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राजस्व पुलिस मामले में HC में सुनवाई, सरकार को हर 6 महीने में प्रगति रिपोर्ट पेश करने के निर्देश

उत्तराखंड में राजस्व पुलिस व्यवस्था (Revenue Police System in Uttarakhand) को खत्म करने की राज्य सरकार तैयारी कर रही है. आज राजस्व पुलिस व्यवस्था मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई (Hearing in High Court on revenue policing case) हुई. नैनीताल हाईकोर्ट (Nainital High Court) ने राज्य सरकार को इस मामले की प्रगति रिपोर्ट हर 6 महीने में कोर्ट में पेश करने को कहा है.

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हर 6 महीने में कोर्ट में पेश होगी प्रगति रिपोर्ट
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Published : Nov 2, 2022, 4:47 PM IST

नैनीताल: हाईकोर्ट ने राज्य में राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि इस मामले में हर 6 महीने में प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें. जिसकी जांच उच्च न्यायलय खुद करेगी. मामले की अगली सुनवाई 27 मार्च को होगी.

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने कोर्ट को बताया कि पूर्व के आदेश के अनुपालन में कैबिनेट ने राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त करने के लिए 17 अक्टूबर 2022 को निर्णय ले लिया है. सरकार चरणबद्ध तरीके से पूरे राज्य में राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त कर सिविल पुलिस व्यवस्था लागू करने जा रही है. जिस पर कोर्ट ने सरकार से हर 6 माह में प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

पढे़ं- अंकिता की मौत के बाद नींद से जागी सरकार, 160 साल पुराने 'सिस्टम' को खत्म करने की तैयारी

27 सितम्बर 2022 को कोर्ट ने चीफ सेकेट्री से शपथपत्र में यह बताने को कहा था कि 2018 में उच्च न्यायलय द्वारा दिए गए आदेश का क्या हुआ? उच्च न्यायालय ने 13 जनवरी 2018 में सरकार को निर्देश दिए थे कि राज्य में चली आ रही 157 साल राजस्व पुलिस व्यवस्था छः माह में समाप्त कर अपराधों की विवेचना का काम सिविल पुलिस को सौप दिया जाए. 6 माह के भीतर राज्य में थानों की संख्या और सुविधाएं उपलब्ध कराएं. सिविल पुलिस की नियुक्ति के बाद राजस्व पुलिस प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं करेगी और अपराधों की जांच सिविल पुलिस द्वारा की जाएगी. कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि राज्य की जनसंख्या एक करोड़ से अधिक है और थानों की संख्या 156 है, जो बहुत कम है. 64 हजार लोगों पर एक थाना है, इसलिए थानों की संख्या को बढ़ाई जाये.

पढे़ं- उत्तराखंड में अब नहीं दिखेगी 'गांधी पुलिस'! धामी सरकार के इस फैसले से पुलिस को मिलेगा और 'बल'

एक सर्किल में दो थाने बनाये जाने को भी कहा गया था. थाने का संचालन एक सब इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अधिकारी करेगा. 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने भी नवीन चन्द्र बनाम राज्य सरकार केश में इस व्यवस्था को समाप्त करने की आवश्यकता समझी गयी थी. जिसमें कहा गया राजस्व पुलिस को सिविल पुलिस की भांति ट्रेनिंग नहीं दी जाती.

यही नहीं राजस्व पुलिस के पास आधुनिक साधन, कम्प्यूटर, डीएनए और रक्त परीक्षण, फॉरेंसिक जांच, फिंगर प्रिंट जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती है. इन सुविधाओं के अभाव में अपराध की समीक्षा करने में परेशानियां होती हैं. कोर्ट ने यह भी कहा था कि राज्य में एक समान कानून व्यवस्था हो, जो नागरिकों को मिलनी चाहिए.

पढे़ं- उत्तराखंड में राजस्व पुलिस व्यवस्था होगी समाप्त, स्पीकर ने CM धामी का जताया आभार

जनहित याचिका में कहा गया अगर सरकार ने इस आदेश का पालन किया होता तो अंकिता मर्डर केस जांच में इतनी देरी नहीं होती. इसलिए राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त किया जाय. इस मामले में समाधान 256 कृष्णा विहार लाइन न एक जाखन देहरादून वालों ने जनहीत याचिका दायर की है.

नैनीताल: हाईकोर्ट ने राज्य में राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि इस मामले में हर 6 महीने में प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें. जिसकी जांच उच्च न्यायलय खुद करेगी. मामले की अगली सुनवाई 27 मार्च को होगी.

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने कोर्ट को बताया कि पूर्व के आदेश के अनुपालन में कैबिनेट ने राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त करने के लिए 17 अक्टूबर 2022 को निर्णय ले लिया है. सरकार चरणबद्ध तरीके से पूरे राज्य में राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त कर सिविल पुलिस व्यवस्था लागू करने जा रही है. जिस पर कोर्ट ने सरकार से हर 6 माह में प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

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27 सितम्बर 2022 को कोर्ट ने चीफ सेकेट्री से शपथपत्र में यह बताने को कहा था कि 2018 में उच्च न्यायलय द्वारा दिए गए आदेश का क्या हुआ? उच्च न्यायालय ने 13 जनवरी 2018 में सरकार को निर्देश दिए थे कि राज्य में चली आ रही 157 साल राजस्व पुलिस व्यवस्था छः माह में समाप्त कर अपराधों की विवेचना का काम सिविल पुलिस को सौप दिया जाए. 6 माह के भीतर राज्य में थानों की संख्या और सुविधाएं उपलब्ध कराएं. सिविल पुलिस की नियुक्ति के बाद राजस्व पुलिस प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं करेगी और अपराधों की जांच सिविल पुलिस द्वारा की जाएगी. कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि राज्य की जनसंख्या एक करोड़ से अधिक है और थानों की संख्या 156 है, जो बहुत कम है. 64 हजार लोगों पर एक थाना है, इसलिए थानों की संख्या को बढ़ाई जाये.

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एक सर्किल में दो थाने बनाये जाने को भी कहा गया था. थाने का संचालन एक सब इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अधिकारी करेगा. 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने भी नवीन चन्द्र बनाम राज्य सरकार केश में इस व्यवस्था को समाप्त करने की आवश्यकता समझी गयी थी. जिसमें कहा गया राजस्व पुलिस को सिविल पुलिस की भांति ट्रेनिंग नहीं दी जाती.

यही नहीं राजस्व पुलिस के पास आधुनिक साधन, कम्प्यूटर, डीएनए और रक्त परीक्षण, फॉरेंसिक जांच, फिंगर प्रिंट जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती है. इन सुविधाओं के अभाव में अपराध की समीक्षा करने में परेशानियां होती हैं. कोर्ट ने यह भी कहा था कि राज्य में एक समान कानून व्यवस्था हो, जो नागरिकों को मिलनी चाहिए.

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जनहित याचिका में कहा गया अगर सरकार ने इस आदेश का पालन किया होता तो अंकिता मर्डर केस जांच में इतनी देरी नहीं होती. इसलिए राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त किया जाय. इस मामले में समाधान 256 कृष्णा विहार लाइन न एक जाखन देहरादून वालों ने जनहीत याचिका दायर की है.

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