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कभी हल्द्वानी की शान रहा ढोलक आज बन गया 'अतीत', होली पर भी कारोबारियों में मायूसी - संकट में ढोलक का कारोबार

हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास बसी ढोलक बस्ती का ढोलक पूरे उत्तराखंड के साथ उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, जम्मू से कन्याकुमारी तक कई राज्यों में मशहूर हो गया था, लेकिन आज ऑनलाइन बाजार ने ढोलक के कारोबार को खत्म कर दिया है.

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Published : Mar 7, 2020, 11:51 PM IST

हल्द्वानीः कभी हल्द्वानी की ढोलक की एक अलग ही पहचान होती थी. होली पर तो होल्यार ढोलक की थाप पर महफिल जमा देते थे, लेकिन आज बदलते दौर में ढोलक का कारोबार बंद होने की कगार पर है. लोग अब ऑनलाइन ही ढोलक मंगा रहे हैं. जिससे ढोलक बनाने वाले कारीगर बदहाली से गुजर रहे हैं. होली के मौके पर भी ढोलक कारोबारियों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है.

बता दें कि हल्द्वानी की पहचान आज भी ढोलक बस्ती के रूप में की जाती है. हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास बसी इस बस्ती में दशकों पहले ढोलक बनाने वाले कई परिवार आकर बस गए थे. जिसके बाद इस बस्ती का नाम ढोलक बस्ती पड़ गया था. यहां का ढोलक पूरे उत्तराखंड के साथ उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, जम्मू से कन्याकुमारी तक कई राज्यों में मशहूर हो गया था, लेकिन आज ऑनलाइन बाजार ने ढोलक के कारोबार को खत्म कर दिया है.

हल्द्वानी में ढोलक का कारोबार.

ये भी पढ़ेंः अबीर गुलाल के त्योहार की तैयारियां शुरू, रंगों से सजे बाजार

उमंग और उत्साह का त्योहार होली नजदीक है. ऐसे में ढोलक बस्ती के लोग ढोलक बनाने में जुट हैं, लेकिन ढोलक की बिक्री नहीं होने से कारीगर मायूस हैं. कारीगरों का कहना है कि ढोलक उनकी आजीविका का मुख्य साधन है. होली के दौरान ढोलक की डिमांड बढ़ जाती है. जिससे उनका थोड़ा बहुत कारोबार बढ़ जाता है, लेकिन अब ढोलक का कारोबार ऑनलाइन होने के चलते लोग घर बैठे ढोलक मंगा रहे हैं.

ऐसे में उनका कारोबार अब धीरे-धीरे चौपट हो रहा है. कारीगरों का कहना है कि उनके पास ₹500 से लेकर ₹5000 तक की ढोलक है, लेकिन कोई उनसे ढोलक नहीं खरीद रहा है. जिससे उनका अब इस कारोबार मोह भंग हो रहा है. ऐसे में अब ढोलक कारीगरों के आगे रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

हल्द्वानीः कभी हल्द्वानी की ढोलक की एक अलग ही पहचान होती थी. होली पर तो होल्यार ढोलक की थाप पर महफिल जमा देते थे, लेकिन आज बदलते दौर में ढोलक का कारोबार बंद होने की कगार पर है. लोग अब ऑनलाइन ही ढोलक मंगा रहे हैं. जिससे ढोलक बनाने वाले कारीगर बदहाली से गुजर रहे हैं. होली के मौके पर भी ढोलक कारोबारियों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है.

बता दें कि हल्द्वानी की पहचान आज भी ढोलक बस्ती के रूप में की जाती है. हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास बसी इस बस्ती में दशकों पहले ढोलक बनाने वाले कई परिवार आकर बस गए थे. जिसके बाद इस बस्ती का नाम ढोलक बस्ती पड़ गया था. यहां का ढोलक पूरे उत्तराखंड के साथ उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, जम्मू से कन्याकुमारी तक कई राज्यों में मशहूर हो गया था, लेकिन आज ऑनलाइन बाजार ने ढोलक के कारोबार को खत्म कर दिया है.

हल्द्वानी में ढोलक का कारोबार.

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उमंग और उत्साह का त्योहार होली नजदीक है. ऐसे में ढोलक बस्ती के लोग ढोलक बनाने में जुट हैं, लेकिन ढोलक की बिक्री नहीं होने से कारीगर मायूस हैं. कारीगरों का कहना है कि ढोलक उनकी आजीविका का मुख्य साधन है. होली के दौरान ढोलक की डिमांड बढ़ जाती है. जिससे उनका थोड़ा बहुत कारोबार बढ़ जाता है, लेकिन अब ढोलक का कारोबार ऑनलाइन होने के चलते लोग घर बैठे ढोलक मंगा रहे हैं.

ऐसे में उनका कारोबार अब धीरे-धीरे चौपट हो रहा है. कारीगरों का कहना है कि उनके पास ₹500 से लेकर ₹5000 तक की ढोलक है, लेकिन कोई उनसे ढोलक नहीं खरीद रहा है. जिससे उनका अब इस कारोबार मोह भंग हो रहा है. ऐसे में अब ढोलक कारीगरों के आगे रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

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