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मां गर्जिया मंदिर के व्यवसायियों को सता रही रोजी-रोटी की चिंता, बारिश से हुआ काफी नुकसान

बीते दिनों भारी बारिश के बाद कुमाऊं मंडल में भारी तबाही मची है. वहीं, दूसरी ओर रामनगर गर्जिया मंदिर टीले को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है, जबकि सीढ़ियों सहित प्रसाद की दुकानें कोसी नदी में समा गई.

ramnagar
मां गर्जिया मंदिर
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Published : Oct 22, 2021, 11:30 AM IST

रामनगर: बीते दिनों भारी बारिश के बाद कुमाऊं मंडल में तबाही का मंजर देखने को मिला है.हालांकि अभी तक नुकसान का आकलन ठीक-ठीक नहीं हो सका है. उत्तराखंड में बारिश, बाढ़ और भूस्खलन के कारण हालात बहुत खराब हो चले हैं. वहीं, दूसरी ओर रामनगर गर्जिया मंदिर टीले को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है, जिसे लोग आस्था की नजर से देख रहे हैं, जबकि सीढ़ियों सहित प्रसाद की दुकानें कोसी नदी में समा गई.

गौर हो कि रामनगर में गर्जिया मंदिर के पास कोसी नदी दो धाराओं में बट गई है. साथ ही जिस स्थान पर मंदिर के नीचे 100 से ज्यादा प्रसाद की दुकानें लगा कर दी थी, उस स्थान पर आज कोसी नदी बह रही है. पुल को पार करके मंदिर की तरफ जाने और आने वाली दोनों सीढ़िया भी क्षतिग्रस्त हो गई है. उसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ लगे सुरक्षा ब्लॉक भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं. वहीं, पुल से उतरने वाली सीढ़िया, सुरक्षा ब्लॉक, प्रसाद की दुकानें आदि को भी नुकसान पहुंचा है.

मां गर्जिया मंदिर के व्यवसायियों को सता रही रोजी-रोटी की चिंता.

पढ़ें-Weather Update: आज खुशनुमा रहेगा मौसम का मिजाज, बारिश से मिलेगी राहत

मंदिर के मुख्य पुजारी मनोज पांडे ने कहा कि मंदिर की सीढ़ियां भी कोसी नदी की चपेट में आई हैं. साथ ही उन्होंने सरकार से मंदिर के चारों ओर सुरक्षा ब्लॉक और कंक्रीट का जाल बनाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि कई बार इस संदर्भ में अवगत भी कराया गया है. लेकिन कार्रवाई कागजों तक सिमट कर रह गई है.वहीं मंदिर समिति के सचिव देवी दत्त दानी ने कहा कि पूर्व में आई आपदा में भी मां गर्जिया मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. उन्होंने कहा कि इस बार आई आपदा में मंदिर के चारों तरफ लगे ब्लॉक,प्रसाद विक्रेताओं की दुकानें, कच्चे छप्पर आदि कई चीजें बह गई हैं.

पढ़ें-पुलिसकर्मियों को CM धामी ने दिया दिवाली का तोहफा, ग्रेड-पे 4600 करने का ऐलान

उन्होंने कहा की मंदिर की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर शासन-प्रशासन को पत्र भेजेंगे. साथ ही 19 नवंबर को लगने वाले कार्तिक पूर्णिमा के मेले को सरकार कुछ फैसला अवश्य लेगी. क्योंकि मंदिर लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि मंदिर को अग्रिम आदेशों तक के लिए बंद किया गया है. प्रसाद की दुकान चलाने वाले लोगों का कहना है कि दुकान बहने से रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है क्योंकि उनकी जो भी जमा पूंजी थी, वह नदी में बह गई है.

रामनगर: बीते दिनों भारी बारिश के बाद कुमाऊं मंडल में तबाही का मंजर देखने को मिला है.हालांकि अभी तक नुकसान का आकलन ठीक-ठीक नहीं हो सका है. उत्तराखंड में बारिश, बाढ़ और भूस्खलन के कारण हालात बहुत खराब हो चले हैं. वहीं, दूसरी ओर रामनगर गर्जिया मंदिर टीले को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है, जिसे लोग आस्था की नजर से देख रहे हैं, जबकि सीढ़ियों सहित प्रसाद की दुकानें कोसी नदी में समा गई.

गौर हो कि रामनगर में गर्जिया मंदिर के पास कोसी नदी दो धाराओं में बट गई है. साथ ही जिस स्थान पर मंदिर के नीचे 100 से ज्यादा प्रसाद की दुकानें लगा कर दी थी, उस स्थान पर आज कोसी नदी बह रही है. पुल को पार करके मंदिर की तरफ जाने और आने वाली दोनों सीढ़िया भी क्षतिग्रस्त हो गई है. उसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ लगे सुरक्षा ब्लॉक भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं. वहीं, पुल से उतरने वाली सीढ़िया, सुरक्षा ब्लॉक, प्रसाद की दुकानें आदि को भी नुकसान पहुंचा है.

मां गर्जिया मंदिर के व्यवसायियों को सता रही रोजी-रोटी की चिंता.

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मंदिर के मुख्य पुजारी मनोज पांडे ने कहा कि मंदिर की सीढ़ियां भी कोसी नदी की चपेट में आई हैं. साथ ही उन्होंने सरकार से मंदिर के चारों ओर सुरक्षा ब्लॉक और कंक्रीट का जाल बनाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि कई बार इस संदर्भ में अवगत भी कराया गया है. लेकिन कार्रवाई कागजों तक सिमट कर रह गई है.वहीं मंदिर समिति के सचिव देवी दत्त दानी ने कहा कि पूर्व में आई आपदा में भी मां गर्जिया मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. उन्होंने कहा कि इस बार आई आपदा में मंदिर के चारों तरफ लगे ब्लॉक,प्रसाद विक्रेताओं की दुकानें, कच्चे छप्पर आदि कई चीजें बह गई हैं.

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उन्होंने कहा की मंदिर की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर शासन-प्रशासन को पत्र भेजेंगे. साथ ही 19 नवंबर को लगने वाले कार्तिक पूर्णिमा के मेले को सरकार कुछ फैसला अवश्य लेगी. क्योंकि मंदिर लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि मंदिर को अग्रिम आदेशों तक के लिए बंद किया गया है. प्रसाद की दुकान चलाने वाले लोगों का कहना है कि दुकान बहने से रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है क्योंकि उनकी जो भी जमा पूंजी थी, वह नदी में बह गई है.

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