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जन्माष्टमी: यहां 1500 गोवंश की कृष्ण भक्ति के रूप में होती है सेवा

कृष्ण भक्ति देखनी है तो हल्दुचौड़ के हरे कृष्णा हरे रामा आश्रम आइये. यहां 15 सौ से अधिक गोवंश की सेवा कृष्ण भक्ति के रूप में की जाती है.

स्वामी रामेश्वर दास महाराज
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Published : Aug 23, 2019, 2:10 PM IST

नैनीताल: भगवान कृष्ण का गौ प्रेम विश्व विख्यात है. इसीलिए कृष्ण को गोपाल भी कहा जाता है. नैनीताल जिले के हल्दुचौड़ स्थिति श्रील नित्यानंद पाद आश्रम में भी कृष्ण भक्ति देखी जा सकती है. आश्रम में कृष्ण भक्ति में लीन मंदिर के महाराज रामेश्वर दास ने अपने जीवन को गौ सेवा के लिए समर्पित कर दिया है. वहीं, इस आश्रम में 15 सौ से अधिक गोवंश हैं, जिनकी सेवा कृष्ण भक्ति समझकर की जाती है.

15 सौ गोवंश की कृष्ण भक्ति के रूप में होती है सेवा

आज कृष्ण जन्माष्टमी है और आपको कृष्ण भक्ति देखनी है तो आप नैनीताल जिले के हल्दूचौड़ के परमा गांव में देख सकते हैं. जहां, कृष्ण भक्ति में लीन हरे रामा हरे कृष्णा आश्रम के महाराज रामेश्वर दास अपनी गौ सेवा सदन में 15 सौ से अधिक गायों और बछड़ों की देखभाल करते हैं. इसमें अधिकतर गोवंश अपाहिज और घर से निकाली गई होती हैं या पुलिस प्रशासन और हाई कोर्ट के निर्देश के बाद गौ हत्या के लिए ले जा रही गोवंश है, जिनकी देखभाल की जाती है.

इस आश्रम की स्थापना स्वामी रामेश्वर दास ने 10 साल पहले की थी. जिसके बाद उन्होंने आश्रम का नाम हरे रामा हरे कृष्णा नित्यानंद पाद आश्रम रखा. रामेश्वर दास ने कृष्ण भक्ति की शुरुआत 4 गाय बैल से की जो आज 15 सौ से अधिक हो चुकी है. रामेश्वर दास की कृष्ण भक्ति को देखते हुए धीरे-धीरे कई लोग गौ सेवा जुड़ते गए.

पढ़ें- जमरानी बांध परियोजना के लिए शासन से मिला 47 करोड़, जल्द तैयार होगी डीपीआर

आश्रम के महाराजा रामेश्वर दास का कहना है कि आश्रम का उद्देश्य सिर्फ सेवा भाव है. जहां बैल को भगवान शिव के नंदी और कृष्ण की गाय मानकर गाय की सेवा की जाती है. गाय के अंदर 36 करोड़ देवी देवताओं का वास होता है. इससे बड़ा कोई भी पुण्य काम नहीं हो सकता है. इससे बड़ी कोई भक्ति नहीं हो सकती.

नैनीताल: भगवान कृष्ण का गौ प्रेम विश्व विख्यात है. इसीलिए कृष्ण को गोपाल भी कहा जाता है. नैनीताल जिले के हल्दुचौड़ स्थिति श्रील नित्यानंद पाद आश्रम में भी कृष्ण भक्ति देखी जा सकती है. आश्रम में कृष्ण भक्ति में लीन मंदिर के महाराज रामेश्वर दास ने अपने जीवन को गौ सेवा के लिए समर्पित कर दिया है. वहीं, इस आश्रम में 15 सौ से अधिक गोवंश हैं, जिनकी सेवा कृष्ण भक्ति समझकर की जाती है.

15 सौ गोवंश की कृष्ण भक्ति के रूप में होती है सेवा

आज कृष्ण जन्माष्टमी है और आपको कृष्ण भक्ति देखनी है तो आप नैनीताल जिले के हल्दूचौड़ के परमा गांव में देख सकते हैं. जहां, कृष्ण भक्ति में लीन हरे रामा हरे कृष्णा आश्रम के महाराज रामेश्वर दास अपनी गौ सेवा सदन में 15 सौ से अधिक गायों और बछड़ों की देखभाल करते हैं. इसमें अधिकतर गोवंश अपाहिज और घर से निकाली गई होती हैं या पुलिस प्रशासन और हाई कोर्ट के निर्देश के बाद गौ हत्या के लिए ले जा रही गोवंश है, जिनकी देखभाल की जाती है.

इस आश्रम की स्थापना स्वामी रामेश्वर दास ने 10 साल पहले की थी. जिसके बाद उन्होंने आश्रम का नाम हरे रामा हरे कृष्णा नित्यानंद पाद आश्रम रखा. रामेश्वर दास ने कृष्ण भक्ति की शुरुआत 4 गाय बैल से की जो आज 15 सौ से अधिक हो चुकी है. रामेश्वर दास की कृष्ण भक्ति को देखते हुए धीरे-धीरे कई लोग गौ सेवा जुड़ते गए.

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आश्रम के महाराजा रामेश्वर दास का कहना है कि आश्रम का उद्देश्य सिर्फ सेवा भाव है. जहां बैल को भगवान शिव के नंदी और कृष्ण की गाय मानकर गाय की सेवा की जाती है. गाय के अंदर 36 करोड़ देवी देवताओं का वास होता है. इससे बड़ा कोई भी पुण्य काम नहीं हो सकता है. इससे बड़ी कोई भक्ति नहीं हो सकती.

Intro:sammry- विश्व प्रसिद्ध हैड़ाखान धाम देसी विदेशी भक्तों का तपस्या स्थल।

एंकर- उत्तराखंड को देवभूमि के साथ ऋषि मुनियों की तपोस्थली भी कहा जाता है। यहां के मशहूर मंदिर ऋषि-मुनियों की तपोस्थली भी रहा है। जिसके चलते आज भी देसी विदेशी लोग उत्तराखंड अध्यात्म और आत्मा शांति की खोज के लिए पहुंचते हैं और अपनी जीवन को अध्यात्म की ओर समर्पित करते हैं इन्हीं मंदिरों में कुमाऊ का प्रसिद्ध मंदिर बाबा हैड़ाखान धाम हैं जहा देसी विदेशी भक्त अपने जीवन में कर्म योग साधना और अध्यात्म की तलाश में इस मंदिर की ओर खींचे चले आते हैं और यहां पहुंच अपने जीवन को भगवान को समर्पित कर आत्मशांति प्राप्त करते हैं । यही नहीं मशहूर फिल्म अभिनेता शम्मी कपूर से लेकर प्रियंका चोपड़ा और राजेश पायलट का भी इस मंदिर से गहरा नाता है।


Body:बताया जाता है कि बाबा कौन थे और कहां से आए थे यह किसी को पता नहीं था ।बाबा हैड़ाखान को 1884 में प्रगट होते देखा गया था1920 तक बाबा यहां भगवान शिव की तपस्या की और उन्होंने अस्कोट के निकट गोरी गंगा में छलांग लगा दी थी जिसके बाद से बाबा हैड़ाखान अंतर्ध्यान हो गए और रूस में प्रगट हुए जिसके बाद बाबा फिर 1970 में दोबारा हैड़ाखान आए ।बाबा का एक रूप कहा जाता है कि कभी युवा दिखाई देते थे तो कभी 100 साल के बुजुर्ग दिखाई देते थे बताया जाता था कि उस समय उनका नाम मुनींद्र महाराज हुआ करता था लेकिन हैड़ाखानआने के बाद से उन्हें हैड़ाखान हैडाखंडी महाराज से जाने जा लगा । उन्हें शिव का अवतार कहा जाता था। 1984 में बाबा अपने ही आश्रम में अंतर्ध्यान हो गए और महासमाधि ली। बताया जाता है कि बाबा आज भी अजर अमर है और कई अवतार अब तक जन्म ले चुके हैं। बाबा के गुप्त रहस्य के बारे में बताया जाता है कि बाबा को कई बार हिमालय की पहाड़ियों पर उड़ते हुए भी देखा गया है। बाबा को शिव का अवतार माना जाता था।

इस तपोस्थली को शिव पर्वती से जुड़ा आस्था का केंद्र भी माना जाता है बताया जाता है कि पार्वती ने एक बार भगवान शिव से पूछा था कि साधना और तपस्या का सबसे उचित स्थान कहां होगा जिससे कि मनुष्य अपने आप को प्रसन्न दिखाई दे तो भगवान शिव ने हैड़ाखान को ही उचित स्थान बताया था।

मंदिर के विशेष पुजारी धर्मानंद जोशी का कहना है कि मशहूर फिल्म अभिनेता शम्मी कपूर प्रियंका चोपड़ा राजेश पायलट रमा पायलट सहित कई बड़ी हस्तियों का इस मंदिर से काफी आस्था है इस मंदिर में आकर जिसने भी अपनी कामना मांगी उसकी मनोकामना पूर्ण हुई। बताया जाता है कि 1975 में शम्मी कपूर पहली बार खेड़ा खान बाबा के आश्रम पहुंचे थे जहां उन्होंने बाबा से आशीर्वाद लिया था। जिसके बाद शम्मी कपूर बाबा के परम भक्त बन गए जिसके बाद उन्होंने खेड़ा खान मंदिर में ही अपने बेटे निकी कपूर की शादी की। यही नहीं फिल्म अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा अपने पूरे परिवार के साथ हेड़ा खान मंदिर समय समय पर आती रहती है और यहां दर्शन कर आशीर्वाद लेती हैं यही नतीजा रहा कि आज प्रियंका चोपड़ा इतनी ऊंचाई तक पहुंची है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय राजेश पायलट और उनकी पत्नी रमा पायलट का भी इस मंदिर से काफी आस्था रहा है ।समय-समय पर मंदिर पहुंच के कार्यक्रम में भाग लिया करते थे।


Conclusion:मंदिर के विशेष पुजारी धर्मानंद जोशी का कहना है कि आज भी लगभग 80 देशों के लोग यह अध्यात्म और आत्म शांति के लिए पहुंचते हैं और इस तपोस्थली में तब कर आत्मशांति प्राप्त करते हैं।
बाइट - धर्मानंद जोशी विशेष पुजारी है हैड़ाखान मंदिर
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