्छा उत्पादन हुआ है.

देवभूमि लीची उत्पादन के लिए काफी प्रसिद्ध है, जिसे देश के अलावा विदेशों में भी पसंद किया जाता है. लीची के सीजन में रामनगर की लीची की मांग भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बढ़ जाती है. लेकिन इस बार की लीची गर्मी के कारण बेरंग और बेस्वाद हो गई है.

कम बारिश और ओलावृष्टि ने लीची को किया बेरंग और बेस्वाद.

भीषण गर्मी और बारिश की कमी के चलते लीची की रौनक उड़ गई है. साथ ही इसमें दाग लग जाने के लीची बेस्वाद हो गई है. वहीं फल उद्यान विभाग के अनुसार, इस बार क्षेत्र में लीची का उत्पादन अच्छा हुआ है. रामनगर क्षेत्र में 900 हेक्टेयर में 800 मैट्रिक टन से अधिक लीची का उत्पादन होने का अनुमान है.

बता दें कि यहां की लीची देश की विभिन्न मंडियों में जाती है. दिल्ली, मुंबई, लुधियाना, मुजफ्फरपुर, चंडीगढ़ एवं हाजीपुर आदि ऐसे शहर हैं, जिन्हें यहां से विदेश में निर्यात किया जाता है. यहां की लीची को इसलिए भी देश-विदेश में पसंद किया जाता है कि इसका स्वाद बहुत अच्छा और मीठा होता है.

Intro:एंकर- रामनगर अधिक गर्मी की मार ने लीची जैसे फल को भी बेनूर और बे स्वाद बना दिया है। इस इलाके में बारिश का ना होना लीची के लिए हानिकारक साबित हुआ है।जिससे लीची में मिठास नहीं आई है साथ ही लीची फूल नहीं पाई और इस पर लाल रंग भी नहीं चढ़ पाया बारिश की कमी के कारण लीची दागदार हो गई और फट गई।


Body:वीओ- विश्वविख्यात कॉर्बेट नेशनल पार्क के नाम से रामनगर को ही नहीं जाना जाता वरन यहां की लीची भी विश्व में विख्यात है। जिसे देश के अलावा विदेशों में भी पसंद किया जाता है ।लीची के सीजन में रामनगर की लीची की मांग भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बढ़ जाती है ।पेड़ों पर लटकी झूलती है लीचियाँ बाजारों में अपनी उपस्तिथि दर्ज करा चुकी है यानी कि लीची आपके खाने के लिए बाज़ार में उपलब्ध है।परंतु इस बार गर्मी की मार आम इंसान पर ही नहीं बल्कि फलों पर भी दिखाई दे रही है अधिक गर्मी और बारिश का पूरी तरह से ना होना लीची को बैरंग और बे स्वाद बना दिया है।बारिश ना होने के कारण लीची का रंग लाल नहीं हो सका है तथा लीची फुल कर मोटी नहीं हो सकी है। जिस कारण लीची में वह मिठास भी नहीं आई है जिसके लिए यह देश-विदेश में मशहूर मशहूर है। हल्की-फुल्की बारिश और ओलावृष्टि ने लीची की रौनक को उड़ा दिया है। जिस कारण लीची में दाग आ गया है और यह फट गई है। फल उद्यान विभाग की मानें तो इस बार क्षेत्र में लीची का उत्पादन अच्छा हुआ है रामनगर क्षेत्र की बात करें तो 900 हेक्टेयर में लीची का उत्पादन हुआ है लगभग 800 मेट्रिक टन से अधिक लीची का उत्पादन होने का अनुमान है।आपको बता दें कि यहां की लीची देश की विभिन्न मंडियों में जाती है दिल्ली मुंबई लुधियाना मुजफ्फरपुर चंडीगढ़ एवं हाजीपुर आदि जिन्हें यहां से विदेश को निर्यात कर दिया जाता है। यहां की लीची को इसलिए भी देश-विदेश में पसंद किया जाता है कि इसका स्वाद बहुत अच्छा और मीठा होता है और इसकी क्वालिटी भी बहुत सुंदर होती है।

बाइट-1-दूला खान(फल,व्यापारी)
बाइट-2-ए एस परवाल(एडीओ,फल उद्यान विभाग)


Conclusion:
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