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लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक कर रही नैनीताल की बेटी - लॉ स्टूडेन्ट स्निग्धा तिवारी

मन में समाज सेवा का जज्बा हो, तो कोई उम्र मायने नहीं रखती. कुछ ऐसा ही कर गुजरने की ठानी है, नैनीताल की एक बेटी स्निग्धा तिवारी ने. जिन्होंने अपनी कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद पहाड़ी क्षेत्रों में जाकर जरूरतमंद लोगों की मदद करने का प्रण लिया है. साथ ही वह लोगों को अपने अधिकारों के लिए लड़ने की प्रेरणा दे रही हैं.

लोगों को अधिकारों के प्रति जागरुक कर रही नैनीताल की बेटी
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Published : Sep 28, 2019, 11:49 PM IST

नैनीतालः मन में समाज सेवा का जज्बा हो, तो कोई उम्र मायने नहीं रखती. कुछ ऐसा ही कर गुजरने की ठानी है, नैनीताल की एक बेटी स्निग्धा तिवारी ने. जिन्होंने अपनी कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद पहाड़ी क्षेत्रों में जाकर जरूरतमंद लोगों की मदद करने का प्रण लिया है. साथ ही वह लोगों को अपने अधिकारों के लिए लड़ने की प्रेरणा दे रही हैं.

नैनीताल की बेटी स्निग्धा तिवारी.

बता दें कि स्निग्धा तिवारी गरीब महिलाओं और जरूरतमंद लोगों को एसिड अटैक, श्रम कानून, महिला सशक्तिकरण व महिलाओं के अधिकार के लिए जागरूक कर रही हैं. ताकि सभी लोग समाज में सम्मान के साथ जी सकें. स्निग्धा का कहना है कि भले ही उत्तराखंड राज्य का निर्माण जल, जंगल, जमीन की रक्षा के लिए हुआ था लेकिन आज भी उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र बदहाल हैं.

ये भी पढ़ेंःWORLD HEART DAY: इन चीजों से खुद को रखें दूर, दिल रहेगा दुरुस्त

स्निग्धा का कहना है कि ग्रामीणों को आज उनके मौलिक अधिकार और कानूनी अधिकार पता नहीं है. दूरस्थ क्षेत्रों में लोग जानकारी के अभाव में जीने को मजबूर हैं. इसी बदहाली को देखते हुए उनके मन में ग्रामीणों की मदद और उनके अधिकार को बताने का फैसला किया है. ताकि ग्रामीण अपने अधिकार का प्रयोग कर सकें और अपनी कानूनी और सामाजिक लड़ाई लड़ सकें.

नैनीतालः मन में समाज सेवा का जज्बा हो, तो कोई उम्र मायने नहीं रखती. कुछ ऐसा ही कर गुजरने की ठानी है, नैनीताल की एक बेटी स्निग्धा तिवारी ने. जिन्होंने अपनी कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद पहाड़ी क्षेत्रों में जाकर जरूरतमंद लोगों की मदद करने का प्रण लिया है. साथ ही वह लोगों को अपने अधिकारों के लिए लड़ने की प्रेरणा दे रही हैं.

नैनीताल की बेटी स्निग्धा तिवारी.

बता दें कि स्निग्धा तिवारी गरीब महिलाओं और जरूरतमंद लोगों को एसिड अटैक, श्रम कानून, महिला सशक्तिकरण व महिलाओं के अधिकार के लिए जागरूक कर रही हैं. ताकि सभी लोग समाज में सम्मान के साथ जी सकें. स्निग्धा का कहना है कि भले ही उत्तराखंड राज्य का निर्माण जल, जंगल, जमीन की रक्षा के लिए हुआ था लेकिन आज भी उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र बदहाल हैं.

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स्निग्धा का कहना है कि ग्रामीणों को आज उनके मौलिक अधिकार और कानूनी अधिकार पता नहीं है. दूरस्थ क्षेत्रों में लोग जानकारी के अभाव में जीने को मजबूर हैं. इसी बदहाली को देखते हुए उनके मन में ग्रामीणों की मदद और उनके अधिकार को बताने का फैसला किया है. ताकि ग्रामीण अपने अधिकार का प्रयोग कर सकें और अपनी कानूनी और सामाजिक लड़ाई लड़ सकें.

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नैनीताल में एक बेटी ने ग्रामीणों को उनके कानूनी और सामाजिक अधिकार बताने का उठाया जिम्मा।

Intro

नैनीताल में एक बेटी ने उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं और वहां के स्थानीय निवासियों को सम्मान के साथ जीने का पाठ पढ़ाया, ताकि सभी सम्मान के साथ जी सके और अपनी जरूरत की लड़ाई लड़ सके।




Body:मन में अगर कुछ कर गुजरने की चाह हो तो वह पूरी जरूर होती है, ऐसा ही कुछ कर गुजरने की ठानी है नैनीताल की एक बेटी स्निग्धा तिवारी ने जिसने अपनी (लॉ) कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद अब उत्तराखंड के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में जाकर वहां गरीब और जरूरतमंद लोगों को उनके कानूनी और सामाजिक अधिकार बता रही है ताकि गांव में सीधा जीवन जीने वाले लोग भी अपने अधिकारों से जी सकें और लड़ सकें।
स्निग्धा का कहना है कि गरीब महिलाओं और जरूरतमंद लोगों को एसिड अटैक, श्रम कानून,महिला सशक्तिकरण व महिलाओं के अधिकार के लिए लोगों को जागरूक कर रही हैं ताकि सभी लोग समाज में सम्मान के साथ जी सकें।

बाईट- पी सी तिवारी।


Conclusion:समाज सेवा का प्रण उठाने वाली स्निग्धा का कहना है कि भले ही उत्तराखंड राज्य का निर्माण जल,जंगल,जमीन की रक्षा के लिए हुआ था लेकिन आज भी उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र बदहाल हैं और यहां के सीधे-साधे स्थानीय निवासियों को उनके मौलिक अधिकार और कानूनी अधिकार पता नहीं है जिस वजह से आज उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीण बदहाल जिंदगी जीने को मजबूर हैं और ग्रामीणों की इसी बदहाली को देखते हुए उनके मन में ग्रामीणों की मदद और उनके अधिकार उनको बता दें का फैसला किया, ताकि ग्रामीण अपने अधिकार का प्रयोग कर सकें और अपनी कानूनी और सामाजिक लड़ाई लड़ सकें।
वहीं स्निग्धा का कहना है कि पहाड़ी क्षेत्रों के इन लोगों को जिस स्तर पर मदद की दरकार होगी वह इन लोगों की कानूनी और सामाजिक रूप से मदद करते रहेंगी।

बाईट- स्निग्धा तिवारी।
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