हल्द्वानी: बहुचर्चित वनभूलपुरा क्षेत्र में रेलवे भूमि अतिक्रमण मामले में 7 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है. सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हुई हैं. लेकिन उससे पूर्व प्रशासन, रेलवे और वन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से सर्वे कार्य किया जा रहा है. राजस्व विभाग और रेलवे अपनी अपनी भूमि का सीमांकन कर रहे हैं. जिससे सुप्रीम कोर्ट में भूमि की स्थिति बताई जा सके.
नई तकनीक से हो रहा है सर्वे: जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल का कहना है कि जिले में पहली बार नई टेक्नोलॉजी के साथ रेलवे अतिक्रमण भूमि का सर्वे कार्य हो रहा है. जिसमें रेलवे, वन विभाग और राजस्व विभाग की टीम भूमि का सर्वे कर सटीक नक्शा तैयार करने में लगी हैं. जिसे राजस्व अभिलेखों में दर्ज नक्शे से मिलान किया जाएगा. जिलाधिकारी धीराज सिंह ने कहा कि जल्द सर्वे और सीमांकन का कार्य पूरा हो जाएगा. सभी टीमें संयुक्त रूप से रोजाना वनभूलपुरा क्षेत्र में सर्वे कर रही हैं. जिससे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान रेलवे और राजस्व विभाग अपनी भूमि की सही स्थिति को बता सकें.
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78 एकड़ में हैं 4563 घर: गौरतलब है कि बीती 20 दिसंबर को नैनीताल हाईकोर्ट ने रेलवे भूमि से अतिक्रमण एक सप्ताह में खाली करने के निर्देश दिए थे. जिसके बाद 78 एकड़ में 4563 घर तोड़े जाने का आदेश हुआ था. जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे देते हुए अगली सुनवाई 7 फरवरी नियत की है. लिहाजा प्रशासन अपने सर्वे कार्य में जुटा है. सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई पर टिकी हुई हैं.
सुप्रीम कोर्ट में 7 फरवरी को है सुनवाई: वनभूलपुरा अतिक्रमण मामले में उत्तराखंड सरकार और रेलवे को सुप्रीम कोर्ट में भूमि की सही स्थिति को अवगत कराना है. ऐसे में जिला प्रशासन और रेलवे अतिक्रमण क्षेत्र की भूमि का सर्वे कर रहे हैं. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई के लिए रेलवे और जिला प्रशासन अपना पक्ष मजबूत रखने के लिए हर संभव प्रयास में जुटे हुए हैं, जिससे कि रेलवे भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया जा सके.