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छात्रवृत्ति घोटाला: नैनीताल HC की शरण में पहुंचे समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक

इस मामले में हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को दो दिन के भीतर अपना विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने का आदेश दिए हैं.

Nainital High Court news
नैनीताल हाई कोर्ट
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Published : Sep 22, 2020, 10:01 PM IST

नैनीताल: प्रदेश के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले के आरोपी संयुक्त निदेशक समाज कल्याण विभाग गीताराम नौटियाल को पद से हटाने का मामला नैनीताल हाई कोर्ट पहुंच गया है. गीताराम नौटियाल ने सरकार पर भेदभाव पूर्ण नीति अपनाने का लगाया है.

मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाई कोर्ट की खंडपीठ ने प्रदेश के मुख्य सचिव को दो दिन के भीतर अपना विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं. अब मामले की सुनवाई 24 सितंबर को होगी.

पढ़ें- कृषि विधेयकों के खिलाफ 23 से हल्ला बोल करेगी कांग्रेस

बता दें कि याचिकाकर्ता गीताराम नौटियाल ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने कहा कि छात्रवृत्ति घोटाले में उनका नाम आने के बाद राज्य सरकार ने उनको निलंबित कर दिया गया था. हालांकि, 10 दिसंबर 2019 को हाई कोर्ट से उन्हें जमानत मिल गई थी. इसके बाद राज्य सरकार ने उन्हें बाहल कर दिया था, लेकिन कुछ दिनों के बाद राज्य सरकार फिर से बिना किसी कारण के उन्हें निलंबित कर दिया, जो गलत है. याचिकाकर्ता की मांग है कि उन्हें बिना किसी कारण के निलंबित किया गया है. लिहाजा, उन्हें उनके वर्तमान पद पर बहाल किया जाए.

नैनीताल: प्रदेश के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले के आरोपी संयुक्त निदेशक समाज कल्याण विभाग गीताराम नौटियाल को पद से हटाने का मामला नैनीताल हाई कोर्ट पहुंच गया है. गीताराम नौटियाल ने सरकार पर भेदभाव पूर्ण नीति अपनाने का लगाया है.

मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाई कोर्ट की खंडपीठ ने प्रदेश के मुख्य सचिव को दो दिन के भीतर अपना विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं. अब मामले की सुनवाई 24 सितंबर को होगी.

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बता दें कि याचिकाकर्ता गीताराम नौटियाल ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने कहा कि छात्रवृत्ति घोटाले में उनका नाम आने के बाद राज्य सरकार ने उनको निलंबित कर दिया गया था. हालांकि, 10 दिसंबर 2019 को हाई कोर्ट से उन्हें जमानत मिल गई थी. इसके बाद राज्य सरकार ने उन्हें बाहल कर दिया था, लेकिन कुछ दिनों के बाद राज्य सरकार फिर से बिना किसी कारण के उन्हें निलंबित कर दिया, जो गलत है. याचिकाकर्ता की मांग है कि उन्हें बिना किसी कारण के निलंबित किया गया है. लिहाजा, उन्हें उनके वर्तमान पद पर बहाल किया जाए.

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